राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील, ‘पूर्ण स्वराज’ के पैरोकार और भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के प्रथम लोकप्रिय नेता बाल गंगाधर तिलक को उनके २३ जुलाई को पड़ने वाले १६७ वें जन्म दिन पर नमन करते हुये आपको याद दिलाना चाहूँगा कि इनको "लोकमान्य" की आदरणीय उपाधि प्राप्त होने के कारण हम सभी उन्हें "लोकमान्य तिलक" के नाम से भी उल्लेख करते हैं।
आप सभी के ध्याननार्थ बता दूँ कि बाल गंगाधर तिलक ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नरमपंथी रवैये के विरुद्ध आवाज उठाने वाले श्री लाला लाजपत राय और श्री बिपिन चन्द्र पाल को समर्थन दिया, जिसके चलते इन तीनों को "लाल-बाल-पाल" के नाम से जाना जाने लगा। इस कारण से काँग्रेस अनेक सालों तक गरम दल और नरम दल में विभाजित रही।
इनके विषय में जितना भी लिखा जाय कम ही पड़ेगा। इसलिये दो महत्वपूर्ण तथ्य आप सभी के ध्याननार्थ अवश्य प्रस्तुत करना चाहूँगा। पहला तो यह है कि काँग्रेस में गरम दल के सदस्य होने के बावजूद इन्हें मरणोपरान्त श्रद्धाञ्जलि देते हुए नरम दल के गांधी जी ने इन्हें आधुनिक भारत का निर्माता बताया तो पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय क्रान्ति का जनक। दूसरा इनके बचपन से जुड़ा एक ऐतिहासिक तथ्य, जिसके अनुसार एक बार कक्षा में कुछ छात्रों ने मूंगफली के छिलके फर्श पर फेंक गन्दगी फैला दी। जिसके चलते कक्षा अध्यापक नाराजगी दर्शाते सभी को पूछा कि यह किसका काम है। लेकिन किसी भी छात्र ने अपनी गलती नहीं मानी। तब अध्यापक ने पूरी कक्षा को ही दंडित करने की घोषणा कर प्रत्येक छात्र के हाथों पर छड़ी से मारने लगे। लेकिन जब बाल गंगाधर तिलक की बारी आई तो उन्होंने हाथ आगे बढ़ाया ही नहीं बल्कि स्पष्ट कह दिया कि जब मैंने मुगफली खाई ही नहीं तो मैं बेंत भी नहीं खाऊंगा। यह सुन अध्यापक महोदय फिर पुछ बैठे कि बताओ यह किसने किया। इसके उत्तर में इन्होनें कह दिया की न तो मैं किसी का नाम बताऊंगा और न ही बेंत खाऊंगा। इसके फलस्वरूप जब अध्यापक महोदय ने इनकी शिकायत प्राचार्य से की तब इनके अभिभावक को स्कूल आना पड़ा और इनको स्कूल से निकाल दिया गया। यह घटना यह दर्शाती है कि ये बचपन से ही कठोर अनुशासन का पालन करते हुये सच्चाई पर अडिग रहते थे साथ ही साथ साथियों की अनुशासनहीनता की कभी चुगली नहीं करते थे, और इसी गुण के चलते ये हमेशा काँग्रेस में सभी के बीच आदरणीय बने रहे।
इन्होनें अपनी मृत्यु के करीबन चार साल पहले अप्रैल 1916 में 'होम रूल लीग' की स्थापना कर दी थी, जिसका इनकी मृत्यु पश्चात काँग्रेस में विलय हो गया। इस होम रूल आन्दोलन के चलते ही बाल गंगाधर तिलक को काफी प्रसिद्धि मिली क्योंकि उन्होनें इसी को माध्यम बना जनजागृति का कार्यक्रम का श्रीगणेश कर सर्वप्रथम पूर्ण स्वराज की मांग पर पूरा जोर लगा दिया क्योंकि उस समय तक उनके द्वारा माण्डले [बर्मा] जेल में जाने के पहले 1897 में न्यायालय में न्यायाधीश के सामने मराठी भाषा में उनके द्वारा लगाया गया नारा "स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच", जिसका हिन्दी मे अर्थ है "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा", लोकप्रिय हो चुका था यानि यह नारा भारतीय स्वाभिमान और गौरव का प्रेरणास्त्रोत के रूप में उभर चुका था। इन्होनें पूरे भारत के लिए समान लिपि के रूप में देवनागरी की वकालत भी पुरजोर से की थी। इन्हीं सब कारणों से उन्हे सार्वजनिक रूप से “लोकमान्य” अर्थात "प्रिय नेता" की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
