
भारतीय संस्कृति में निहित वैज्ञानिक तथ्य एवं उनकी व्याख्या –
पीपल को पूजना - भारतीय स्त्रियां पीपल को देवता मानकर उसका सिंचन करती हैं। इसी को वैज्ञानिक दृष्टि से देखेंगे तो यह कहा जाता है कि पीपल को भारतीय संस्कृति में देवता माना जाता है। वह जीवन को प्रभावित करता है। तमाम लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं।
वैज्ञानिक तर्क के आधार पर इसकी पूजा इसलिए की जाती है ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटे नहीं। पीपल एकमात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी आक्सीजन प्रवाहित करता है। वैसे तो सभी वृक्ष उपयोगी व पूज्य हैं, परन्तु पीपल को भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अनेक पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है। जलाशयों व कुएं के समीप पीपल का उगना आज भी शुभ माना जाता है।
इस वृक्ष की जड़ के निकट बैठकर जप, दान, होम, स्रोत, पाठ, ध्यान व अनुष्ठान किया जाता है।
‘अश्वत्योपन व्रत’ में महर्षि शौनक बताते हैं कि प्रातः पीपल के वृक्ष को लगाकर आठ वर्षो तक पुत्र की भांति उसका पालन करना चाहिए, इसके पश्चात उपनयन संस्कार करके नित्य सम्यक् पूजा करने से अक्षय लक्ष्मी प्राप्त होती है। पीपल वृक्ष की नित्य तीन बार परिक्रमा करने व जल चढ़ाने पर दुःख का विनाश व स्वास्थ्य लाभ होता है। इस वृक्ष के दर्शन-पूजन से दीर्घायु, समृद्धि व यश की प्राप्ति होती है।
श्रीमद्भगवद्गीता में भी इसकी श्रेष्ठता का स्पष्ट उल्लेख है, श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं-
अश्वत्थः सर्व वृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः। गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः।।
मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष, देवर्षियों में नारद मुनि, गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल मुनि हूँ। स्वयं ईश्वर ने पीपल को अपनी उपमा देकर इसके देवत्व और दिव्यत्व को बताया है। इसी कारण शास्त्रों में पीपल के पत्तों को तोड़ना, इसको काटना या मूल सहित उखाड़ना वर्जित माना गया है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि ‘‘अश्वत्थः पूजितोयत्र पूजिताः सर्व देवताः’’ अर्थात् पीपल की पूजा विधि विधान के अनुसार करने से सम्पूर्ण देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं। अथर्ववेद में पीपल वृक्ष में देवताओं का निवास बताया गया है- ‘‘अश्वत्थो देवसदनः’’।
पर्यावरण शुद्धि की अद्भुत क्षमता
आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का असाध्य रोगों के निदान में उपयोग बताया गया है। भारत में उपलब्ध विविध वृक्षों में जितना अधिक औषधीय महत्व पीपल वृक्ष का है, अन्य किसी वृक्ष का नहीं है, यह निरंतर दूषित गैसों का विषपान करता रहता है। पृथ्वी पर पाये जाने वाले सभी-वृक्षों में पीपल को प्राणवायु को शुद्ध करने वाले वृक्षों में सर्वोत्तम माना गया है।
अतः प्राचीन आचार-विचार के आधार पर जीवन दृष्टि में परिवर्तन कर त्यागपूर्वक उपभोग को आधार मानकर समग्र कल्याण की बात होनी चाहिए।
प्रकृति के संसाधनों के प्रति श्रद्धा, आस्था, विश्वास, समर्पण व भक्ति भाव रखना होगा।
इसी में जैव नैतिकता के भाव समाहित है। इसी प्रकार के भावों का अनवरत प्रवाह भावी पीढ़ियों में होगा, तभी वृक्षों का संरक्षण संवर्द्धन होगा।
हजारों वर्ष पहले ऋग्वेद के ऋषियों ने ‘वृक्षों’, वनस्पतियों को संरक्षण दायी बताया था कि इनसे कल्याण है, इनका त्याग विनाश है।
- डॉ. दिनेश कुमार गुप्ता जी, प्रवक्ता,
अग्रवाल महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, गंगापुर सिटी, (राज.)
Login to Leave Comment
LoginNo Comments Found
संबंधित आलेख
पूर्णिमा का महत्व | पूर्णिमा व्रत
सप्ताह के किस दिन करें कौन से भगवान की पूजा | सात वार का महत्व
महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ, उत्पत्ति और महत्व | महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय रखें इन बातों का ध्यान | Maha Mrityunjaya Mantra
हिंदी भाषा से जुड़े रोचक तथ्य
मंदिर शब्द की उत्पत्ति कब हुई | मंदिर का निर्माण कब से शुरू हुआ?
