वर्तमान परिदृश्य में प्रेम की परिभाषा जिस गति से बदल रही है, वह चिन्तनीय है। प्रेम में एक-दूसरे को आहत करने का भाव जहाँ पनपता है, वह वास्तविक प्रेम है ही नहीं, वह मात्र दिखावा है। बाह्य आकर्षण को प्रेम की उपमा से सम्बोधित करना उचित नहीं, यह तो दो आत्मा के परस्पर मिलन...
वैसे तो बीते वर्ष 2020 से 2022 तक हमने मानसिक तनाव बहुत झेला है। यह मानसिक कष्ट अनेक कारणों से रहा, जिसमें प्रमुख रहा चीन पाकिस्तान के साथ युद्ध का भय व कोरोना महामारी व महामारी के बाद वाले प्रभाव। परन्तु हम सभी यह भी जानते हैं कि हमारी सरकार ने चीन व पाकिस्तान दोनों...
बच्चे तो माटी के घड़ों से है उन्हें सही रूप में ढ़ालने का दायित्व अभिभावकों का है। आज व्यस्त जीवनशैली के चलते अभिभावकों के पास समय का अभाव पाया जाता है भौतिक संसाधनों की पूर्ति कर वे अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझते हैं जो पूर्णतः अनुचित है। अभिभावक की उपाधि अपने साथ अ...
सभी प्रबुद्ध पाठकों के ध्याननार्थ बताना चाहता हूँ कि महाकवि कालिदास जी के जन्म व परिवार से सम्बन्धित किसी भी प्रकार की प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। परन्तु उनको मानने वाले अधिकांश में से कुछ कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तो कुछ द्वादशी तिथि को इनकी जयन्ती मन...
मां के बाद शिक्षक बच्चों के भविष्य निर्माण में महती भूमिका निभाने में सच्चे भागीदार होते हैं। यह सही है कि शिक्षा व शिक्षक में बहुत बड़ा फासला नहीं होता है बच्चों के परवरिश का पूरा जिम्मा माता पिता पर होता है वहीं दूसरी ओर शिक्षक के कंधों पर बच्चों के भविष्य निर्माण की...
आर्यावर्त की भूमि कोई साधारण भूमि नहीं है यह वह भूमि है जहाँ उदारता और कृतज्ञता का भाव सदैव विद्यमान रहता है। साथ ही बात जब संस्कृति और सभ्यता की चले तब यह देश समूचे विश्व में शिरमौर है।
जैसा सभी प्रबुद्ध पाठक जानते हैं 15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 75वीं वर्षगांठ से 75 सप्ताह पूर्व यानि 12 मार्च, 2021 से आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में मनाया जा रहा है। सरकार ने इस अमृत महोत्सव के लिये...
पुराणों में वर्णित कथानुसार क्षत्रिय राजा सुजानसेन एवं उसके बहत्तर उमरावों को ऋषिमुनियों ने, उनके यज्ञ स्थल को बाधित करने के कारण श्राप देकर पत्थर में परिवर्तित कर दिया था। तत्पश्चात राजा सुजानसेन की अर्द्धांगिनी ने सभी पत्थर के बुत बने उमरावों की पत्नियों के साथ प्रभ...
हमें अपनी दिनचर्या में से कुछ समय सत्संग के लिये निकालना ही चाहिए यानि हमें नियमित रूप से सत्संग में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी ही है। कभी भी या जब भी, आस-पास कहीं सत्संग हो वहाँ आपको बुलाया नहीं भी हो तो भी शामिल होने में संकोच नहीं करना चाहिये। इसके अलावा सत्संग क...
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता“ की परम्परा हमारे ग्रंथों में लिखी गई है जिसका अर्थ है - जहाँ महिलाओं का सम्मान किया जाता हैं वहां देवता निवास करते है। नारी यह कोई सामान्य शब्द नहीं बल्कि एक ऐसा सम्मान हैं जिसे देवत्व प्राप्त हैं। नारियों का स्...
कहते हैं ना, हर सफल आदमी के पीछे औरत का हाथ होता है। वैसे ही हर सफल नारी को पुरुष का साथ होता है। इनमें से कई महिलाएं हैं जिनको उनके पिता, पति, पुत्र यहां तक कि अपने ससुर जी का भी साथ, प्रेरणा और प्रोत्साहन मिला है। और जिनके साथ कोई नहीं, उन्हें अपने आपके साथ खड़ा होन...
1.फारसी शब्द ‘हिन्द’ से ही हिन्दी शब्द की उत्पत्ति हुई है जिसका अर्थ ‘सिंधु नदी की भूमि’ होता है।
2. हिन्दी संस्कृत का अपभ्रंश है। संस्कृत को देवों की भाषा भी कहा जाता है। हिन्दी और संस्कृत दोनों को देवनागरी लिपि में ही लिखा जाता है। द...
