रूद्र ने जैसे ही मम्मी से कहा वह अनन्या को पसंद करता है और उससे शादी करना चाहता है यह सुन पल भर को बेटे के बात पर काव्या को यकीन ही नहीं हुआ अपने शांत सौम्य बेटे से अचानक यह सुनना उसे कुछ हतप्रभ कर गया। बचपन से अपने बेटे पर हर खुशी न्यौछावर करने वाली काव्या ने अपनी मौ...
आज जागतिक महिला दिवस है मुझे दो जगह महिला सशक्तिकरण पर भाषण देने जाना है इसलिए आज के सारे काम तुम्हें ही देखने होंगे कहते हुए विभा ने रसोई वाली को फोन लगाया। "समय देख रही हो कांता तुम्हें कल ही जता जताकर कह दिया था आज सुबह जल्दी आ जाना खाना बनाने, मुझे तैयार करने के ल...
डॉक्टर तमन्ना अस्पताल से निकलते हुए सोच में इतनी डूबी हुई थी कि उसने किसी के अभिवादन का जवाब दिए बिना ही कार तक पहुंच गई। उनके मन में अपनी बीमार बच्ची निम्मी का रुआँसा चेहरा घूम रहा था। जब वह रोज की तरह अस्पताल जाने के लिए तैयार हो रही थी, तभी निम्मी उसके पास आई और "प...
निशा अखबार में आज कुछ नई खबर आई है क्या जो इतनी आंखें गड़ाए पढ़ रही हो। कुछ नया नहीं है निखिल, पता नहीं हमारे देश का क्या होगा हर तरफ बस भ्रष्टाचार की खबरें पढ़ने मिलती।
हॉं, निशा तुम सही कह रही हो।
<...मन आत्मग्लानि से लबरेज था धिक्कार है ऐसे मातृत्व पर, आज स्वयं पर ही क्रोध आ रहा था। आँखों से अविरल अश्रुधारा प्रवाहित हुए जा रही थी। मैं अवि को और वे मुझे सजल नैनों से बस देख रहे थे। "संतानोत्पति करना तो बहुत सरल है, पर परवरिश करना बहुत मुश्किल।" आज बेचैन मन कुछ सोच प...
छोटा बेटा कर्तव्य, अपनी बयासी साल की वृद्ध माँ की सेवा को ही अपना धर्म समझता था। "मातृदेवो भव:।" यही उसका जीवन मंत्र था।
बड़ा बेटा भाविक अपने परिवार समेत पास की सोसाइटी में ही रहता था। माँ रोज़ अपने बेटे-बहू और बच्चों को याद किया क...
"अरी ओ रत्ना, आसमान में बादल देखो कैसे बरसने को बेताब हो रहे है, अबकी तुम्हारे कानों के झुमके घड़वा दूंगा, तुम भी चलना सूनार के और अपनी पसंद से ही बनवा लेना। शामा के बापू मेघ लगते ही तुम्हारे सपनों को पंख लग जाते हैं कहते हुए रत्ना खिलखिलाने लगी।"
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एक घने जंगल में एक विशाल वटवृक्ष के पास पीपल के एक बिरवे ने जन्म लिया। विशाल वटवृक्ष की लंबी सैकड़ों बरोहें धरती को वटवृक्ष के चारों ओर से जकड़ी हुई थीं। नन्हें पीपल को बड़ा आश्चर्य होता था, वह प्रतिदिन सुबह से शाम तक वटवृक्ष और उसकी सैकड़ों बरोहों को देखता और अचरज से...
कॉलेज के छात्रसंघ के चुनाव में मुख्य आकर्षण अध्यक्ष पद का होता है अध्यक्ष पद पर वैसे तो कई प्रत्याशी मैदान में थे परंतु मुख्य संघर्ष संजय और देव के बीच था। मैं देव के समर्थकों में से एक था। देव मेरा लंगोटिया यार था। हम बचपन से अब एक साथ खेले कूदे और पढ़े थे। इंटरमीडिए...