
भारत त्योहारों का देश है। पूरे साल कई बड़े त्योहार देशवासी पुरे उत्साह के साथ मनाते है। उन्हीं में से एक होली का त्योहार है। राग और रंगों के इस त्योहार में लोग गीले-शिकवे भूलकर एक दूसरों को गले लगाते है और खूब मौजमस्ती भी करते है। भारत के अलावा नेपाल में भी पुरे उत्साह के साथ लोग होली पर्व को मनाया जाता है।
संस्कृति और त्योहारों से परिपूर्ण भारत देश में विभिन्न राज्यों में होली मनाने का तरीका भी विभिन्न है। जैसे की वृन्दावन में फूलो से होली खेली जाती है जबकि बरसाने में लठमार होली का प्रचलन है। आये जाने देश के हर कोने में कैसे होली का त्योहार मनाया जाता है -
- वृंदावन में होली का त्योहार एकादशी के साथ ही शुरू हो जाता है। एकादशी के दूसरे दिन से ही कृष्ण और राधा के सभी मंदिरों में फूलों की होली खेली जाती है। फूलों की होली में ढेर सारे फूल एकत्रित कर एक-दुसरे पर फैके जाते है। जिसके बीच आती राधे-राधे की गूंज द्वापर युग की स्मृति दिलाती है। लेकिन वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर की होली की रौनक कुछ अनोखी ही होती है। इस दौरान बांके बिहारी जी की मूर्ति को मंदिर के बाहर रख दिया जाता है। मानो स्वयं श्री बांके बिहारी जी होली खेलने आये हो। यहाँ होली सात दिनों तक चलती है | सबसे पहले फूल, उसके बाद गुलाल, सूखे रंगों अंत में गीले रंगों से होली खेली जाती है।
- ब्रज के बरसाने गाँव की लठ मार होली पुरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह होली के कुछ दिन पहले खेली जाती है। यहाँ होली को कृष्ण व् राधा के अनूठे प्रेम के साथ जोड़ कर देखा जाता है। कहा जाता है की श्री कृष्ण और उनके दोस्त राधा की सखियों को तंग किया करते थे जिस पर उन्हें मार पड़ती थी। इसीलिए यहाँ होली पर मुख्यत नंद गाँव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं भाग लेती है। क्योंकि श्री कृष्ण नंद गाँव के और राधा रानी बरसाने की थी। नंद गाँव की टोली जब पिचकारियों के साथ बरसाने पहुंचती है तो ढोल की थाप पर बरसाने की महिलाएं पुरुषो को लाठियों से पिटती है। पुरुषों को इन लाठियों की मार से बचना होता है और महिलाओं को रंगो से भिगोना होता है। इस दौरान कई हजार लोग उन पर रंग फैंकते है।
- पंजाब का होला-मोहल्ला सिखों के पवित्र धर्मस्थान श्री आनंदपुर साहिब में होली के अगले दिन लगने वाले मेले को होला मोहल्ला कहते है। सिखों के दशम गुरु गोबिंद सिंह जी ने स्वयं इस मेले की परम्परा शुरू की थी। पंज प्यारे जुलूस का नेतृत्व करते हुए रंगों की बरसात करते है और निहंगो के अखाड़े नागी तलवारों के करतब दिखा कर साहस, पौरुष और उल्लास का प्रदर्शन करते है। ये जुलूस हिमाचल प्रदेश की सीमा पर बहती एक छोटी नदी चरण गंगा के तट पर समाप्त होता है।
