Bhartiya Parmapara

भक्ति, शक्ति और सौंदर्य की त्रिवेणी : कामाख्य...

नील-शैल-मालाओं पर स्थित माँ भगवती कामाख्या का यह दिव्य मंदिर 51 शक्तिपीठों में मुख्य है। यह मंदिर तीन भागों में बना हुआ है। इसका पहला हिस्सा सबसे बड़ा है, जहांँ पर हर भक्त को जाने नहीं दिया जाता है। दूसरे हिस्से में माता के दर्शन होते हैं, जहांँ एक पत्थर से हर समय पान...

मां अंगार मोती, गंगरेल धमतरी | संभावनाओ का प्...

वनदेवी मां अंगार मोती परम तेजस्वी 'ऋषि अंगिरा' की पुत्री हैं। जिनका आश्रम, सिहावा के पास गंढाला में स्थित है। कहते हैं कि, मां अंगार मोती एवं  मां विंध्यवासिनी  दोनों बहने हैं। कहा जाता है कि, देवी का मूल मंदिर 'चंवर गांव' में स्थित है। किवदंती के अनुसार सप्...

माँं महामाया मंदिर अंबिकापुर | संभावनाओ का प्...

शक्ति पीठों की इस श्रृंखला में, अगला नाम "अंबिकापुर की माँ महामाया" का आता है। जिनका एक नाम अंबिका भी है। जिनके नाम पर यह शहर, अंबिकापुर कहलाया। महामाया मंदिर की स्थापना १५वी शताब्दी के आसपास हुई थी। यह एक जागृत एवम् स्वयंभू मूर्ति है। शक्तिपीठ होने के साथ ही, यह सरगु...

माँ डिडनेश्वरी देवी | संभावनाओ का प्रदेश - छत...

कहते है इस क्षेत्र के पत्थर - पत्थर में देवी देवता विराजमान हैं। टूटी-फूटी मूर्तियां, पत्थर और तांबे पर कुरेदे अजीब अक्षर, पकी मिट्‌टी के खिलौने-ठीकरे और सोने, चांदी, तांबे के सिक्के, ढेरों तरह के अवशेष और न जाने कितने पुराने देवालयों के खंडहर भी प्राप्त होते रहत...

आदिशक्ति चंडी माता मन्दिर घुंचापाली | संभावना...

शक्ति पीठों की श्रृंखला में अगला नाम आता है, महासमुंद जिले के बागबहरा के निकट स्थित, गांव घुंचापाली में स्थापित, चंडीमाता मंदिर का।  

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव बगबहरा, अपने चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य समेटे, कोला...

माँ विंध्यवासिनी मंदिर (बिलई माता मंदिर ) धमत...

इस मन्दिर की स्थापना के बारे कहा है कि इस जगह पर पूर्व में घना जंगल था जहां वनवासी निवास करते थे, एवं शिकारी जानवरों का शिकार करने जाया करते थे, और घसियारे चारा लेने जाते थे। एक दिन घसियारों को एक काला चमकीला आकर्षक पत्थर दिखाई दिया जिसके इर्द-गिर्द जंगली काली बिल्लिय...

माँ राज राजेश्वरी (महामाया) मंदिर रायपुर | सं...

हैहय वंशीय राजाओं ने कुलदेवी महामाया के 36 मंदिरों का निर्माण किया जिनमें से 18 शिवनाथ नदी के इस पार और 18 मंदिर उस पार स्थापित है। अधिकांश मंदिर किलों की शुरुआत में स्थापित है और कुछ राजमहलों के निकट ही है। उनमें से एक विशेष तांत्रिक रूप से निर्मित पुरानी बस्ती रायपु...

आदिशक्ति माँ महिषासुर मर्दिनी मंदिर चैतुरगढ़...

माँ दुर्गा ने 9 दिन के युद्ध के पश्चात महिषासुर का अंत किया तब दुर्गा जी को महिषासुर मर्दिनी नाम प्राप्त हुआ। लौटते वक्त माँ महिषासुर मर्दिनी थकान उतारने के लिए इसी स्थल पर बैठ गई जहां मंदिर है तभी से माँ स्थापित है। कहते हैं कि माँ यहां साक्षात रूप में विराजमान है। म...

दंतेश्वरी माता मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छ...

दंतेश्वरी माँ का मंदिर एकमात्र जगह है जहां फागुन माह में 10 दिवसीय आखेट नवरात्रि मनाई जाती है जिसमें हजारों आदिवासी शामिल होते हैं। पर्यटकों के आकर्षण का विशेष उत्सव है। माँ की काले रंग की स्वयं प्रकट हुई जीवंत मूर्ति है ष्टभुजी माता के दाएं हाथ में शंख खड़ग त्रिशूल ए...

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