"माँ! हमें नदी किनारे बसना था न? कम से कम पानी तो मिल जाता। यहाँ तो कोई इंसान हमें झाँकने तक नहीं आता।"
नीम का छोटा पौधा चिंता व्यक्त करते हुए अपनी माँ से बोला।
माँ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वाह! मैदान भी हरा–भरा है। चीनू उछलते हुए अपनी माँ से कहने लगा; हम रोज आ कर खेलेंगे न.....!
हाँ बेटा चीनू; माँ ने हँसते हुए हामी भरी। खुले मैदान में चीनू जैसे और भी छोटे – छोटे बच्चे खेल रहे थे यह देख चीनू और भी खुश ह...
राजेश्वर प्रसाद की उम्र यद्यपि काफी हो चुकी थी लेकिन अपनी वास्तविक उम्र से बहुत कम के लगते थे राजेश्वर प्रसाद।
और इसका कारण था उनकी संतुलित दिनचर्या व जीवनचर्या। नियमित रूप से व्यायाम और सैर करना तथा खानपान में संयम बरतना उनकी आदत बन चुकी थी। उनकी दिनचर्या और...
पिछले दिनों एक मित्र मिले। बुज़ुर्ग हैं। उनकी तीन पुत्रियाँ हैं। तीनों ही ख़ूब पढ़-लिखकर अच्छी नौकरियाँ पा चुकी हैं। तीनों की ही शादियाँ भी हो चुकी हैं। छोटी बेटी की शादी अभी हाल ही में हुई थी।
मित्र ने बतलाया कि उनकी छोटी बेटी ब...
‘फिर से सूखी रोटी और आलू की सब्जी। पिछले तीन महीने से यही खाना खा-खाकर ऊब चुका हूं। मैं नहीं खाऊंगा’ -खाने की थाली को गुस्से में उलटते हुए पप्पू ने कहा।
‘अरे बेटा! खाने का अपमान नहीं करते हैं। सुबह में अपने घर से...
प्रोजेक्ट पूरा कर कॉलेज से निकलने में नेहा को काफी समय हो गया रफ्तार से सीढ़ियां उतरते हुए पैर फिसल गया और वहां नीचे गिर पड़ी। सर से खून बहने लगा पैरो से चलना दूभर हो रहा था इत्तफाक से उसका सीनियर माधव अपने मित्र के साथ वही खड़ा था। इस समय कॉलेज के कैंपस में इक्का-दुक...
रूद्र ने जैसे ही मम्मी से कहा वह अनन्या को पसंद करता है और उससे शादी करना चाहता है यह सुन पल भर को बेटे के बात पर काव्या को यकीन ही नहीं हुआ अपने शांत सौम्य बेटे से अचानक यह सुनना उसे कुछ हतप्रभ कर गया। बचपन से अपने बेटे पर हर खुशी न्यौछावर करने वाली काव्या ने अपनी मौ...
आज जागतिक महिला दिवस है मुझे दो जगह महिला सशक्तिकरण पर भाषण देने जाना है इसलिए आज के सारे काम तुम्हें ही देखने होंगे कहते हुए विभा ने रसोई वाली को फोन लगाया। "समय देख रही हो कांता तुम्हें कल ही जता जताकर कह दिया था आज सुबह जल्दी आ जाना खाना बनाने, मुझे तैयार करने के ल...
श्वेता को पिछले साल की होली याद थी। कभी नहीं भूल सकती थी उस होली के हुड़दंग को। होली के ठीक दूसरे दिन वह बीमार पड़ गई थी। मम्मी-पापा बहुत परेशान हो गए थे। उसे एक हफ्ते के लिए हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा था; स्कूल से अनुपस्थित रहना तो अलग ही।
डॉक्टर तमन्ना अस्पताल से निकलते हुए सोच में इतनी डूबी हुई थी कि उसने किसी के अभिवादन का जवाब दिए बिना ही कार तक पहुंच गई। उनके मन में अपनी बीमार बच्ची निम्मी का रुआँसा चेहरा घूम रहा था। जब वह रोज की तरह अस्पताल जाने के लिए तैयार हो रही थी, तभी निम्मी उसके पास आई और "प...