- हरियाणा की धुलेंडी भारतीय संस्कृति में रिश्तों और कुदरत के बीच सामंजस्य का अनोखा मिश्रण हरियाणा की होली में देखने को मिलता है। हरियाणा में होली को एक अलग अंदाज धुलेंडी के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो हरियाणा की होली बरसाने की लठमार होली के समान ही है पर यहाँ इस दिन भाभियाँ अपने देवरों को डंडे या कोड़े से पिटती है और देवर को पीटने से बचना होता है और भाभी को रंग लगाना होता है | आज के दिन भाभियो को अपने देवर को पीटने की आजादी होती है, मतलब भाभियाँ अपने देवरों से उनकी शरारतों का बदला लेती है। पुरे दिन की मार पिटाई की इस होली के बाद शाम को देवर अपनी भाभी के लिए उपहार लाता है और भाभी उन्हें मिठाई खिला के आशीर्वाद देती है।
- बिहार की फागु पूर्णिमा बिहार में होली के मौके पर गाये जाने वाले लोकगीत फगुआ की गायन शैली की अलग ही पहचान है। इसीलिए यहाँ की होली को फगुआ के नाम से भी जानते है। बिहार और उससे जुड़े उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों में इसे हिंदी नववर्ष के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है। यहाँ होली तीन दिन तक मनाई जाती है। पहले दिन रात में होलिका दहन होता है। अगली दिन इससे निकली राख से होली खेली जाती है, जिसे "धुलेठी" कहते है।
तीसरे दिन फागु (फागु का अर्थ लाल रंग होता है) से होली खेली जाती है। होली के दिन लोग ढोलक की धुन पर नृत्य करते है, लोकगीत गाते हुए एक-दुसरे को रंग लगाते है। बिहार के कुछ स्थानों में कीचड़ की होली खेली जाती है और कई जगहो में कपडा फाड़ होली की परम्परा भी है।
राजस्थान की होली -
भारत देश के समान ही राजस्थान प्रदेश में भी अलग अलग शहरो में अलग अलग संस्कृति है| होली के अवसर पर भी अपनी अलग अलग परम्पराये है। इसमें कही गुलाल से, कही कोड़ा मार होली, कही राजस्थानी गैर नृत्य, और कही नुक्कड़ नाटक के साथ होली का त्योहार मनाया जाता है। नुक्कड़ नाटक या तमाशे पौराणिक कथाओ पर आधारित होते है जिन्हे राजस्थानी चित्रकारी मर भी देखा जा सकता है।
राजस्थान में हर जगह होली का अलग ही रंग चढ़ता है। हर जगह के अलग तरीके, हर जगह के अलग रिवाज।
लट्ठमार होली (करौली व भरतपुर)
ब्रज के बरसाना गाँव में लठमार होली खेली जाती हैं। ब्रज में वैसे भी होली ख़ास मस्ती भरी होती है क्योंकि इसे कृष्ण और राधा के प्रेम से जोड़ कर देखा जाता है। करौली और भरतपुर भाग में भी लठमार होली का प्रचलन है जिसमे मर्दो की टोलियाँ महिलाओं पर पिचकारिसे रंग बरसते है और उनपर महिलाएँ खूब लाठियाँ बरसाती हैं। पुरुषों को इन लाठियों से बचना होता है।
पत्थरमार होली (बाड़मेर व डूंगरपुर)
राजस्थान के बाड़मेर और डूंगरपुर जगहो में आदिवासी जनजाति पत्थरमार होली खेलते है | ढोल और चंग की आवाज जैसे-जैसे तेज होती है, वैसे-वैसे लोग दूसरी टीम को तेजी से पत्थर मारना शुरू कर देते हैं। बचने के लिए हल्की-फुल्की ढाल और सिर पर पगड़ी का इस्तेमाल होता है। यह एक खतरनाक प्रथा है जिसमे लोग खून भरी होली खेलते है। डूंगरपुर के भीलूड़ा गांव की प्रथा है ये।
कोड़ामार होली (श्रीगंगानगर)
नये चलन में पुरानी परंपराएं बड़े-बुजुर्गों के स्मृतियों में आज भी कैद है। जनपद की कोड़ामार होली भी अब सिर्फ किस्से कहानियों तक सीमित होकर रह गयी है। ढोल की थाप और डंके की चोट पर जहां हुरियारों की टोली रंग-गुलाल उड़ाती निकलती थी। वहीं महिलाओं की मंडली किसी सूती वस्त्र को कोड़े की तरह लपेट कर कोड़े को रंग में भिगोकर इसे मारती हैं।
