विवाह स्त्री और पुरुष के बीच अनोखा एवं आत्मिक, भावनात्मक संबंध है। विवाह को हम दूसरा जन्म ही मानते हैं क्योंकि विवाह के पश्चात स्त्री एवं पुरुष दोनों का संपूर्ण जीवन बदल जाता है। विवाह का शाब्दिक अर्थ ही "विशेष उत्तरदायित्व" वहन करना। हमारी भारतीय संस्कृति में जन्म से...
हमारे संस्कार हमें मानव कोटि से बहुत ऊँचाई पर ले जाकर देवत्व तक पहुंचाने में समर्थ हैं। अतः यह कहना समुचित है कि संस्कारों की योजना व्यक्ति को नियमबद्ध एवं संयमित जीवन जीना सिखाती है। हमारे ये संस्कार पारिवारिक और सामाजिक स्वास्थ्य का समन्वय है। ये संस्कार मूलतः वैज्ञ...
सनातन हिंदू धर्म में पुरुषों द्वारा सिर पर शिखा अर्थात चोटी रखने का विधान है।शिखा को हिंदुओं के एक सम्मानित प्रतीक चिह्न के रूप में मान्यता प्राप्त है। आज उनके सिरों पर से चोटी लगभग गायब हो चुकी है। वर्तमान में कुछ ही सनातन परंपरा के अनुयायी हिंदुओं, ब्राह्मणों य...
हमारी भारतीय संस्कृति में जन्म से लेकर मृत्यु तक मानव के सोलह संस्कार होते हैं। विवाह एक महत्वपूर्ण संस्कार जो मानव का त्रयोदश संस्कार है। विवाह प्रथा के पूर्व की स्थिति मानव पहले पूर्णरूपेण संस्कृति नहीं था ।वह जंगलों में रहता था। किसी भी प्रकार का बंधन किसी पर भी ला...
स्वास्तिक का चिन्ह हम सब अपने जीवन में बचपन से ही देखते आ रहे हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में इसे अवश्य बनाया जाता है।
हिन्दू धर्म में जब भी विवाह संस्कार होता है तो उस समय सात फेरे लिए जाते हैं जिन्हें हम सप्तपदी नाम से जानते हैं। सप्तपदी में सात तरह के वचन होते हैं जिन्हें वर और वधु को बताया जाता है। लड़की यह वचन अपने होने वाले पति से मांगती है। यह सात वचन दाम्पत्य जीवन को प्रेम, खु...
"स्वस्तिक" बहुत ही शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि "स्वस्तिक" बनाने से कोई भी कार्य सफल होता है। हिंदू धर्म के परंपरा के अनुसार "स्वस्तिक" बनाना बहुत ही मंगल होता है। स्वस्तिक का उदगम संस्कृत के "सु "उपसर्ग और "अस " धातू को मिलकर बना है। संस्कृत में "सु" का अर्थ शुभ...
तिलक का अर्थ - शास्त्रों के अनुसार कोई भी शुभ कार्य में माथे पर लगाया जाने वाला बिंदु मतलब तिलक होता है। अगर पूजा पाठ के समय हम बिना तिलक लगाए पूजा करते हैं तो वह पूजा निष्फल मानी जाती है। तिलक हमेशा मस्तिष्क के मध्य भाग (दोनों भौहों के बीच नासिका (नाक) के ऊपर प्रारंभ...
भारतीय संस्कृति में जितने भी महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कार्य होते है उनके पीछे कुछ न कुछ कारण जरूर निहित होता है। इसलिए भारतीय संस्कृति से जुड़ी ये अलग अलग प्रथाये देश विदेश में सभी को अपनी तरफ आकर्षित करती है। इन्ही प्रथाओ में से एक है तोरण मारने की प्रथा या परम्परा जो क...