अन्त में आपको बता दूँ कि जनजागृति वाली सोच इनके दिमाग में बहुत पहले से ही थी। यही कारण रहा जिसके चलते साल 1893 में इसी जनजागृति को स्थायित्व देने के उद्देश्य से इनके प्रयास के कारण महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव सार्वजनिक रूप से सप्ताह भर मनाना प्रारम्भ हुआ, जो आज इतना लोकप्रिय उत्सव बन, प्रसिद्धि के शिखर पर पूरे देश में जाना जाने लगा है, वह हम सभी बहुत अच्छे से जानते हैं। इस सार्वजनिक रूप से मनाये जाने वाले गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव को लोकप्रिय बनाने में इनके स्वामित्व वाले दो समाचार पत्रों का अतुलनीय योगदान रहा था। इन दोनों मराठा दर्पण [जो अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित होता था] एवं केसरी [जो मराठी भाषा में प्रकाशित होता था] के ये जीवनपर्यन्त सम्पादक भी रहे। इसके अलावा इनके द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता की व्याख्या को लेकर मांडले जेल में लिखी गयी गीता-रहस्य सर्वोत्कृष्ट कृति मानी जाती है, जिसका कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि इन्होनें अपने सिद्धांतों से किसी भी प्रकार का समझौता किये बिना सदैव पारम्परिक सनातन धर्म का मृत्यु पर्यन्त निर्वहन किया। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि सनातन धर्म के प्रति प्रगाढ़ आस्था रखते हुये भी इनके व्यक्तित्व में संकीर्णता कभी भी, लेशमात्र भी परिलक्षित नहीं हुई। अतः हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि ये अपने समय के प्रणेता थे। इनके अद्वितीय देश प्रेम एवं सनातन धर्म के प्रति प्रगाढ़ आस्था के मद्देनजर ही इनको हिंदू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है।

Login to Leave Comment
LoginNo Comments Found
संबंधित आलेख
पूर्णिमा का महत्व | पूर्णिमा व्रत
सप्ताह के किस दिन करें कौन से भगवान की पूजा | सात वार का महत्व
महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ, उत्पत्ति और महत्व | महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय रखें इन बातों का ध्यान | Maha Mrityunjaya Mantra
हिंदी भाषा से जुड़े रोचक तथ्य
मंदिर शब्द की उत्पत्ति कब हुई | मंदिर का निर्माण कब से शुरू हुआ?
तुलसी जी कौन थी? कैसे बनी तुलसी पौधे के रूप में ? | तुलसी विवाह
हिंदी वर्णमाला की संपूर्ण जानकारी | हिंदी वर्णमाला
अच्युत, अनंत और गोविंद महिमा
निष्कामता
हर दिन महिला दिन | Women's Day
33 कोटि देवी देवता
हिंदू संस्कृति के 16 संस्कार
हिंदी दिवस
शिक्षक दिवस
राखी
बचपन की सीख | बच्चों को लौटा दो बचपन
बात प्रेम की
महामाया मंदिर रतनपुर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़ | मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का ननिहाल
माँ बमलेश्वरी मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
माँ चंद्रहासिनी मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
खल्लारी माता मंदिर | संभावनाओ का प्रदेश - छत्तीसगढ़
भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहते थे | भारत देश
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस | World Menstrual Hygiene Day
ज्योतिष शास्त्र | शनि न्याय प्रिय ग्रह क्यों है ?
वास्तु शास्त्र | वास्तुशास्त्र का उदगम
वास्तुशास्त्र में पूजा कक्ष का महत्व
पंचवटी वाटिका | पंचवटी का महत्व स्कंद पुराण में वर्णित
कृतज्ञता
ज्योतिष की विभिन्न विधाये और राजा सवाई जयसिंह (जयपुर) का योगदान
संस्कारों की प्यारी महक
मिच्छामि दुक्कडम्
सत्संग बड़ा है या तप
ब्रह्मांड के स्वामी शिव
बलिदानी - स्वतंत्रता के नायक
महामृत्युंजय मंत्र | महामृत्युंजय मंत्र जाप
राम राज्य की सोच
भारतीय वैदिक ज्योतिष का संक्षिप्त परिचय
भारतीय वैदिक ज्योतिष का प्रचलन
मैच बनाने की मूल बातें (विवाह और ज्योतिष)
कुंडली मिलान | विवाह के लिए गुण मिलान क्यों महत्वपूर्ण है?