चंग व गीदड़ (शेखावाटी)
चूड़ीदार पायजामा-कुर्ता या धोती-कुर्ता पहनकर कमर में कमरबंद और पाँवों में घुंघरू बाँधकर ‘होली’ के दिनों में किये जाने वाले चंग नृत्य के साथ होली के गीत भी गाये जाते हैं। प्रत्येक पुरुष चंग को अपने एक हाथ से थामकर और दूसरे हाथ से कटरवे का ठेका से व हाथ की थपकियों से बजाते हुए वृत्ताकार घेरे में सामूहिक नृत्य करते हैं ,साथ में बांसुरी व झांझ बजाते रहते है व पैरो में बंधे घुंघरुओं से रुनझुन की आवाज निकलती रहती है। भाग लेने वाले कलाकार पुरुष ही होते हैं, किंतु उनमें से एक या दो कलाकार महिला वेष धारण कर लेते हैं, जिन्हें ‘महरी’ कहा जाता है।
गोटा गैर (भीनमाल)
गोटा गैर होली में पुरूष मंडली हाथों डंडे लेकर नृत्य करते हैं। गैर नृत्य अपनी आँखों से देखने पर अद्भुत नजारा लगता है। एक हाथ से आगे वाले डंडे को और दूसरे हाथे से पीछे वाले के डंडे को मरना होता है, एक लय में किया गया यह नृत्य अद्भुद लगता है।
फूलों की होली (गोविंद देवजी मंदिर, जयपुर)
ब्रज की फूलो वाली होली विश्वभर में मशहूर है। ऐसे ही राजस्थान की राजधानी जयपुर में गोविंद देवजी मंदिर में ब्रज की तर्ज पर फूल की लाल और पीली पंखुडि़यों के साथ होली खेली जाती है।
डोलची होली (बीकानेर)
बीकानेर में होली एक अनूठे रूप में खेली जाती है। यहां दो गुटो में चमड़े की बनी डोलची को रंग के पानी से भरकर एक-दूसरे गुटों पर डालकर होली खेली जाती है। जहां चमड़े की बनी डोलची में पानी भरकर एक-दूसरे गुटों पर डाला जाता है।
कंकड़मार होली (जैसलमेर)
यहां कंकड़ से मारकर होली की बधाई दी जाती है। ये पथ्तर मार होली के समान ही होती है।
कंडों की राड़ (डूंगरपुर) डूंगरपुर के एक भाग में गोबर के कंडों की राख से होली खेली जाती है।
बादशाह मेला (ब्यावर, अजमेर)
अकबर बादशाह के नवरत्न में से एक टोडरमल अग्रवाल को ढाई दिन की बादशाहत मिलने की याद ताजा करने के उद्देश्य से धुलण्डी के दूसरे दिन अग्रवाल समाज द्वारा प्रशासन व जनसहयोग से प्रतिवर्ष बादशाह का मेला आयोजित किया जाता है। जिसमें बादशाह अकबर की सवारी ट्रक में बैठकर गुलाल उड़ाते है और बीरबल उनकी सवारी के आगे नाचते हुवे चलते है |
प्रसिद्ध बादशाह मेले में बादशाह द्वारा लुटाई गई गुलाल को "बादशाह खर्ची दे" के नाम से सोने की अशर्फियों की तरह नगर के लोग लूटने को तत्पर दिखाई देते हैं। ऐसी मान्यता है कि लूटी हुई यह लाल गुलाल अपनी तिजोरी व दुकान के गल्ले में रखना कारोबार में वृद्धि के लिए लाभकारी है तथा इससे खजाना कभी खाली नहीं होता।
Login to Leave Comment
LoginNo Comments Found
संबंधित आलेख
तिल चौथ | वक्रतुण्डी चतुर्थी | तिलकुटा चौथ व्रत विधि
तेजादशमी पर्व
जगन्नाथ रथयात्रा | उत्कल प्रदेश के श्री जगन्नाथ भगवान | ओडिशा
रामदेव जयंती | लोकदेवता रामदेव जी पीर
रक्षाबंधन | राखी त्योहार के पीछे क्या तर्क है?
