हमारी सोच से कही अधिक क्षमता होती है हममें
क्या हमारे कार्य करने की कोई सीमा होती है?
इसका सही-सही उत्तर देना शायद संभव न हो लेकिन हम जितना सोचते हैं उससे कहीं अधिक मुश्किल और असंभव लगने वाला कार्य भी कर सकते हैं।
एक बार एक किसान अपने फ़ार्म हाउस पर काम कर रहा था। तभी उसका बेटा एक गाड़ी में कुछ सामान लेकर आया। जैसे ही वो फ़ार्म हाउस पहुँचा एक गड्ढे के पास उसकी गाड़ी पलट गई और वो कीचड़ में गाड़ी के नीचे दब गया। जैसे ही किसान ने ये दृश्य देखा वो फ़ौरन वहाँ पहुँचा और पूरा ज़ोर लगाकर गाड़ी को उलट दिया और अपने बेटे को सकुशल बाहर निकाल लाया। यह एक असंभव कार्य था। यह देखकर वहाँ काम करने वाले लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने किसान से पूछा कि तुमने यह असंभव कार्य कैसे कर डाला? किसान ने कहा कि मुझे नहीं पता था कि ये असंभव कार्य है। मैं तो बस अपने बेटे को बचाना चाहता था इसलिए मैंने बिना कुछ सोचे-समझे गाड़ी को उलटने में अपनी पूरी शक्ति लगा दी।
क्या यह संभव है? वास्तव में हम जो सोचते हैं उससे कहीं अधिक बड़ा कार्य करना संभव है क्योंकि हममें हमारी सोच से कहीं अधिक कार्य करने की क्षमता होती है। फिर हम हर कार्य क्यों नहीं कर पाते? इसका कारण है संभव-असंभव का द्वंद्व। हम कार्य करने से पूर्व इस बात पर अवश्य विचार करते हैं कि ये कार्य हम कर पाएँगे अथवा नहीं। अन्य व्यक्ति भी कम सुझाव नहीं देते। हर व्यक्ति अपने अनुभवों के आधार पर बोलता है। साथ ही लोग उस कार्य के दौरान आने वाली संभावित कठिनाइयों के विषय में बताने लगते हैं। इससे कार्य प्रारंभ करने वाले का मनोबल क्षीण हो जाता है और वो उस कार्य को करने का प्रयास ही नहीं करता और प्रयास करता भी है तो उस कार्य की सफलता के प्रति आश्वस्त न होने के कारण अपनी पूरी क्षमता का उपयोग ही नहीं कर पाता। जब व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए बिना किसी आकलन के अपनी पूरी शक्ति लगा देता हैं तो अविश्वसनीय रूप से असंभव-सा लगने वाला कार्य भी संपन्न हो जाता है।
कई बार जब हम कोई कार्य नहीं कर पाते हैं तो किसी दूसरे व्यक्ति के थोड़े-से सहयोग से उसे भली-भाँति पूर्ण कर लेते हैं। प्रायः देखने में आता है कि कई मज़दूर जब कोई भारी वस्तु उठाने अथवा सरकाने का प्रयास करते हैं तो वो वस्तु टस से मस नहीं होती लेकिन तभी उनका लीडर आता है और कुछ वाक्यों अथवा नारों से उन्हें जोश दिलाता है। तभी चमत्कार-सा घटित होता है और जो वस्तु टस से मस नहीं हो रही थी मज़दूर आसानी से उसे उठा लेते हैं या सरकाने लगते हैं। इससे पता चलता है कि हम अपनी क्षमता के विषय में जितना सोचते हैं, हमारी क्षमता उससे अधिक ही होती है और निरंतर अभ्यास द्वारा इसे और अधिक बढ़ाया जा सकता है।
मुझे हर हाल में ये कार्य करना ही है, जब इस प्रकार का विचार मन में होता है अथवा जब कोई हमसे कहता है कि अमुक कार्य करना ही है तो हम फ़ौरन कार्य करने में जुट जाते हैं और प्रायः सफल ही होते हैं। वास्तव में हमारे मन में एक सूची होती है जिसके अनुसार हम कुछ काम कर सकते हैं और कुछ काम बिलकुल नहीं कर सकते। ये सूची कुछ स्वयं के अनुभव पर आधारित है लेकिन इस सूची का अधिकांश भाग काल्पनिक ही होता है। कई बार अत्यंत सरल-से कार्यों के बारे में भी हम सोचते हैं कि ये कार्य हम नहीं कर सकते। इस सूची को परिवर्तित करने की आवश्यकता है। इस सूची के बहुत सारे कार्य ऐसे होते हैं जिन्हें हम थोड़ा-सा अधिक प्रयास करके आसानी से कर सकते हैं। लेकिन ये अतिरिक्त प्रयास कैसे करें? इसका सबसे सरल तरीका यही है कि हम इस विश्वास के साथ कार्य करें कि हम इसे कर सकते हैं और स्वयं को एकाग्र करके पूरी शक्ति कार्य को संपन्न करने में लगा दें। विषम परिस्थितियों में तो ये और भी अनिवार्य है क्योंकि उस समय हमारे पास अन्य विकल्प होते ही नहीं। जब विकल्पहीनता की स्थिति में असंभव-से लगने वाले कार्य करना संभव है तो सामान्य स्थिति में क्यों नहीं?