कुंडली चार्ट में घरों की बुनियादी समझ
सनातन संस्कृति में व्रत और त्योहारों के तथ्य
सनातन संस्कृति में उपवास एवं व्रत का वैज्ञानिक एवं धार्मिक पक्ष
2 जून की रोटी: संघर्ष और जीविका की कहानी
प्रकृति की देन - पौधों में मौजूद है औषधीय गुण
प्री वेडिंग – एक फिज़ूलखर्च
दो जून की रोटी
गणेश जी की आरती
भारतीय परम्परा की प्रथम वर्षगांठ
नव वर्ष
नहीं कर अभिमान रे बंदे
आज का सबक - भारतीय परंपरा
चाहत बस इतनी सी
नारी और समाज
माँ तू ऐसी क्यों हैं...?
दर्द - भावनात्मक रूप
पुरुष - पितृ दिवस
मितव्ययता का मतलब कंजूसी नहीं
सावन गीत
आया सावन
गुरु पूर्णिमा - गुरु की महिमा
सार्वजानिक गणेशोत्सव के प्रणेता लोकमान्य तिलक
शास्त्रीजी की जिन्दगी से हमें बहुत कुछ सीखने मिलता है | लाल बहादुर जयंती
कन्याओं को पूजन से अधिक सुरक्षा की जरूरत है ...!
जीवन में सत्संग बहुत जरूरी है
धर्म - धारण करना
आलस्य (Laziness)
प्रतिष्ठित शिक्षक - प्रेरक प्रसंग
राष्ट्र का सजग प्रहरी और मार्गदृष्टा है, शिक्षक
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
संस्कृति का उद्गम संस्कृत दिवस | Culture origin in Sanskrit Day
75 बरस की आजादी का अमृत महोत्सव और हम
एक पाती शिक्षक के नाम – शिक्षक की भूमिका और मूल्य आधारित शिक्षा
बच्चों को लौटा दो बचपन – आधुनिक पालन-पोषण पर एक प्रेरक विचार
रामबोला से कालिदास बनने की प्रेरक कथा – भारत के महान कवि की जीवनी
त्रिदेवमय स्वरूप भगवान दत्तात्रेय
गणतंत्र दिवस – 26 जनवरी का इतिहास, महत्व और समारोह
बीते तीन साल बहुत कुछ सीखा गया | 2020 से 2022 तक की सीखी गई सीखें | महामारी के बाद का जीवन
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं | कोविड से बचाव के लिए मजबूत इम्यूनिटी
वैदिक काल की विदुषी : गार्गी और मैत्रेयी
वर्तमान दौर में बदलता प्रेम का स्वरूप – एक विचारणीय लेख
जल संरक्षण आवश्यक है – पानी बचाएं, भविष्य सुरक्षित बनाएं
कुटुंब को जोड़ते व्रत और त्योहार – भारतीय परंपराओं का उत्सव
मेरे गाँव की परिकल्पना – विकास और विनाश पर एक काव्यात्मक चिंतन
जलवायु परिवर्तन और हमारी जिम्मेदारी: अब तो जागो
राजा राममोहन राय - आधुनिक भारत के जनक | भारत के महान समाज सुधारक
भविष्य अपना क्या है? | तकनीक और मोबाइल लत का युवाओं पर असर
प्रकृति संरक्षण ही जीवन बीमा है – पेड़ बचाएं, पृथ्वी बचाएं
वैदिक काल में स्त्रियों का स्थान – समान अधिकार और आध्यात्मिक ज्ञान
मेरे पिताजी की साइकिल – आत्मनिर्भरता और सादगी पर प्रेरक लेख
भारत रत्न गुलजारीलाल नन्दा (Guljarilal Nanda) – सिद्धांत, त्याग और ईमानदारी का प्रतीक
डिजिटल उपवास – बच्चों के लिए क्यों ज़रूरी है?