नवरात्रि का महत्व | साल में कितनी बार नवरात्रि आती है ?
शरद पूर्णिमा | शरद पूर्णिमा का महत्व
साजिबू नोंग्मा पैनाबा
ऋषि पंचमी का त्योहार | माहेश्वरी रक्षाबंधन
श्राद्धपक्ष के दौरान न करें ये काम | पितृपक्ष
क्या है पितृपक्ष की पौराणिक कथा ?
ओणम पर्व इतिहास और महत्व
मकर संक्रांति पर्व
नवरात्रि के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माँडा की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के सातवे दिन माँ कालरात्रि की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
लाभ पंचमी का महत्व, व्यापारियों के लिए खास है ये दिन, लाभ पंचमी | सौभाग्य पंचमी
कार्तिक माह स्नान का महत्व | जाने कार्तिक माह में किये जाने वाले व्रत के प्रकार | Importance of Kartik Maah
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
करवा चौथ व्रत | छलनी में क्यों देखा जाता है चाँद और पति का चेहरा?
शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना कैसे करे ? | कलश स्थापना
पर्युषण पर्व | जैन समाज का पर्युषण पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता हैं ?
होली की परम्पराये | होली मनाने का तरीका
हरतालिका व्रत का महत्व | हरतालिका व्रत क्यों करते है ?
क्यों मनाई जाती है आषाढ़ की पूनम को गुरु पूर्णिमा | गुरु पूर्णिमा
गुप्त नवरात्रि क्यों मनाते है ? | गुप्त नवरात्रि का महत्व
गोवर्धन पूजा क्यो करते हैं ? | अन्नकूट का त्योहार
गणपति बप्पा मोरया | जाने गणेश जी को "गणपति बप्पा मोरया" क्यों कहते है ?
गणगौर का व्रत एवं पूजा | गणगौर व्रत
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन | गणपति विसर्जन
गणेश उत्सव क्यों मनाते है - Why Celebrate Ganesh Utsav ?
दशहरा, विजयादशमी और आयुध-पूजा क्यों मनाते है ?
दीपावली पर किये जाने वाले उपाय | दीवाली पूजा | लक्ष्मी पूजन
दीपावली क्यों मनाते हैं? - जानें इसका महत्व और इतिहास
परिवर्तिनी एकादशी | परिवर्तिनी एकादशी: महत्व, पूजा विधि और लाभ
दीपावली पूजन विधि और पूजा सामग्री | लक्ष्मी पूजन की विधि
जानें क्यों मनाया जाता है धनतेरस का त्योहार ? | धनतेरस
होली - रंग अनेक, तरीके अनेक
जानिए क्यों मनाई जाती है देव दिवाली | देव दिवाली | कैसे शुरू हुई देव दिवाली मनाने की परंपरा
दही हांडी | दही हांडी पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता है ?
नरक चतुर्दशी, काली चौदस, रूप चौदस, छोटी दीवाली या नरक निवारण चतुर्दशी का महत्व
जानें क्यों मनाया जाता है छठ पूजा का त्योहार, किसने शुरू की परंपरा?
