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"माँ! हमें नदी किनारे बसना था न? कम से कम पानी तो मिल जाता। यहाँ तो कोई इंसान हमें झाँकने तक नहीं आता।"
नीम का छोटा पौधा चिंता व्यक्त करते हुए अपनी माँ से बोला।
माँ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वाह! मैदान भी हरा–भरा है। चीनू उछलते हुए अपनी माँ से कहने लगा; हम रोज आ कर खेलेंगे न.....!
हाँ बेटा चीनू; माँ ने हँसते हुए...
शादी फिक्स होते ही लोगों का सबसे पहला सवाल– "प्री वेडिंग हो गई?"
हो गई तो अच्छी बात है नहीं हुई तो क्यों नहीं हुई? आजकल तो सभी करवा रहे हैं। इस आधुनिक युग में ये सब आम बात है, अरे भाई! शर्...
श्वेता को पिछले साल की होली याद थी। कभी नहीं भूल सकती थी उस होली के हुड़दंग को। होली के ठीक दूसरे दिन वह बीमार पड़ गई थी। मम्मी-पापा बहुत परेशान हो गए थे। उसे एक हफ्ते...
विनी और बिट्टू दोनों भाई-बहन मैले-कुचैले कपड़े पहने थे। हाथों में छोटी-छोटी बोरियाँ थीं। वे कचरे बीनने जा रहे थे। कचरे के ढेर में झिल्ली, प्लास्टिक, लोहा आदि बीनते थे; औ...
"मैं बहुत थक गयी हूँ। अब एक कदम भी नहीं चला जाता है मुझसे। सुबह से शाम तक बस; सिर्फ काम ही काम। सुनिए जी, आज मैं घर पर ही रहूँगी। आप जाइये काम पर।" नन्हीं चींटी सोना ने...