Login to Leave Comment
LoginNo Comments Found
संबंधित आलेख
पूर्णिमा का महत्व | पूर्णिमा व्रत
सप्ताह के किस दिन करें कौन से भगवान की पूजा | सात वार का महत्व
महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ, उत्पत्ति और महत्व | महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय रखें इन बातों का ध्यान | Maha Mrityunjaya Mantra
हिंदी भाषा से जुड़े रोचक तथ्य
मंदिर शब्द की उत्पत्ति कब हुई | मंदिर का निर्माण कब से शुरू हुआ?
तुलसी जी कौन थी? कैसे बनी तुलसी पौधे के रूप में ? | तुलसी विवाह
हिंदी वर्णमाला की संपूर्ण जानकारी | हिंदी वर्णमाला
अच्युत, अनंत और गोविंद महिमा
निष्कामता
हर दिन महिला दिन | Women's Day
33 कोटि देवी देवता
हिंदू संस्कृति के 16 संस्कार
हिंदी दिवस
शिक्षक दिवस
राखी
बचपन की सीख | बच्चों को लौटा दो बचपन
बात प्रेम की
महामाया मंदिर रतनपुर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़ | मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का ननिहाल
माँ बमलेश्वरी मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
माँ चंद्रहासिनी मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
खल्लारी माता मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहते थे | भारत देश
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस | World Menstrual Hygiene Day
ज्योतिष शास्त्र | शनि न्याय प्रिय ग्रह क्यों है ?
वास्तु शास्त्र | वास्तुशास्त्र का उदगम
वास्तुशास्त्र में पूजा कक्ष का महत्व
पंचवटी वाटिका | पंचवटी का महत्व स्कंद पुराण में वर्णित
कृतज्ञता
ज्योतिष की विभिन्न विधाये और राजा सवाई जयसिंह (जयपुर) का योगदान
संस्कारों की प्यारी महक
मिच्छामि दुक्कडम्
सत्संग बड़ा है या तप
ब्रह्मांड के स्वामी शिव
बलिदानी - स्वतंत्रता के नायक
महामृत्युंजय मंत्र | महामृत्युंजय मंत्र जाप
राम राज्य की सोच
भारतीय वैदिक ज्योतिष का संक्षिप्त परिचय
भारतीय वैदिक ज्योतिष का प्रचलन
मैच बनाने की मूल बातें (विवाह और ज्योतिष)
कुंडली मिलान | विवाह के लिए गुण मिलान क्यों महत्वपूर्ण है?
कुंडली चार्ट में घरों की बुनियादी समझ
सनातन संस्कृति में व्रत और त्योहारों के तथ्य
सनातन संस्कृति में उपवास एवं व्रत का वैज्ञानिक एवं धार्मिक पक्ष
2 जून की रोटी: संघर्ष और जीविका की कहानी
प्रकृति की देन - पौधों में मौजूद है औषधीय गुण
प्री वेडिंग – एक फिज़ूलखर्च
दो जून की रोटी
गणेश जी की आरती
भारतीय परम्परा की प्रथम वर्षगांठ
नव वर्ष
नहीं कर अभिमान रे बंदे
आज का सबक - भारतीय परंपरा
चाहत बस इतनी सी
नारी और समाज
माँ तू ऐसी क्यों हैं...?
दर्द - भावनात्मक रूप
पुरुष - पितृ दिवस
मितव्ययता का मतलब कंजूसी नहीं
सावन गीत
आया सावन
गुरु पूर्णिमा - गुरु की महिमा
सार्वजानिक गणेशोत्सव के प्रणेता लोकमान्य तिलक
शास्त्रीजी की जिन्दगी से हमें बहुत कुछ सीखने मिलता है | लाल बहादुर जयंती
कन्याओं को पूजन से अधिक सुरक्षा की जरूरत है ...!