चेटीचंड का त्योहार क्यों मनाते है ? | झूलेलाल जयंती
भाई दूज | जानें, कैसे शुरू हुई भाई दूज मनाने की परंपरा, कथा और महत्व
ब्यावर का ऐतिहासिक बादशाह मेला | Beawar City
आदि पेरुक्कु का त्योहार | तमिलनाडु का मानसून त्योहार
नीम की डाली / टहनी से बड़ी (सातुड़ी) तीज की पूजा क्यों की जाती है ? | सातुड़ी तीज
बसंत पंचमी क्यों मनाते है ? | बसंत पंचमी का महत्व
अनंत चतुर्दशी का महत्व | विष्णु जी की पूजा
अक्षय तृतीया | क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया? | अक्षय तृतीया का महत्व क्या है ?
होली क्यों मनाते है? | होली का महत्व
अधिक मास में दान का महत्व | पुरुषोत्तम मास की तिथिनुसार दान सामग्री
अहोई अष्टमी का महत्व, अहोई अष्टमी की पूजा विधि और अहोई अष्टमी की कथा | Ahoi Ashtami Vrat
उगादी या युगादी का त्योहार क्यों मनाते है ?
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं | हनुमान जयंती
वट सावित्री व्रत | वट सावित्री व्रत का महत्व
पंढरपुर की वारी | भगवान विट्ठल
गुड़ी पाड़वा
महाशिवरात्रि
दिवाली - रामा सामा
महाराष्ट्र की महालक्ष्मी
राम की शक्ति पूजा और नवरात्रि का आरंभ | रामनवमी
निर्जला एकादशी | निर्जला एकादशी की कथा
गुप्त नवरात्रि की उपादेयता
हरियाली अमावस्या | शिव भक्ति | सावन का मौसम
देव शयनी एकादशी | देवउठनी एकादशी | हरि प्रबोधिनी एकादशी
श्री गोवर्धन पूजा एवं प्राकट्य
श्री गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट
जया एकादशी का महत्व | जया एकादशी व्रत
मोक्षदा एकादशी | गीता जयंती | मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी
पौष पुत्रदा एकादशी | पुत्रदा एकादशी | पुत्रदा एकादशी का व्रत
षटतिला एकादशी | षटतिला का अर्थ | षटतिला एकादशी व्रत
महाशिवरात्रि का महत्व | महा शिवरात्रि का व्रत | भगवान शिव
म्हारी गणगौर | गणगौर पूजा | गणगौर का त्योहार
होली के रंग जीवन के संग
माहेश्वरी उत्पत्ति दिवस | महेश नवमी | माहेश्वरी
शीतला सप्तमी/बासोड़ा पूजा | Sheetla Saptami Puja
कजली तीज
मकर संक्रांति का त्यौहार
महा शिवरात्रि | शिव की पूजा कैसे करें | बारह ज्योतिर्लिंग
सौभाग्य को बनाये रखने हेतु मनाया जाता है गणगौर पर्व
अक्षय फलदायक पर्व है अक्षय तृतीया
श्री राम सीता का विवाह | विवाह पंचमी
पोंगल का त्योहार | कैसे मनाया जाता है पोंगल ?
हनुमान जयंती | हनुमान जयंती कैसे मनाते है ?
गुरु पूर्णिमा | गुरु पूर्णिमा का अर्थ | गुरु पूर्णिमा का महत्व
देवी राधा का जन्मदिन | राधाष्टमी की पूजा विधि
पोला-पिठोरा (पोळा) - किसानों का प्रमुख त्योहार
मारबत - नागपुर का मारबत पर्व
श्री लक्षेश्वर - महाशिवरात्रि पर्व
चैत्र नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि के नवमें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
वट सावित्री व्रत
शरद पूर्णिमा व्रत कथा | शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
श्राद्ध क्या होते है? | पितरों को श्राद्ध की प्राप्ति कैसे होती है ?
क्यों होता है अधिकमास | अधिकमास का पौराणिक आधार
डोर विश्वास की : रक्षाबंधन
हरतालिका तीज
दुर्गा पूजा: अच्छाई की विजय और सांस्कृतिक धरोहर का पर्व
हमारे लोक पर्व - सांझी माता या चंदा तरैया
सिंदूर खेला
करवा चौथ में चाँद को छलनी से क्यों देखते हैं?