तुलसी जी कौन थी? कैसे बनी तुलसी पौधे के रूप में ? | तुलसी विवाह
हिंदी वर्णमाला की संपूर्ण जानकारी | हिंदी वर्णमाला
अच्युत, अनंत और गोविंद महिमा
निष्कामता
हर दिन महिला दिन | Women's Day
33 कोटि देवी देवता
हिंदू संस्कृति के 16 संस्कार
हिंदी दिवस
शिक्षक दिवस
राखी
बचपन की सीख | बच्चों को लौटा दो बचपन
बात प्रेम की
महामाया मंदिर रतनपुर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़ | मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का ननिहाल
माँ बमलेश्वरी मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
माँ चंद्रहासिनी मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
खल्लारी माता मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहते थे | भारत देश
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस | World Menstrual Hygiene Day
ज्योतिष शास्त्र | शनि न्याय प्रिय ग्रह क्यों है ?
वास्तु शास्त्र | वास्तुशास्त्र का उदगम
वास्तुशास्त्र में पूजा कक्ष का महत्व
पंचवटी वाटिका | पंचवटी का महत्व स्कंद पुराण में वर्णित
कृतज्ञता
ज्योतिष की विभिन्न विधाये और राजा सवाई जयसिंह (जयपुर) का योगदान
संस्कारों की प्यारी महक
मिच्छामि दुक्कडम्
सत्संग बड़ा है या तप
ब्रह्मांड के स्वामी शिव
बलिदानी - स्वतंत्रता के नायक
महामृत्युंजय मंत्र | महामृत्युंजय मंत्र जाप
राम राज्य की सोच
भारतीय वैदिक ज्योतिष का संक्षिप्त परिचय
भारतीय वैदिक ज्योतिष का प्रचलन
मैच बनाने की मूल बातें (विवाह और ज्योतिष)
कुंडली मिलान | विवाह के लिए गुण मिलान क्यों महत्वपूर्ण है?
कुंडली चार्ट में घरों की बुनियादी समझ
सनातन संस्कृति में व्रत और त्योहारों के तथ्य
सनातन संस्कृति में उपवास एवं व्रत का वैज्ञानिक एवं धार्मिक पक्ष
2 जून की रोटी: संघर्ष और जीविका की कहानी
प्रकृति की देन - पौधों में मौजूद है औषधीय गुण
प्री वेडिंग – एक फिज़ूलखर्च
दो जून की रोटी
गणेश जी की आरती
भारतीय परम्परा की प्रथम वर्षगांठ
नव वर्ष
नहीं कर अभिमान रे बंदे
आज का सबक - भारतीय परंपरा
चाहत बस इतनी सी
नारी और समाज
माँ तू ऐसी क्यों हैं...?
दर्द - भावनात्मक रूप
पुरुष - पितृ दिवस
मितव्ययता का मतलब कंजूसी नहीं
सावन गीत
आया सावन
गुरु पूर्णिमा - गुरु की महिमा
सार्वजानिक गणेशोत्सव के प्रणेता लोकमान्य तिलक
शास्त्रीजी की जिन्दगी से हमें बहुत कुछ सीखने मिलता है | लाल बहादुर जयंती
कन्याओं को पूजन से अधिक सुरक्षा की जरूरत है ...!
जीवन में सत्संग बहुत जरूरी है
धर्म - धारण करना
आलस्य (Laziness)
प्रतिष्ठित शिक्षक - प्रेरक प्रसंग
राष्ट्र का सजग प्रहरी और मार्गदृष्टा है, शिक्षक
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
संस्कृति का उद्गम संस्कृत दिवस | Culture origin in Sanskrit Day
75 बरस की आजादी का अमृत महोत्सव और हम
एक पाती शिक्षक के नाम – शिक्षक की भूमिका और मूल्य आधारित शिक्षा
रामबोला से कालिदास बनने की प्रेरक कथा – भारत के महान कवि की जीवनी
त्रिदेवमय स्वरूप भगवान दत्तात्रेय
गणतंत्र दिवस – 26 जनवरी का इतिहास, महत्व और समारोह
बीते तीन साल बहुत कुछ सीखा गया | 2020 से 2022 तक की सीखी गई सीखें | महामारी के बाद का जीवन
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं | कोविड से बचाव के लिए मजबूत इम्यूनिटी
वैदिक काल की विदुषी : गार्गी और मैत्रेयी
वर्तमान दौर में बदलता प्रेम का स्वरूप – एक विचारणीय लेख
जल संरक्षण आवश्यक है – पानी बचाएं, भविष्य सुरक्षित बनाएं
कुटुंब को जोड़ते व्रत और त्योहार – भारतीय परंपराओं का उत्सव
मेरे गाँव की परिकल्पना – विकास और विनाश पर एक काव्यात्मक चिंतन
जलवायु परिवर्तन और हमारी जिम्मेदारी: अब तो जागो
राजा राममोहन राय - आधुनिक भारत के जनक | भारत के महान समाज सुधारक
भविष्य अपना क्या है? | तकनीक और मोबाइल लत का युवाओं पर असर
प्रकृति संरक्षण ही जीवन बीमा है – पेड़ बचाएं, पृथ्वी बचाएं
वैदिक काल में स्त्रियों का स्थान – समान अधिकार और आध्यात्मिक ज्ञान
मेरे पिताजी की साइकिल – आत्मनिर्भरता और सादगी पर प्रेरक लेख
भारत रत्न गुलजारीलाल नन्दा (Guljarilal Nanda) – सिद्धांत, त्याग और ईमानदारी का प्रतीक
डिजिटल उपवास – बच्चों के लिए क्यों ज़रूरी है?
