कंफर्ट जोन
सामान्यतया हम स्वयं को अपने जैसे लोगों, अपने जैसी रुचियों, आदतों और शौक वाले व्यक्तियों से घेरे रहते हैं, क्योंकि इससे हमें सुरक्षा का अहसास होता है। जबकि, जीवन को समृद्ध बनाने वाले अनुभव कभी भी अपने सुखद क्षेत्र (कम्फर्ट जोन) में नहीं मिलते, उसके लिए हमें खुद को आगे करना होता है और अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना होता है।
हालांकि, अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना सरल नहीं होता, इसके लिए आशावाद और जोखिम उठाने का साहस होना अनिवार्य है।लेकिन, कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने का सबसे बड़ा डर असुरक्षा और विफलता का होता है, जो कि ज़्यादा सोचने से पैदा होता है।
नए दोस्त बनाने, नए लोगों के साथ काम करने और नए अनुभवों को जानने की राह में सबसे बड़ी रुकावट ज़रूरत से ज़्यादा सोचने की आदत ही है। अंतर्बोध (इन्ट्यूशन) एक ताकतवर भावना होती है, जो हमें बहुत पहले ही बता देती है कि हमारे लिए क्या करना अच्छा रहेगा। यह भावना अवचेतन मन के स्तर पर काम करती है और हमारी दुविधाओं के निवारण में अहम भूमिका अदा करती है।
हमें अपने अंतर्मन की आवाज़ को सुनने की आदत विकसित करना ज़रूरी है और हमें इसे नियमित रूप से सुनना चाहिए। अपने सपनों को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका यह है, उन्हें आज से ही जीने लग जाना। कईं बार हम इसलिए अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते क्योंकि, हमें लगता है कि वो हमारी पहुंच से बहुत दूर हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि, एक बार में एक ही कदम चला जा सकता है और बड़ी से बड़ी यात्रा की शुरुआत उसी पहले कदम से होती है, शुरुआत चाहे छोटी हो लेकिन उसके परिणाम सदैव बड़े होते हैं। हमें एक आत्मविश्वासी व्यक्ति की तरह व्यवहार करना चाहिए और दुनिया को यह संदेश देना चाहिए कि हम इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं।
इतना भर मान लेने से हम शांतचित्त हो सकते हैं कि, हम किसी बड़े प्रयोजन को पूरा करने की क्षमता रखते हैं और वही हमारे जीवन का लक्ष्य है।
हे परमेश्वर..! कठोर निर्णय लिए बिना हम कामयाब नही हो सकते और इसके लिए स्थिर दिमाग की आवश्यकता है। निर्णय लेने में हम समय लें लेकिन, अपनी निर्णयशीलता को धार देने के लिए नए परिप्रेक्ष्यों की खोज करते रहें। अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर हम कुछ ठोस कदम उठाएं, तो फिर सफलता अवश्य हमें हासिल होगी।

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