जीवन में सत्संग बहुत जरूरी है
धर्म - धारण करना
आलस्य (Laziness)
प्रतिष्ठित शिक्षक - प्रेरक प्रसंग
राष्ट्र का सजग प्रहरी और मार्गदृष्टा है, शिक्षक
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
संस्कृति का उद्गम संस्कृत दिवस | Culture origin in Sanskrit Day
75 बरस की आजादी का अमृत महोत्सव और हम
एक पाती शिक्षक के नाम – शिक्षक की भूमिका और मूल्य आधारित शिक्षा
बच्चों को लौटा दो बचपन – आधुनिक पालन-पोषण पर एक प्रेरक विचार
रामबोला से कालिदास बनने की प्रेरक कथा – भारत के महान कवि की जीवनी
त्रिदेवमय स्वरूप भगवान दत्तात्रेय
गणतंत्र दिवस – 26 जनवरी का इतिहास, महत्व और समारोह
बीते तीन साल बहुत कुछ सीखा गया | 2020 से 2022 तक की सीखी गई सीखें | महामारी के बाद का जीवन
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं | कोविड से बचाव के लिए मजबूत इम्यूनिटी
वैदिक काल की विदुषी : गार्गी और मैत्रेयी
वर्तमान दौर में बदलता प्रेम का स्वरूप – एक विचारणीय लेख
जल संरक्षण आवश्यक है – पानी बचाएं, भविष्य सुरक्षित बनाएं
कुटुंब को जोड़ते व्रत और त्योहार – भारतीय परंपराओं का उत्सव
मेरे गाँव की परिकल्पना – विकास और विनाश पर एक काव्यात्मक चिंतन
जलवायु परिवर्तन और हमारी जिम्मेदारी: अब तो जागो
राजा राममोहन राय - आधुनिक भारत के जनक | भारत के महान समाज सुधारक
भविष्य अपना क्या है? | तकनीक और मोबाइल लत का युवाओं पर असर
प्रकृति संरक्षण ही जीवन बीमा है – पेड़ बचाएं, पृथ्वी बचाएं
वैदिक काल में स्त्रियों का स्थान – समान अधिकार और आध्यात्मिक ज्ञान
मेरे पिताजी की साइकिल – आत्मनिर्भरता और सादगी पर प्रेरक लेख
भारत रत्न गुलजारीलाल नन्दा (Guljarilal Nanda) – सिद्धांत, त्याग और ईमानदारी का प्रतीक
डिजिटल उपवास – बच्चों के लिए क्यों ज़रूरी है?
नववर्ष संकल्प से सिद्धि | सकारात्मक सोच, अनुशासन और लक्ष्य प्राप्ति
पीपल की पूजा | भारतीय परंपरा में पीपल पूजा का वैज्ञानिक आधार
जीवन में सत्य, धन और आत्मनियंत्रण की प्रेरणा
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र में इसका महत्व
महिला समानता दिवस | नारी सशक्तिकरण: चुनौतियाँ, प्रगति और भविष्य
मानसिक शांति और स्वास्थ्य के लिए दिनचर्या का महत्व
हिंदी की उपेक्षा अर्थात संस्कृति की उपेक्षा | हिंदी : हमारी भाषा, संस्कृति और शक्ति
चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता
श्रावण माह: त्योहारों की शुरुआत
रिश्वतखोरी का अभिशाप
भारतीय संस्कृति की पहचान
प्रवासी भारतीय ही भारतीय संस्कृति के पहरेदार | नीदरलैंड में भारतीय संस्कृति का उजागर
वेदों की अमूल्य सूक्तियाँ – जानिए 80 अनमोल वैदिक रत्न
उत्सव नीरस जीवन में भरते है रंग | जीवन में उत्सवों का महत्व
सूर्य को जल अर्पण करना | सूर्य नमस्कार
विकसित सोच: सफलता की असली कुंजी
राम – सत्य और धर्म का सार
रावण की हड़ताल: दशहरा विशेष व्यंग्य
नथ का वजन – एक परंपरा का अंत
दुविधा – अनुभव और अस्वीकार्यता के बीच की दूरी
घर की लक्ष्मी हैं गृहणियाँ
आत्मकथा वसंत की | वसंत ऋतु
परीक्षा से डर कैसा
गाय और इस्लाम: विश्वास, नियम और सम्मान
भारतीय नववर्ष बनाम अंग्रेजी नववर्ष
श्रीराम - धर्म के मूर्तिमान स्वरूप
नदियों को बचाएं – जीवन और संस्कृति की रक्षा करें
भगवान श्रीराम के उच्चतम आदर्श
सनातन धर्म और अंधविश्वास का सच
विज्ञान दिवस और हमारे वैज्ञानिक
भारत के शहरी क्षेत्रों में वाहन पार्किंग की चुनौतियाँ और समाधान
सहनशीलता का गिरता स्तर और समाज पर इसके हानिकारक प्रभाव | धैर्य और क्षमा का महत्व
कुंबकोणम के शक्ति मुत्तम मंदिर और गरीब पंडित की बगुला संदेश की कहानी
क्या हमारे कार्य करने की कोई सीमा होती है?
कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलें और अपनी असली क्षमता पहचानें
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस – नारी शक्ति को सलाम
शब्द ही ब्रह्म है क्योंकि शब्दों से ही इस त्रिगुणात्मक संसार का सृजन संभव है
आंतरिक और बाहरी दुनिया — ध्यान से आत्म नियंत्रण की शक्ति
हेमू कालाणी – भारत के युवा स्वतंत्रता सेनानी
लेखक के अन्य आलेख
क्या हमारे कार्य करने की कोई सीमा होती है?
निर्णय (The Decision)