Bhartiya Parmapara

वैदिक काल की विदुषी : गार्गी और मैत्रेयी

विदुषी गार्गी एवं विदुषी मैत्रेयी के ऊपर चर्चा करने से पहले मैं बताना चाहती हूँ विदुषी शब्द का अर्थ क्या होता है, विदुषी का अर्थ एक ऐसी स्त्री जो बहुत विद्वान हो ऋग्वेद में विदुषी स्त्री को ऋषि कहते हैं और आज हम ऐसी ही 2 विदुषी महिलाओं के बारे में चर्चा करेंगे। गार्गी एवं मैत्रेयी के बारे में यह...

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं | कोविड से बचाव क...

मजबूत रोग प्रतिरोधक शक्ति सम्भावित कोविड़ संक्रमण से बचाव में बहुत ही कारगर सिद्ध होगी –

जैसा आप सभी जानते हैं कि कोरोना संक्रमण वापस से अग्रसर होता दिखायी दे रहा है और हमेशा की तरह इस बार भी विशेषज्ञों की राय बँटी हुई है। कु...

जल संरक्षण आवश्यक है – पानी बचाएं, भविष्य सुर...

हम बहुत से वरिष्ठजन नियमित रूप से शाम के समय मैदान में बैठ आपस मे किसी भी विषय पर बातचीत करते आ रहे हैं। धरा को हरा-भरा रखने के लिये दो बिन्दु पर जो निर्णय लिया उस पर हम सभी वृक्षारोपण अभियान चला ही रहे हैं ताकि हमारे आच्छादित जगह में वाष्पीकरण के द्वारा वर्षा भारी मा...

भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहते थे | भारत...

मैं भारत हूं जिसकी गोद में नदियां खेलती हैं जिसके पर्वत आसमान के शिखरों पर शोभायमान हैं, मैं ज्ञान हूं, विज्ञान हूं, अनुशासन हूं, नीति हूं, राजनीति हूं, शिक्षा हूं, संयम हूं, धीरता हूं, गंभीरता हूं, मैं ही इस प्रकृति में भूत भविष्य वर्तमान को समाहित किए हुए हूँ मैं भा...

बलिदानी - स्वतंत्रता के नायक

तकलीफ तो होगी साहब ... 
जब सात लाख बत्तीस हजार बलिदानियों को भुला कर आजादी का श्रेय सिर्फ एक परिवार ले रहा था तब हमको भी तकलीफ होती थी ... भारत को आजाद करने के लिए जी नौजवानों ने अपने प्राणों की आहुति दिया उन बलिदानियों को जब आतंकवादी कहा जाता था तब तकलीफ मुझे...

गणतंत्र दिवस – 26 जनवरी का इतिहास, महत्व और स...

26 जनवरी 1950 ये वही स्वर्णिम दिवस है जिस दिन भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू हुआ था। इस दिन को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में भारत के हर छोटे बड़े शहरों, गांवों एवं कस्बों में मनाया जाता है। 26 नवंबर 1949 को एक स्वतंत्र गणराज्य एवं भारतीय संवि...

वर्तमान दौर में बदलता प्रेम का स्वरूप – एक वि...

वर्तमान परिदृश्य में प्रेम की परिभाषा जिस गति से बदल रही है, वह चिन्तनीय है। प्रेम में एक-दूसरे को आहत करने का भाव जहाँ पनपता है, वह वास्तविक प्रेम है ही नहीं, वह मात्र दिखावा है। बाह्य आकर्षण को प्रेम की उपमा से सम्बोधित करना उचित नहीं, यह तो दो आत्मा के परस्पर मिलन...

बीते तीन साल बहुत कुछ सीखा गया | 2020 से 2022...

वैसे तो बीते वर्ष 2020 से 2022 तक हमने मानसिक तनाव बहुत झेला है। यह मानसिक कष्ट अनेक कारणों से रहा, जिसमें प्रमुख रहा चीन पाकिस्तान के साथ युद्ध का भय व कोरोना महामारी व महामारी के बाद वाले प्रभाव। परन्तु हम सभी यह भी जानते हैं कि हमारी सरकार ने चीन व पाकिस्तान दोनों...

बचपन की सीख | बच्चों को लौटा दो बचपन

बच्चे तो माटी के घड़ों से है उन्हें सही रूप में ढ़ालने का दायित्व अभिभावकों का है। आज व्यस्त जीवनशैली के चलते अभिभावकों के पास समय का अभाव पाया जाता है भौतिक संसाधनों की पूर्ति कर वे अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझते हैं जो पूर्णतः अनुचित है। अभिभावक की उपाधि अपने साथ अ...

रामबोला से कालिदास बनने की प्रेरक कथा – भारत...

सभी प्रबुद्ध पाठकों के ध्याननार्थ बताना चाहता हूँ कि महाकवि कालिदास जी के जन्म व परिवार से सम्बन्धित किसी भी प्रकार की प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। परन्तु उनको मानने वाले अधिकांश में से कुछ कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तो कुछ द्वादशी तिथि को इनकी जयन्ती मन...

एक पाती शिक्षक के नाम – शिक्षक की भूमिका और म...

मां के बाद शिक्षक बच्चों के भविष्य निर्माण में महती भूमिका निभाने में सच्चे भागीदार होते हैं। यह सही है कि शिक्षा व शिक्षक में बहुत बड़ा फासला नहीं होता है बच्चों के परवरिश का पूरा जिम्मा माता पिता पर होता है वहीं दूसरी ओर शिक्षक के कंधों पर बच्चों के भविष्य निर्माण की...

संस्कृति का उद्गम संस्कृत दिवस | Culture orig...

आर्यावर्त की भूमि कोई साधारण भूमि नहीं है यह वह भूमि है जहाँ उदारता और कृतज्ञता का भाव सदैव विद्यमान रहता है। साथ ही बात जब संस्कृति और सभ्यता की चले तब यह देश समूचे विश्व में शिरमौर है।

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