गोल-गोल रोटी जिसने पूरी दुनिया को अपने पीछे गोल-गोल घुमा रखा है। यह रोटी कब बनी यह कहना थोड़ा मुश्किल है पर हाँ, जब से भी बनी है तब से हमारी भूख मिटा रही है। आज दो जून की रोटी की बात करते है, अक्सर कहा जाता है कि हमें दो जून की रोटी भी नसीब नहीं हो रही। दो जून की रोटी...
शादी फिक्स होते ही लोगों का सबसे पहला सवाल– "प्री वेडिंग हो गई?"
हो गई तो अच्छी बात है नहीं हुई तो क्यों नहीं हुई? आजकल तो सभी करवा रहे हैं। इस आधुनिक युग में ये सब आम बात है, अरे भाई! शर्माना कैसा? आप बस तैयारी शुरू करो। आपको एक बहुत अच्छे फोटोग्राफर और प्लेस (स्थान) बताने की जिम्मेदारी...
2 जून की रोटी कैसे लोग रोज़मर्रा की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। संघर्ष और जीविका की उन कठिनाइयों और चुनौतियों को उजागर करता है जो आम इंसान को दो वक्त की रोटी जुटाने में सामना करना पड़ता है। '2 जून की रोटी' एक आम कहावत है, जिसका मतलब है,...
पर्यावरण पर गलत प्रचलनों पर विचार करें तो सबसे पहले धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को रोकने में हम भारतवासी पहल कर विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं। हमें अपनी खेतीबाड़ी में संयम बरतना चाहिये और उचित तो यही रहेगा कि हमसब अब...
हिंदू संस्कृति में पशु पक्षी वनस्पति जीव जंतु प्रकृति नदियां शैल शिखर सभी से आत्मीय संबंध जोड़ने का प्रयास किया था। व्रत उपवास और भारतीय त्योहार हमारी संस्कृति के मूल आधार है यही कारण है कि हमारी संस्कृति में अपना महत्वपूर्ण और विशेष स्थान रखते हैं। भारत ही एक ऐस...
भारत में उपवास एवं व्रत विशेष महत्व रखते हैं तथा इन्हें रखने की परंपरा साधु-संतों, ऋषि-मुनियों से लेकर ब्रह्मचारी तथा गृहस्थ नर-नारियों में बहुत पुरानी है। सनातन संस्कृति में इन्हें आध्यात्मिक उन्नति और बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए तथा ग्रहों को अनुकूल...
राम-राज्य यानी सुशासन का प्रताप ये है कि कोई किसी का शत्रु नहीं है, सभी जन मिल-जुलकर रहते हैं। सामान्य जनमानस शारीरिक, मानसिक और दैविक विकारों से मुक्त हो चुका है। सभी स्वस्थ हैं, राम-राज्य में किसी की अल्प मृत्यु नहीं होती। कोई निर्धन नहीं, कोई दुखी नहीं, कोई अशिक्षि...
बात प्रेम की .....
बसन्त ऋतु में प्रकृति ने प्रेम की चादर ओढ़ ली, जब प्रकृति ही प्रेममय है तो फिर इस प्रेम से कोई कैसे बचे।
प्रेम, प्यार, उल्फत, मोहब्बत, इश्क व लव
न जाने कितने नाम, लेकिन एहसास एक।
मैं भारत हूं जिसकी गोद में नदियां खेलती हैं जिसके पर्वत आसमान के शिखरों पर शोभायमान हैं, मैं ज्ञान हूं, विज्ञान हूं, अनुशासन हूं, नीति हूं, राजनीति हूं, शिक्षा हूं, संयम हूं, धीरता हूं, गंभीरता हूं, मैं ही इस प्रकृति में भूत भविष्य वर्तमान को समाहित किए हुए हूँ मैं भा...
तकलीफ तो होगी साहब ...
जब सात लाख बत्तीस हजार बलिदानियों को भुला कर आजादी का श्रेय सिर्फ एक परिवार ले रहा था तब हमको भी तकलीफ होती थी ... भारत को आजाद करने के लिए जी नौजवानों ने अपने प्राणों की आहुति दिया उन बलिदानियों को जब आतंकवादी कहा जाता था तब तकलीफ मुझे...
बच्चे तो माटी के घड़ों से है उन्हें सही रूप में ढ़ालने का दायित्व अभिभावकों का है। आज व्यस्त जीवनशैली के चलते अभिभावकों के पास समय का अभाव पाया जाता है भौतिक संसाधनों की पूर्ति कर वे अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझते हैं जो पूर्णतः अनुचित है। अभिभावक की उपाधि अपने साथ अ...
राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील, ‘पूर्ण स्वराज’ के पैरोकार और भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के प्रथम लोकप्रिय नेता बाल गंगाधर तिलक को उनके २३ जुलाई को पड़ने वाले १६७ वें जन्म दिन पर नमन करते हुये आपको याद दिलाना चाहूँगा कि इनको "लोकमान्य" की आदरणीय उपाध...