Bhartiya Parmapara

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्‍माँडा की पूजा,...

हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था तब देवी कूष्‍माँडा ने अपने ईश्‍वरीय हास्‍य से ब्रह्माँड की रचना की थी। यही वजह है क‍ि देवी को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है। इसी के चलते माता को "आदिशक्ति व आदिस्वरूपा"...

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा,...

शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना की जाती है। माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों में वीरता, निर्भयता, सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। इस दिन माँ के विग्रह का पूजन और अराधना की जाती है | मान्‍यता है कि माँ चंद्रघंटा के घं...

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूज...

नवदुर्गा की नौ शक्तियों का यह दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। ब्रहा + चारिणी में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। तप व संयम का आचरण करने वाली भगवती को ही ब्रह्मचारिणी कहा गया। माँ दुर्गा...

नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा, व...

नवरात्रि के त्योहार की 9 दिनों तक बड़ी धूम धाम रहती है, इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है। कलश या घट स्थापना के पश्चात माँ शैलपुत्री की पूजा विधि विधान से की जाती है। शैलीपुत्री हिम...

शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना कैसे करे ? | क...

शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना, नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है। घट स्थापना को कलश स्थापना भी कहा जाता है। घट स्थापित करके शक्ति की देवी का आह्वान करना होता है। मान्यता है कि रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित नहीं करना चाहिए| घट कैसे स्थापित करे...

श्राद्धपक्ष के दौरान न करें ये काम | पितृपक्ष

माना जाता है कि पितृपक्ष के 16 दिनों के दौरान सभी पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी लोक पर आते हैं। वे भी अपने घर परिवार का ही हिस्सा होते है, उनके लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान किया जाता है। इन अनुष्ठानों को करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे...

अधिक मास में दान का महत्व | पुरुषोत्तम मास की...

अधिक मास में दान का महत्व: हिन्दू पंचांग के अनुसार अधिक मास एक पवित्र अवधि होती है, जिसमें दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस मास में दान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। अधिक मास में पूजा-पाठ, दान, जाप और आराधना का फल भी अधिक मिलता ह...

क्यों होता है अधिकमास | अधिकमास का पौराणिक आध...

भारतीय पंचांग (खगोलीय गणना) के अनुसार प्रत्येक तीसरे वर्ष एक अधिक मास होता है। यह सौर और चंद्र मास को एक समान लाने की गणितीय प्रक्रिया है। शास्त्रों के अनुसार पुरुषोत्तम मास में किए गए जप, तप, दान से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। सूर्य की बारह संक्रांति होती हैं औ...

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं | हनुमान जयंती

"गुरु" का न होना लघु होना है। जीवन में गुरु के महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है। अर्थात "जो अपने कर्म, ज्ञान एवं व्यवहार से हमारी लघुता मिटा दे वही गुरु है।" इस परिभाषा की दृष्टि से हनुमानजी एक महान गुरु हैं।
हमारे जीवन से लघुता को मिटाने के लिये गुरु हमें तीन चीज देते हैं। वह तीन चीज है दी...

क्या है पितृपक्ष की पौराणिक कथा ?

शास्त्रों के अनुसार जब महाभारत के युद्ध में दानवीर कर्ण का निधन हो गया और उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंची, तो उन्हें खाने के लिए भोजन की बजाय सोना, चांदी और गहने दिए गए। हैरान होकर कर्ण की आत्मा ने इंद्र देव से इसका कारण पूछा, तब इंद्र देव ने कर्ण को बताया कि आपने अपने पूरे...

श्राद्ध क्या होते है? | पितरों को श्राद्ध की...

मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले अत्रि मुनि ने श्राद्ध का उपदेश दिया था। इसके बाद सबसे पहला श्राद्ध महर्षि निमि ने निकाला था। बाद में धीरे-धीरे कई अन्य महर्षि भी श्राद्ध कर्म करने लगे और पितरों को अन्न का भोग लगाने लगे। जैसे-जैसे श्राद्ध की परंपरा बढ़ती गई देवता और पितर...

अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन | गणपति विसर्जन

हिंदू पंचांग के अनुसार 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव पर घरों और पंडालों में स्थापित विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन अंनत चतुर्दशी पर किया जाता है। 

;
MX Creativity
©2020, सभी अधिकार भारतीय परम्परा द्वारा आरक्षित हैं। MX Creativity के द्वारा संचालित है |