Bhartiya Parmapara

जीवन में सत्य, धन और आत्मनियंत्रण की प्रेरणा

ज़िन्दगी में हर चीज़ के दो पहलू होते हैं, जैसे- सच और झूठ, सुबह और शाम, मिलन और जुदाई, आशा और निराशा..

सच, सच में होता है, परन्तु झूठ को बनाया जाता है,  जब मनुष्य अपने बनाए झूठ को छोड़ता है तो सत्य अपने आप सामने आ जाता है..

ऐसे ही अमीरी-गरीबी का सिलसिला है, हम जन्म से तो गरीब हो सकते हैं, लेकिन जीवन-भर हम गरीब ही रहेंगे, यह निर्णय हमारा होता है..

धन, सत्य की तरह है लेकिन निर्धनता झूठ की तरह हम बनाते हैं। हमारे देश में अमीरी-गरीबी की खाई बड़ी गहरी है, लेकिन अमीर बनना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार भी है..

आचार्य देव कहते हैं कि किसी शास्त्र में यह नहीं लिखा कि धन मत कमाओ, भक्तों के जीवन में शिक्षा और धन आए यह तो भगवान को भी अच्छा लगता है..

हर अमीर व्यक्ति भ्रष्ट नहीं होता, कई लोग परिश्रम और बुद्धि  के बल पर भी अमीर हुए हैं अमीर होने के लिए घोड़े और जिराफ़ की तरह जमकर परिश्रम करना पड़ेगा, ये दोनों ही प्राणी खड़े-खड़े ही सोते हैं और सोते समय गिरते नहीं, क्योंकि, इनकी हड्डियों में एक लॉक सिस्टम होता है जो इन्हें गिरने से बचाता है..

हम भी जब धन कमाने निकलें तो इस लॉक सिस्टम को समझें और अपनी इन्द्रियों पर इन्हें लागू करें..

हमारी इन्द्रियाँ यदि इस लॉक सिस्टम के अन्तर्गत आ जाएँ तो आलस, बेईमानी, झूठ, चोरी.... आदि विकृतियों से हम कभी नहीं गिरेंगे, और फिर जो धन कमाएंगे, वह सत्य का होगा और उस धन को कमाने में जो एहसास होगा, वह मन से हमें अमीर बनाएगा..

हे भगवन..... 
हम अपनी क्षमताओं और योग्यताओं से सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए समृद्धि और खुशहाली का जीवन जीने का प्रयास करें।

                                    

                                      

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