दीपावली का प्रारंभ दिवस - धनतेरस
दीपावली पर बच्चों को देश की संस्कृति एवं परंपरा से जोड़ें
नाग पंचमी | Naag Panchami
कृष्ण जन्माष्टमी – महत्व, कथा और उत्सव
ऋषि पंचमी – परंपरा और प्रेम का पवित्र सूत्र | Rishi Panchami
महालया से छठ पूजा तक – भारतीय पर्वों की आध्यात्मिक यात्रा
अक्षय नवमी: प्रकृति पूजन और आंवला वृक्ष की पूजा का पर्व | Akshaya Navami
देवोत्थान एकादशी – एक शुभ आरंभ का दिन
सफला एकादशी व्रत: शुभता और सिद्धि का पर्व | Saphala Ekadashi
लेखक के अन्य आलेख
नाग पंचमी | Naag Panchami
सिंदूर खेला
दुर्गा पूजा: अच्छाई की विजय और सांस्कृतिक धरोहर का पर्व
क्यों होता है अधिकमास | अधिकमास का पौराणिक आधार
श्राद्ध क्या होते है? | पितरों को श्राद्ध की प्राप्ति कैसे होती है ?
शरद पूर्णिमा व्रत कथा | शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
गणेश जी की आरती
माहेश्वरी समाज की वंशोत्पत्ति दिवस
2 जून की रोटी: संघर्ष और जीविका की कहानी
नवरात्रि के नवमें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
महा शिवरात्रि | शिव की पूजा कैसे करें | बारह ज्योतिर्लिंग
कुरकुरे पकोड़े
मसालों को ख़राब / जाले पड़ने से कैसे बचाये ?
पास्ता और नूडल्स
टेस्टी पराठें
रोटी या चपाती के लिए आटा अच्छा कैसे गुंधा जाए ?
छोटे छोटे गोल्स बनाएं
अपनी प्रतिभा (कौशल) को ढूंढे
मसूड़ों में खून निकलना और सूजन आना
बालों का झड़ना
आँखों में जलन और खुजली
शरीर पर दाद
खुजली (Itchy Skin)
गोंद के लड्डू
घर पर खाद कैसे बनाये ?
हिंदी वर्णमाला की संपूर्ण जानकारी | हिंदी वर्णमाला
उगादी या युगादी का त्योहार क्यों मनाते है ?
योग का वर्गीकरण
तुलसी जी कौन थी? कैसे बनी तुलसी पौधे के रूप में ? | तुलसी विवाह
शादी में क्यों मारा जाता है तोरण?
अहोई अष्टमी का महत्व, अहोई अष्टमी की पूजा विधि और अहोई अष्टमी की कथा | Ahoi Ashtami Vrat
अधिक मास में दान का महत्व | पुरुषोत्तम मास की तिथिनुसार दान सामग्री
होली क्यों मनाते है? | होली का महत्व
अक्षय तृतीया | क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया? | अक्षय तृतीया का महत्व क्या है ?
अनंत चतुर्दशी का महत्व | विष्णु जी की पूजा
मंदिर शब्द की उत्पत्ति कब हुई | मंदिर का निर्माण कब से शुरू हुआ?
बसंत पंचमी क्यों मनाते है ? | बसंत पंचमी का महत्व
नीम की डाली / टहनी से बड़ी (सातुड़ी) तीज की पूजा क्यों की जाती है ? | सातुड़ी तीज
आदि पेरुक्कु का त्योहार | तमिलनाडु का मानसून त्योहार
ब्यावर का ऐतिहासिक बादशाह मेला | Beawar City
भाई दूज | जानें, कैसे शुरू हुई भाई दूज मनाने की परंपरा, कथा और महत्व
चेटीचंड का त्योहार क्यों मनाते है ? | झूलेलाल जयंती
जानें क्यों मनाया जाता है छठ पूजा का त्योहार, किसने शुरू की परंपरा?