नववर्ष संकल्प से सिद्धि | सकारात्मक सोच, अनुशासन और लक्ष्य प्राप्ति
पीपल की पूजा | भारतीय परंपरा में पीपल पूजा का वैज्ञानिक आधार
जीवन में सत्य, धन और आत्मनियंत्रण की प्रेरणा
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र में इसका महत्व
महिला समानता दिवस | नारी सशक्तिकरण: चुनौतियाँ, प्रगति और भविष्य
मानसिक शांति और स्वास्थ्य के लिए दिनचर्या का महत्व
हिंदी की उपेक्षा अर्थात संस्कृति की उपेक्षा | हिंदी : हमारी भाषा, संस्कृति और शक्ति
चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता
श्रावण माह: त्योहारों की शुरुआत
रिश्वतखोरी का अभिशाप
भारतीय संस्कृति की पहचान
प्रवासी भारतीय ही भारतीय संस्कृति के पहरेदार | नीदरलैंड में भारतीय संस्कृति का उजागर
वेदों की अमूल्य सूक्तियाँ – जानिए 80 अनमोल वैदिक रत्न
उत्सव नीरस जीवन में भरते है रंग | जीवन में उत्सवों का महत्व
सूर्य को जल अर्पण करना | सूर्य नमस्कार
विकसित सोच: सफलता की असली कुंजी
राम – सत्य और धर्म का सार
रावण की हड़ताल: दशहरा विशेष व्यंग्य
नथ का वजन – एक परंपरा का अंत
दुविधा – अनुभव और अस्वीकार्यता के बीच की दूरी
लेखक के अन्य आलेख
नवरात्रि में कोलू/गोलू: परंपरा और आधुनिकता का संगम
दक्षिण भारत में रक्षाबंधन का बदलता स्वरूप
विश्व नींद दिवस : डिसऑर्डर, सप्लीमेंट्स और स्वस्थ नींद के प्रभावी सुझाव
दुविधा – अनुभव और अस्वीकार्यता के बीच की दूरी
रावण की हड़ताल: दशहरा विशेष व्यंग्य
अनंत चतुर्दशी व्रत कथा, पूजा विधि और 14 गांठों का रहस्य
शीतला सप्तमी व्रत कथा, पूजा विधि और महत्व
राम – सत्य और धर्म का सार
सूर्य को जल अर्पण करना | सूर्य नमस्कार
प्रवासी भारतीय ही भारतीय संस्कृति के पहरेदार | नीदरलैंड में भारतीय संस्कृति का उजागर
असली रावण का अंत: जंगल की दशहरा कथा
पीपल की पूजा | भारतीय परंपरा में पीपल पूजा का वैज्ञानिक आधार
कुटुंब को जोड़ते व्रत और त्योहार – भारतीय परंपराओं का उत्सव
भूलते रिश्तों की चीख – एक भावनात्मक हिंदी लघुकथा
अक्षय नवमी: प्रकृति पूजन और आंवला वृक्ष की पूजा का पर्व | Akshaya Navami
एक पाती शिक्षक के नाम – शिक्षक की भूमिका और मूल्य आधारित शिक्षा
राष्ट्र का सजग प्रहरी और मार्गदृष्टा है, शिक्षक
वो नाश्ता (That Breakfast)
लघुकथा : हार-जीत
सावन गीत
युग परिवर्तन
दर्द - भावनात्मक रूप
नारी और समाज
प्रेम की जीत
चाहत बस इतनी सी
आज का सबक - भारतीय परंपरा
देसी बीज
अलविदा मेरे प्यारे बेटे
भारतीय परम्परा की प्रथम वर्षगांठ
जीवन सार : प्रेरणादायक कहानी
शंखनाद
बड़ा लेखक
बच्चों के मन में अंकुरित विश्वास की सुंदर कहानी
यह घर बहुत हसीन है – एक भावनात्मक लघुकथा
मारबत - नागपुर का मारबत पर्व
पोला-पिठोरा (पोळा) - किसानों का प्रमुख त्योहार
तमाशा
पनीर पुडिंग
ज्योतिष की विभिन्न विधाये और राजा सवाई जयसिंह (जयपुर) का योगदान
बसंत पंचमी माँ परमेश्वरी की जयंती | देवांगन समाज की कुल देवी
अच्युत, अनंत और गोविंद महिमा
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं | हनुमान जयंती