Bhartiya Parmapara

भूलते रिश्तों की चीख – एक भावनात्मक हिंदी लघु...

घर में शादी का माहौल था। आंगन में लगन बंधाने की रस्म की तैयारी चल रही थी। तीन दिन बाद सरला की शादी थी। लड़का- सी आर पी एफ का जवान था। दो माह पहले ही ज्वाइनिंग हुई है। शादी के बाद उसे सीधे ट्रेंनिग में शामिल होना था। नौकरी वाला दामाद मिलने से घर में सभी खुश थे। घर आंगन...

यह घर बहुत हसीन है – एक भावनात्मक लघुकथा

वह अपने उस छोटे से घर को बहुत ज्यादा प्यार करता था। उस घर की एक-एक चीज से, एक-एक सदस्य से। एक अनुभवी माली की तरह वह अहर्निश बिला - नागा अपनी बग़िया को सजाने-सँवारने में लगा रहता। बाजार से कलेण्डरनुमा एक ब्लैकबोर्ड लाकर बैठक की दीवार पर टाँग दिया और रोज सुबह र...

रिश्तों की डोर - पतंग से मिली जीवन सीख

आसमान में उड़ती रंग बिरंगी पतंगों ने विभा का ध्यानाकर्षण किया वह टकटकी लगाए उन्हें अपलक निहार रही थी। तभी "ये कटी, ये कटी" की आवाज ने उसकी तंद्रा भंग की यह आवाज मानों उसके कानों में शूल चुभा रही थी, उसकी आंखों के समक्ष जीवन की वास्तविकता का चित्रण उभर आया और...

आभूषण | माँ-बेटी के रिश्ते और जीवन के सुंदर स...

दुल्हन का लिबास पहने जैसे ही दर्पण में आभा अपना प्रतिबिंब निहार रही थी तभी मॉं ने कमरे में प्रवेश किया। आभा तुनक कर मॉं से कहने लगी "घाघरे का यह रंग तो मुझे पसंद ही नहीं आया मॉं, देखो न‌ यह मुझपर जरा भी नहीं फब रहा और यह ज्वेलरी भी"... ओह! कितना पुराना फैशन। आजकल...

परीक्षा डयुटी | शिक्षकों की परीक्षा में भूमिक...

बड़ी ही सजकता से बोर्ड परीक्षा में कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी कर रहा था। मैंने पहले ही मन मे ठान लिया था कि आज किसी को भी हिलने का मौका नहीं दूंगा। पेपर बंटने से पहले कक्षा में चिल्लपों मचा हुआ था। जैसे ही पेपर दिया कक्षा में शांति सी छा गई मानो कक्षा में मेरे और अन्य कक्...

बच्चों को लौटा दो बचपन – आधुनिक पालन-पोषण पर...

धिकांश अभिभावकों ने आज बच्चों का बचपन अपनी अभिलाषाओं के तहत रौंद दिया है साथ ही इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का भी इसमें पूरा योगदान है। परिवर्तन संसार का नियम है किंतु परिवर्तन हमें किस दिशा की ओर ले जा रहा है प्रगति की जगह कहीं पतन तो नहीं हो रहा। इतना समझना तो जरूरी है। बच...

खुशियों के दीप – उम्मीद और संघर्ष की एक भावना...

दीपावली जैसे जैसे करीब आ रही थी गेंदा का दिल बैठे जा रहा था, तीन वर्षों से अभावों के चलते वह अपने प्राणो से प्रिय बच्चों को मिठाई खिलाने में भी असमर्थ थी। चिंता के सागर में डूबी सोचने लगी काश! यह आतिशबाजी और दीपों की जगमगाहट न होती तो बच्चों को दीपावली के आन...

राधा की प्रेम-साधना – एक अद्वितीय समर्पण

एक दिन भगवान श्रीकृष्ण की आठों रानियाँ—रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रविंदा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा—सभी ने राधा से जिज्ञासा की:

"राधा, कृष्ण से विवाह तो हमारा हुआ, लेकिन सदा उनका नाम तुम्हारे साथ ही क्यों...

पितृपक्ष की एक भावनात्मक कथा | Pitru Paksha

"राघव ! तुम तो माँ की तस्वीर को ऐसे निहार रहे जैसे सचमुच मां तुम्हें देख रही हो ..."

गीता, माँ भले ही मुझसे दूर है पर मैं उनका आशीर्वाद हर पल अपने साथ महसूस करता हू्ं, और न जाने क्यों पितृपक्ष के यह पंद्रह दिन अधिक ही प्रसन्नतापूर्वक जाते हैं लगता है जैसे माँ यहीं घर में साथ हैं, और आज तो...

दोस्त – एक प्रेरणादायक कहानी सच्ची दोस्ती और...

पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, देखते ही देखते भूमि के अगल बगल में ऑटोग्राफ लेने वालों का ताता लग गया आज तो उसका यह पहला ही शो था, और पहले ही प्रोग्राम में उसे इतनी सफलता मिल जायेगी इसकी तो उसे दूर दूर तक उम्मीद नहीं थी। उसकी आवाज में गजब का जादू...

बांसुरी के बोल - राधा, गोपियाँ और बांसुरी का...

एक दिन राधा और उसकी प्रिय सखियां ललिता, विशाखा, चंपकलता, चित्रा, सुदेवी, तुंगविद्या, इंदुलेखा और सुंदरी की कृष्ण की बांसुरी के साथ मुलाकात हो गई। सभी एक साथ बांसुरी की कटु आलोचना करते हुए बोली- "तुम्हारे कारण हमने ब्रज छोड़ने का निर्णय लिया है।"

परवरिश - माँ के आत्मचिंतन की कहानी

मन आत्मग्लानि से लबरेज था धिक्कार है ऐसे मातृत्व पर, आज स्वयं पर ही क्रोध आ रहा था। आँखों से अविरल अश्रुधारा प्रवाहित हुए जा रही थी। मैं अवि को और वे मुझे सजल नैनों से बस देख रहे थे। "संतानोत्पति करना तो बहुत सरल है, पर परवरिश करना बहुत मुश्किल।" आज बेचैन मन कुछ सोच प...

;
MX Creativity
©2020, सभी अधिकार भारतीय परम्परा द्वारा आरक्षित हैं। MX Creativity के द्वारा संचालित है |