पंचाग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयदशमी, दशहरे अथवा आयुध पूजा के रुप में देशभर में मनाया जाता है। दशहरा हिंदूओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इसी दिन पुरूषोत्तम भगवान राम ने रावण का वध किया था। यह त...
नवरात्रि के नौवें दिन को महानवमी कहा जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। मां दुर्गा का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है, कहते हैं कि सिद्धिदात्री की आराधना करने से सभी प्रकार का ज्ञान आसानी से मिल जाता है, सा...
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। पुराणों के अनुसार शुंभ निशुंभ से पराजित होने के बाद देवताओं ने गंगा नदी के तट पर देवी महागौरी से ही अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की थी। माँ महागौरी का रंग अत्यंत गौर...
नवरात्रि के छठे दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी पार्वती ने यह रूप महिषासुर का वध करने के लिए धारण किया था। माँ कात्यायनी की उपासना से जीवन के चारों पुरुषार्थों अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की आसानी से प्राप्त हो जाती है। माँ कात्यायनी की पूजा म...
नवरात्रि का सातवां दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा-अर्चना होती है। माँ की पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है, इस कारण से माँ कालरात्रि को शुभंकरी के नाम से भी पुकारा जाता है। माँ के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है और माँ की...
नवरात्रि के पांचवे दिन देवी के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है, स्कंदमाता हिमायल की पुत्री पार्वती ही हैं। इन्हें गौरी भी कहा जाता है। कुमार कार्तिकेय को भगवान स्कंद के नाम से जाना जाता है और ये देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति थे। इनकी माँ देवी दुर्गा थीं औ...
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था तब देवी कूष्माँडा ने अपने ईश्वरीय हास्य से ब्रह्माँड की रचना की थी। यही वजह है कि देवी को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है। इसी के चलते माता को "आदिशक्ति व आदिस्वरूपा"...
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना की जाती है। माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों में वीरता, निर्भयता, सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। इस दिन माँ के विग्रह का पूजन और अराधना की जाती है | मान्यता है कि माँ चंद्रघंटा के घं...
नवदुर्गा की नौ शक्तियों का यह दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। ब्रहा + चारिणी में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। तप व संयम का आचरण करने वाली भगवती को ही ब्रह्मचारिणी कहा गया। माँ दुर्गा...
नवरात्रि के त्योहार की 9 दिनों तक बड़ी धूम धाम रहती है, इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है। कलश या घट स्थापना के पश्चात माँ शैलपुत्री की पूजा विधि विधान से की जाती है। शैलीपुत्री हिम...
शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना, नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है। घट स्थापना को कलश स्थापना भी कहा जाता है। घट स्थापित करके शक्ति की देवी का आह्वान करना होता है। मान्यता है कि रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित नहीं करना चाहिए| घट कैसे स्थापित करे...
माना जाता है कि पितृपक्ष के 16 दिनों के दौरान सभी पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी लोक पर आते हैं। वे भी अपने घर परिवार का ही हिस्सा होते है, उनके लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान किया जाता है। इन अनुष्ठानों को करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे...