नरक चतुर्दशी, काली चौदस, रूप चौदस, छोटी दीवाली या नरक निवारण चतुर्दशी का महत्व
दही हांडी | दही हांडी पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता है ?
जानिए क्यों मनाई जाती है देव दिवाली | देव दिवाली | कैसे शुरू हुई देव दिवाली मनाने की परंपरा
होली - रंग अनेक, तरीके अनेक
जानें क्यों मनाया जाता है धनतेरस का त्योहार ? | धनतेरस
दीपावली पूजन विधि और पूजा सामग्री | लक्ष्मी पूजन की विधि
परिवर्तिनी एकादशी | परिवर्तिनी एकादशी: महत्व, पूजा विधि और लाभ
दीपावली क्यों मनाते हैं? - जानें इसका महत्व और इतिहास
दीपावली पर किये जाने वाले उपाय | दीवाली पूजा | लक्ष्मी पूजन
दशहरा, विजयादशमी और आयुध-पूजा क्यों मनाते है ?
गणेश उत्सव क्यों मनाते है - Why Celebrate Ganesh Utsav ?
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन | गणपति विसर्जन
गणगौर का व्रत एवं पूजा | गणगौर व्रत
गणपति बप्पा मोरया | जाने गणेश जी को "गणपति बप्पा मोरया" क्यों कहते है ?
गोवर्धन पूजा क्यो करते हैं ? | अन्नकूट का त्योहार
गुप्त नवरात्रि क्यों मनाते है ? | गुप्त नवरात्रि का महत्व
क्यों मनाई जाती है आषाढ़ की पूनम को गुरु पूर्णिमा | गुरु पूर्णिमा
हरतालिका व्रत का महत्व | हरतालिका व्रत क्यों करते है ?
हिंदी भाषा से जुड़े रोचक तथ्य
होली की परम्पराये | होली मनाने का तरीका
पर्युषण पर्व | जैन समाज का पर्युषण पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता हैं ?
शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना कैसे करे ? | कलश स्थापना
करवा चौथ व्रत | छलनी में क्यों देखा जाता है चाँद और पति का चेहरा?
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
कार्तिक माह स्नान का महत्व | जाने कार्तिक माह में किये जाने वाले व्रत के प्रकार | Importance of Kartik Maah
लाभ पंचमी का महत्व, व्यापारियों के लिए खास है ये दिन, लाभ पंचमी | सौभाग्य पंचमी
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के सातवे दिन माँ कालरात्रि की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माँडा की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ, उत्पत्ति और महत्व | महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय रखें इन बातों का ध्यान | Maha Mrityunjaya Mantra
मकर संक्रांति पर्व
ओणम पर्व इतिहास और महत्व
क्या है पितृपक्ष की पौराणिक कथा ?
श्राद्धपक्ष के दौरान न करें ये काम | पितृपक्ष
ऋषि पंचमी का त्योहार | माहेश्वरी रक्षाबंधन
साजिबू नोंग्मा पैनाबा
सप्ताह के किस दिन करें कौन से भगवान की पूजा | सात वार का महत्व
शरद पूर्णिमा | शरद पूर्णिमा का महत्व
सूर्य नमस्कार | सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने के क्या लाभ हैं?
नवरात्रि का महत्व | साल में कितनी बार नवरात्रि आती है ?
पूर्णिमा का महत्व | पूर्णिमा व्रत
रक्षाबंधन | राखी त्योहार के पीछे क्या तर्क है?
रामदेव जयंती | लोकदेवता रामदेव जी पीर
जगन्नाथ रथयात्रा | उत्कल प्रदेश के श्री जगन्नाथ भगवान | ओडिशा
सफलता क्या है? | अपने जीवन में सफलता को कैसे परिभाषित करें?
तेजादशमी पर्व
तिल चौथ | वक्रतुण्डी चतुर्थी | तिलकुटा चौथ व्रत विधि