Bhartiya Parmapara

विकसित सोच: सफलता की असली कुंजी

सफलता

जीवन में वही लोग सफल होते हैं जो एक निश्चित विचारधारा लेकर नहीं चलते, बल्कि एक विकसित विचारधारा लेकर चलते हैं। निश्चित विचार-धारा वाले लोग समझते हैं कि वो जो कर सकते हैं और जो नहीं कर सकते उसे अब बदला नहीं जा सकता। जबकि सफलता उन्हें मिलती है जिनका दिमाग निश्चित नहीं होता वरन विकसित होता है।

यानी जो होने के बजाय निरंतर विकसित होते रहने की मानसिकता रखते हैं। यह एक भ्रम है कि प्रतिभावान लोग विशेष प्रतिभा सम्पन्न होते हैं और उन्हें कड़ी मेहनत नहीं करनी पड़ती। जबकि सत्य तो यह है कि वो लोग समर्पण के साथ अपनी क्षमताओं के विकास और अपने प्रयासों को महत्व देते हैं और विफलताओं से घबराते नहीं हैं। दुनिया का कोई भी विशेषज्ञ या परीक्षण यह नहीं बता सकता कि हममें कितनी क्षमता है? या हम क्या करने में सक्षम हैं और क्या नहीं? या हमें कितने प्रयासों से सफलता मिलेगी??

हम अपनी योग्यताओं का आंकलन निश्चित तौर पर नहीं कर सकते और न ही उसके आधार पर योजनाएँ बना सकते हैं। क्योंकि विकसित विचारधारा वाले लोग यह मान कर चलते हैं कि हमें अभी और बेहतर करना है, यह हमारा सर्वश्रेष्ठ नहीं है। परन्तु आने वाले समय में हम अपना सर्वश्रेष्ठ कर सकेंगे और करेंगे। इसी विचारधारा का नाम अपनी सम्भावनाओं का विकास करना है, हमें स्थिर होने के बजाय निरंतर विकसित होना है और हम किसी बिन्दु पर रुक कर यह नहीं कह सकते हैं कि अब आगे जानने को कुछ नहीं है।

हे भगवन।।! 
हम अपने सोचने के नज़रिए को  बदलकर, अपनी सम्भावनाओं को अर्जित कर सकते हैं। 

लेकिन उसे पाने का एक ही तरीका है कि हम निश्चित विचार-धारा की बजाय विकसित विचार- धारा पर अपना ध्यान केंद्रित करें। यानी हर सफलता के बाद भी और अधिक सफलता की गुंजाइश हमेशा रहती है। सबका जीवन आनन्दमय हो, सुखमय हो, यही ईश्वर से प्रार्थना है।

 

 

                                    

                                      

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