युगधर्म के अनुसार त्रेतायुग में श्रीराम का एक अलौकिक अवतार हुआ, जिनके उच्चतम आदर्श और मर्यादित आचरण के कारण उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान के रूप में मान्यता मिली। हजारों - लाखों वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी उस अप्रतिम चरित्र को महानता की पराकाष्ठा प्राप्त है । वे आ...
अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि सनातन धर्म अपने अनुयायियों को पाखंडी, अंधविश्वासी, अकर्मण्य, रूढ़िवादी, पिछड़ा और भाग्यवादी बनाता है। परंतु यह आरोप अज्ञान, पूर्वाग्रह और विकृत ऐतिहासिक दृष्टिकोण से उपजा है। वास्तविकता यह है कि सनातन धर्म केवल एक आस्था नहीं, बल्कि एक वै...
गणेश जी की आरती: श्री गणेश जी की पूजा में विशेष रूप से गाई जाने वाली आरती। यह आरती सभी विघ्नों को हरने वाले, बुद्धि और समृद्धि के देवता गणेश जी को समर्पित है। गणेश चतुर्थी और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर गणेश जी की आरती का महत्व अधिक होता है।
शिव ब्रह्मांड के स्वामी हैं, वे ऊर्जा, शक्ति, स्थिरता और शांति के एकमात्र स्रोत हैं। ब्रह्मांड एक बड़े परमाणु की तरह है और शिव ब्रह्मांड के केंद्र में मौजूद हैं। शिव एक नाभिक हैं, इस परमाणु का एक केंद्रीय हिस्सा हैं, वह इस ब्रह्मांड का भार उसी तरह संभाल रहे हैं जैसे प...
धर्म' भारतीय संस्कृति का एक संकेत - शब्द है। धर्म मनुष्य को पूर्ण बनाता है, व्यक्ति को उन्नत बनाता है, जीवन के समस्त अंगों का समन्वय करना सिखाता है और सभी के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। पुण्य भारत भूमि पर हजारों महापुरुष अवतरित हुए। उन्होंने उत्तम जीवन...
पीपल को पूजना - भारतीय स्त्रियां पीपल को देवता मानकर उसका सिंचन करती हैं। इसी को वैज्ञानिक दृष्टि से देखेंगे तो यह कहा जाता है कि पीपल को भारतीय संस्कृति में देवता माना जाता है। वह जीवन को प्रभावित करता है। तमाम लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागत...
१) न यस्य हन्यते सखा न जायते कदाचन ।। ऋ०१०/१५२/१
- ईश्वर के भक्त को न कोई नष्ट कर सकता है, न जीत सकता है।
२) तस्य ते भक्तिवांसः स्याम ।। अ० ६/७९/३
- हे प्रभो हम तेरे भक्त हों ।
कहते हैं, शिव की आराधना करने से हमारे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और हमारी जो भी मनोकामनाएं है वह पूरी होती है। हमारे त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश इनके आधार पर ही यह दुनिया चलती है। इनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ ना दिखाई देने वाली शक्ति की तरह होता है। जिसका एहसास हमें...
भगवान धन्वन्तरि समुद्र-मंथन के समय हाथ में अमृत कलश लेके प्रकट हुए थे। आरोग्य के देवता माने जाने वाले धन्वंतरि देव भगवान विष्णु के अवतार है। भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा के देवता कहा जाता है, उन्होंने देवताओं एवं ऋषियों को औषधि, रोगो से निदान और उपचार आदि के बारे...
भारतीय सनातन धर्म में मन्दिर का विशेष स्थान है। मंदिर शब्द संस्कृत भाषा से बना है। सरल भाषा में हिन्दुओं के उपासनास्थल को मन्दिर कहते हैं। वह देवस्थान जहां अपने आराध्य की पूजा - अर्चना होती है एवं आराध्य देव के प्रति ध्यान या चिंतन किया जा सके उस स्थान को मन्दिर कहते...
हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी देवताओं का वर्णन है। परंतु 33 कोटी का अर्थ 33 करोड़ नहीं बल्कि 33 उच्च कोटि (प्रकार) के देवी देवता। देव अर्थात दिव्य गुणों से युक्त, जिनमें 12 आदित्य, 11 रूद्र, 8 वसु और 2 अश्विनी कुमार है। 12 आदित्य - 12 आदित्य हमें हमारे सामाजिक जीव...
हिंदू संस्कृति में मनुष्य की आयु, आरोग्य, सुख और समृद्धि बढ़ाने के लिए वेदों में 16 संस्कार बताए गए हैं। शरीर, मन और मस्तिष्क को पवित्र करने के लिए यह संस्कार किए जाते हैं।
१) गर्भाधान संस्कार - उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए, होने वाले माता-पिता को गर्भाधान से पूर्व अपने तन और मन की पवित...
