Bhartiya Parmapara

जलवायु परिवर्तन और हमारी जिम्मेदारी: अब तो जागो

जब जलवायु बदल रहा है तो फिर हम क्यों नहीं ?

मैंने अपने पिछले आलेख में बता दिया था कि अगर धरा न होती तो हमारा अस्तित्व ही नहीं होता। अब जब इस पर गहनता से विचारें तो सबसे पहले यह मानना ही पड़ेगा कि जीवन के लिये आवश्यक ऑक्सीजन, पानी व अन्य सभी सामग्रियां यहां सहजता से उपलब्ध है अर्थात इस धरा पर सभी आधारभूत संसाधन सहज उपलब्ध हैं, जबकि अभी तक अन्य ग्रहों पर जीवन की पुष्टि तक हुई नहीं है। इसलिये ही धरा को ब्रह्माण्ड में अनमोल माना गया है।

याद रखें प्रकृति और मनुष्य का सम्बंध आदि काल से परस्पर निर्भर रहा है। इसलिये अब यह हमारा दायित्व बनता है कि पृथ्वी को बचाने के लिये हमें हमारे बीच पनपे गलत प्रचलनों से मुक्ति पाने की पूरी पूरी चेष्टा करते रहना है और इसके लिये जागरूकता अभियान चलाकर सभी को समझाना होगा । सभी को यह बताना होगा कि हम मानवों द्वारा किये जा रहे गलत कार्यों के कारण प्राकृतिक संसाधन दिन प्रतिदिन बिगड़ रहे हैं।

इसके साथ-साथ यह भी समझाना होगा कि हमारे अलावा कई तरह के जानवर, वनस्पतियाँ वगैरह भी इस पृथ्वी पर निर्भर हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि धरा की प्राकृतिक पर्यावरण को बनाये रखने में हमारे साथ साथ इन जानवरों, वनस्पतियों वगैरह का भी महत्वपूर्ण योगदान है। अतः यह आवश्यक है कि हमारा व्यवहार संयमित व ऐसा संतुलित हो जिससे पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे। 

अब गलत प्रचलनों पर विचार करें तो सबसे पहले धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को रोकने में हम भारतवासी पहल कर विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके अलावा खेती में अधिक कीटनाशक [पेस्टिसाइड] डालकर व आवश्यकता से अधिक पानी डालकर जमीन का स्वास्थ्य खराब कर रहे हैं और इससे वांछित उपज भी नहीं मिल रही है और पर्यावरण असंतुलित हो रहा है। इसलिये हमें अपनी खेती बाड़ी में संयम बरतना चाहिए और उचित तो यही रहेगा कि हम सब अब जैविक खेती पर ध्यान देना प्रारम्भ कर दें। जैसा आप सभी जानते हैं कि आजकल अपनी सरकार भी अपनी तरफ से जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है।

एक अन्य तथ्य आप सभी के ध्यान में ला रहा हूँ जिसके अनुसार प्रदूषण बढ़ाने में उद्योगों की भी एक बहुत बड़ी भूमिका है। उद्योग वाले तो सोचते ही नहीं हैं और सारा कचरा कारखानों व औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों के निष्पादन की समुचित व्यवस्था न कर, जमीन में गाड़ देते हैं।  जबकि इन अवशिष्ट पदार्थों को निष्पादन से पूर्व दोषरहित किया जाना चाहिए और सरकार को इस तरह के अवशिष्ट पदार्थों को जमीन में गाड़ना या नदी / तालाब में बहाने को गैरकानूनी घोषित कर प्रभावी कानून बना उचित कदम उठाने चाहिए। 

                              

                                

इसी कड़ी में अब आप सभी के ध्यानार्थ, हम जो अंधाधुंध पेड़ों की कटाई कर रहे हैं वह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता। 

नीम, कुरकुमा लौंगा, लहसुन, अदरक, अंगूर, मेथी, करेला, अनार, शतावरी, मुनगा (सहजन), उलटकंबल, श्योनाक, पीपल, बेलपत्र/फल, बरगद/बड़, आंवला एवं अशोक इत्यादि अनेक ऐसे पौधे हैं जिनमें प्रचुर औषधीय गुण मौजूद हैं। दुनियाभर में इन औषधीय पौधों से ही दवाएं विकसित की जा रही हैं। इसलिये आवश्यकता यही है कि इस तरह के सभी औषधीय पौधों को सरंक्षण प्रदान किया जाय । इन पौधों को विकसित करने से जमीन मालिक न केवल पर्यावरण सरंक्षण को मजबूती प्रदान करेंगे बल्कि अपनी आमदनी में भी बढ़ोतरी कर पायेंगे । 

उपरोक्त के अलावा भी अनेकों छोटे छोटे पर्यावरणीय मुद्दे हैं जिन पर आसानी से संतुलित एवं संयमित व्यवहार अपना कर सुधार किया जा सकता है अन्यथा पर्यावरणीय मुद्दों की दर जो दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है उस पर काबू कर पाना एक चूनौती बन जायेगा ।  

अंत में सभी प्रबुद्ध पाठकों के ध्यानार्थ - धरा के संरक्षण की जिम्मेदारी केवल मनुष्य के जिम्मे है, केवल और केवल मनुष्य के जिम्मे। इसलिए हम सभी को प्रण लेकर इस तरह की बर्बादी को रोककर अपने जीवन व प्रकृति को हरा-भरा तथा खुशहाल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में चूकना नहीं है क्योंकि इसी में ही हम सभी की भलाई है। इसी संदर्भ में सुमित्रानंदन पंत की दो पंक्तियाँ आप सभी को याद दिलाने के उद्देश्य से यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ -

जौ  गेहूँ की स्वर्णिम  बाली, भू का अंचल वैभवशाली।   
इस अंचल से चिर अनादि से, अंतरंग मानव का नाता।।

संक्षेप में पर्यावरण के मुख्य बिन्दुओं को आपके सामने रखने की चेष्टा की है और आशा करता हूँ कि आप सभी  प्रबुद्ध पाठक उपरोक्त बताये कारणों व निदान से ज्यादा, बहुत कुछ स्वयं भी समझ गये होंगे साथ ही आप सभी इस तथ्य से भी सहमत होंगे कि पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी हम मनुष्यों पर पूरी तरह निर्भर है इसलिये आशा करता हूँ कि तुरन्त प्रभाव से आत्मावलोकन  प्रारम्भ कर सुधारात्मक कदम उठाना शुरू कर देंगे।  

                              

                                

Login to Leave Comment
Login
No Comments Found
;
MX Creativity
©2020, सभी अधिकार भारतीय परम्परा द्वारा आरक्षित हैं। MX Creativity के द्वारा संचालित है |