गोवर्धन पर्वत आज भी और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक भक्त और भगवान के भरोसे की दृढ़ता को दर्शाता है और दर्शायेगा। जब हम पूर्ण समर्पण भगवान के चरणों में करते हैं तब हर प्रकार से भगवान अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनके विश्वास को टूटने नहीं देते हैं। उसका साक्षात्...
जैसे के नाम से ही पहचाना जा सकता है कि यह त्योहार ऋषियों से जुड़ा है, हिन्दू पंचांग के भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषियों की पूजा करके यह त्योहार मनाया जाता है। सप्त ऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त करने और सुख, शांति, मंगल और समृद्धि की कामना से यह व्रत रखा जाता...
कृष्ण जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के एक दिन बाद भाद्रपद की नवमीं को दही हांडी का पर्व बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व में एक मिट्टी की हांड़ी (मटकी) में दही - माखन, दूध, फूल और पानी भर के ऊंचाई पर लटका देते है और फिर एक मानव पिरामिड बनाकर उस हांड़ी को...
आषाढी एकादशी (जिस को देव शयनी एकादशी भी कहते है) के दिन महाराष्ट्र के चंद्रभागा नदी के तट पर बसे हुए पंढरपुर में यह महायात्रा होती है। इस यात्रा में महाराष्ट्र के कोने-कोने से और बाहर से भी लोग आते हैं। जिसके मन में भक्ति भाव हो वह हर जाती या धर्म का इंसान इस यात्रा क...
भारतीय त्योहार "गुरु पूर्णिमा" जो कि हर धर्म, हर जाति के लोग इसे मनाते हैं। "गुरु पूर्णिमा" यह हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। "गुरु पूर्णिमा" को व्यास पूर्णिमा भी कहां जाता है। इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्मदिवस भी मनाया...
आइए भारतीय परंपरा के साथ एक और गौरवशाली परंपरा की बात करते हैं इस देश के उपवन में कई जाति के भिन्न-भिन्न फूल खिले हैं और यह अलग-अलग होते हुए भी सभी एक हैं और सभी एक दूसरे के भावनाओं का सम्मान करते हैं|
उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरम्भ होती है और शुक्ल पक्ष की ग्यारस को रथयात्रा का समापन होता है। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा तीनों अलग-अलग रथों पर सवार होत...
भारतीय संस्कृति में गुरु को देवता तुल्य माना जाता है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का यह पर्व महार्षि वेद व्यास जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में गुरु को देवता तुल्य माना जाता है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिम...
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनायी जाती हैं। अक्षय शब्द को २ भाग में विभाजित करके इसके अर्थ को आसानी से समझा सकता है, अ + क्षय जिसका कभी क्षय (नाश) ना हो। भविष्यपुराण, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, स्कन्दपुराण में...
साजिबू नोंग्मा पैनाबा नाम मणिपुरी शब्दों से मिलकर ही बना है, साजिबू - वर्ष का पहला महीना जो आमतौर पर अप्रैल के महीने के दौरान मेइती चंद्र कैलेंडर के अनुसार आता है, नोंग्मा - एक महीने की पहली तारीख, पैनाबा - से हो। जिसका शाब्दिक अर्थ नए साल के पहले महीने का पहला दिन है...
गणगौर राजस्थान एवं सीमावर्ती राज्यों का एक मुख्य त्योहार है, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को गणगौर का व्रत किया जाता है। यह व्रत महिलाये अपने पति की लम्बी आयु के लिए और कुंवारी कन्याएँ मनचाहे पति की प्राप्ति के लिए रखती है। इस दिन कुवांरी कन्याये एवं विवाहित महिल...
गणगौर मनाने के पीछे एक पौराणिक कहानी है जिसे आज भी हम गणगौर के दिन सुनते हैं। एक बार की बात है शिवजी पृथ्वी लोक पर भ्रमण की बात पार्वती जी से करते हैं। पार्वती जी कहती हैं मैं भी आपके साथ चलूँगी। दोनों पृथ्वी की और प्रस्थान करते हैं, और भ्रमण करते- करते पार्वती जी पृथ...
