Bhartiya Parmapara
रिश्वतखोरी का अभिशाप

रिश्वतखोरी का अभिशाप

रिश्वत या फिर सरल शब्दों में घूस कह लें, इससे तो हर कोई परिचित होगा और यह किसी भी राष्ट्र या अच्छे समाज के लिए एक अभिशाप से कम नहीं हैं। सत्ता, शासन प्रशासन से लेकर हर...

प्रकृति संरक्षण ही जीवन बीमा है – पेड़ बचाएं, पृथ्वी बचाएं

प्रकृति संरक्षण ही जीवन बीमा है – पेड़ बचाएं, पृथ्वी बचाएं

आप लोगों में से कितनों ने अपना जीवन बीमा या स्वास्थ्य बीमा करवाया है? और क्या गारंटी है कि वो आपके लिए हितकर होगा। यदि बीमा को भोगने से पहले धरती और पूरे जीव जगत का अस्...

मेरे गाँव की परिकल्पना – विकास और विनाश पर एक काव्यात्मक चिंतन

मेरे गाँव की परिकल्पना – विकास और विनाश पर एक काव्यात्मक चिंतन

घायल पड़ी औरत को देखकर मैंने पूछा- अरे! तुम कौन? ऐसी दुर्दशा किसने की?उसने अपना नाम धरती बताते हुए कहा - "तुम मेरी छाती पर खड़े होकर मुझे ही भूल गए?“ यह एक प्रश्न...

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