नववर्ष संकल्प से सिद्धि | सकारात्मक सोच, अनुशासन और लक्ष्य प्राप्ति
पीपल की पूजा | भारतीय परंपरा में पीपल पूजा का वैज्ञानिक आधार
जीवन में सत्य, धन और आत्मनियंत्रण की प्रेरणा
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र में इसका महत्व
महिला समानता दिवस | नारी सशक्तिकरण: चुनौतियाँ, प्रगति और भविष्य
मानसिक शांति और स्वास्थ्य के लिए दिनचर्या का महत्व
हिंदी की उपेक्षा अर्थात संस्कृति की उपेक्षा | हिंदी : हमारी भाषा, संस्कृति और शक्ति
चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता
श्रावण माह: त्योहारों की शुरुआत
रिश्वतखोरी का अभिशाप
भारतीय संस्कृति की पहचान
प्रवासी भारतीय ही भारतीय संस्कृति के पहरेदार | नीदरलैंड में भारतीय संस्कृति का उजागर
वेदों की अमूल्य सूक्तियाँ – जानिए 80 अनमोल वैदिक रत्न
उत्सव नीरस जीवन में भरते है रंग | जीवन में उत्सवों का महत्व
सूर्य को जल अर्पण करना | सूर्य नमस्कार
विकसित सोच: सफलता की असली कुंजी
राम – सत्य और धर्म का सार
रावण की हड़ताल: दशहरा विशेष व्यंग्य
नथ का वजन – एक परंपरा का अंत
दुविधा – अनुभव और अस्वीकार्यता के बीच की दूरी
घर की लक्ष्मी हैं गृहणियाँ
आत्मकथा वसंत की | वसंत ऋतु
परीक्षा से डर कैसा
गाय और इस्लाम: विश्वास, नियम और सम्मान
भारतीय नववर्ष बनाम अंग्रेजी नववर्ष
श्रीराम - धर्म के मूर्तिमान स्वरूप
नदियों को बचाएं – जीवन और संस्कृति की रक्षा करें
भगवान श्रीराम के उच्चतम आदर्श
सनातन धर्म और अंधविश्वास का सच
विज्ञान दिवस और हमारे वैज्ञानिक
भारत के शहरी क्षेत्रों में वाहन पार्किंग की चुनौतियाँ और समाधान
सहनशीलता का गिरता स्तर और समाज पर इसके हानिकारक प्रभाव | धैर्य और क्षमा का महत्व
कुंबकोणम के शक्ति मुत्तम मंदिर और गरीब पंडित की बगुला संदेश की कहानी
क्या हमारे कार्य करने की कोई सीमा होती है?
कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलें और अपनी असली क्षमता पहचानें
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस – नारी शक्ति को सलाम
शब्द ही ब्रह्म है क्योंकि शब्दों से ही इस त्रिगुणात्मक संसार का सृजन संभव है
आंतरिक और बाहरी दुनिया — ध्यान से आत्म नियंत्रण की शक्ति
हेमू कालाणी – भारत के युवा स्वतंत्रता सेनानी
लेखक के अन्य आलेख
ऋतुओं के संधि काल का पर्व - होली | रंगों और उल्लास का आध्यात्मिक पर्व
वेदों की अमूल्य सूक्तियाँ – जानिए 80 अनमोल वैदिक रत्न
श्रावण माह: त्योहारों की शुरुआत
महिला समानता दिवस | नारी सशक्तिकरण: चुनौतियाँ, प्रगति और भविष्य
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र में इसका महत्व
भारत रत्न गुलजारीलाल नन्दा (Guljarilal Nanda) – सिद्धांत, त्याग और ईमानदारी का प्रतीक
मेरे पिताजी की साइकिल – आत्मनिर्भरता और सादगी पर प्रेरक लेख
राजा राममोहन राय - आधुनिक भारत के जनक | भारत के महान समाज सुधारक
जलवायु परिवर्तन और हमारी जिम्मेदारी: अब तो जागो
जल संरक्षण आवश्यक है – पानी बचाएं, भविष्य सुरक्षित बनाएं
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं | कोविड से बचाव के लिए मजबूत इम्यूनिटी
बीते तीन साल बहुत कुछ सीखा गया | 2020 से 2022 तक की सीखी गई सीखें | महामारी के बाद का जीवन
त्रिदेवमय स्वरूप भगवान दत्तात्रेय
रामबोला से कालिदास बनने की प्रेरक कथा – भारत के महान कवि की जीवनी
महालया से छठ पूजा तक – भारतीय पर्वों की आध्यात्मिक यात्रा
ऋषि पंचमी – परंपरा और प्रेम का पवित्र सूत्र | Rishi Panchami
75 बरस की आजादी का अमृत महोत्सव और हम
प्रतिष्ठित शिक्षक - प्रेरक प्रसंग
शास्त्रीजी की जिन्दगी से हमें बहुत कुछ सीखने मिलता है | लाल बहादुर जयंती
सार्वजानिक गणेशोत्सव के प्रणेता लोकमान्य तिलक
मितव्ययता का मतलब कंजूसी नहीं
प्रकृति की देन - पौधों में मौजूद है औषधीय गुण
राम राज्य की सोच
अक्षय फलदायक पर्व है अक्षय तृतीया
सौभाग्य को बनाये रखने हेतु मनाया जाता है गणगौर पर्व
सत्संग बड़ा है या तप