Bhartiya Parmapara

जीवन में सफलता के लिए धैर्य का महत्व

सफलता के लिए धैर्य

 

जीवन में सफलता के लिए धैर्य बहुत जरूरी

बचपन और विद्यार्थी जीवन परीक्षा के असल मुकाम है जब उसे कसौटी बड़ी सख्ती से कसती है। यही वह समय होता है जो भविष्य तय करता है।

धैर्य के साथ कठिन परिस्थितियों का मुकाबला साहस और संतुष्टि ही नहीं सफलता भी प्रदान करता है।

यह एक परीक्षा है, जिसमें व्यक्ति को समय, सहनशीलता और आत्मविश्वास के साथ खरा उतरना होता है। विशेष रूप से विद्यार्थी जीवन में धैर्य का पर्याय है क्योंकि पढ़ाई, परीक्षा, और भविष्य निर्माण से जुड़ी चुनौतियां उसकी अक्सर उसे परखती है। 
असफल विद्यार्थी इसे जीवन की हार समझ लेते हैं। वे हतोत्साह में आत्मघाती कदम उठा लेते हैं, जो न केवल उनकी अपार संभावनाओं का अंत करता है बल्कि उनके परिवार और समाज को भी गहन वेदना ग्रस्त कर देता है।

जीवन में सफलता का मुल असफलता से शुरू होता है तो समझना गलत नहीं होता कि परीक्षा भले ही कड़ी हो पर परिणाम भी उतना ही उज्जवल ही होगा। हार जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। सफलता और असफलता दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू है, ये जीवन की अभिन्न अनिवार्यता भी हैं।

असफलता का दौर कमजोरियों को पहचान कर उनमें सुधारने का अवसर प्रदान करता है। इस समय जीवन का मोल समझने का मौका होता है क्योंकि संबल का दूसरा नाम ही सफलता है। जीवन में सफलता -असफलता का चक्र चलता रहता है और हर कठिनाई के बाद सफलता अवश्य मिलती है। ऐसे में धैर्य और मेहनत से ही तय लक्ष्य हासिल किये जा सकते है।

अगर इतिहास उठा कर देखें तो विवेकानंद जी से लेकर रामानुजाचार्य, जगदीश चन्द्र बसु जैसे महान लोगों ने भी प्रारंभ में कई असफलताओं का सामना किया, लेकिन भी ख़ासा योगदान होता है।

उन्होंने धैर्य और संबल से हार नहीं मानी और वे विद्यार्थियों और समाज के लिए एक मिसाल बने।

आज जरूरत असफलता को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की है। धैर्य, आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है।

                                    

                                      

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