
बीते तीन साल बहुत कुछ सीखा गया -
वैसे तो बीते वर्ष 2020 से 2022 तक हमने मानसिक तनाव बहुत झेला है। यह मानसिक कष्ट अनेक कारणों से रहा, जिसमें प्रमुख रहा चीन पाकिस्तान के साथ युद्ध का भय व कोरोना महामारी व महामारी के बाद वाले प्रभाव। परन्तु हम सभी यह भी जानते हैं कि हमारी सरकार ने चीन व पाकिस्तान दोनों पर अपना दबदबा बनाये रखा और कोरोना महामारी पर बहुत हद तक काबू भी पाने में सफल रही। यही सभी कारण रहे हैं जिसके चलते बीते तीन साल हमें बहुत कुछ सिखा के भी गये हैं और उस शिक्षा ने हमारी सोच व कार्य पद्धति में आमूल-चूल परिवर्तन कर दिया है। यही कारण है जब इन दिनों वापस फिर कोरोना की आहट सुनने में आ रही है तब हम सब भी इस बार उसको हावी नहीं होने देने के प्रति न केवल जागरूक हैं बल्कि प्रतिबद्ध भी हैं। इसी कारण, हम सभी इस बार "मास्क और दो गज की दूरी...जान बचाने के लिये फिर जरूरी" अपनाना शुरू कर दिया है।
अब बीते इन तीनों साल में हमने जो कुछ भी सीखा उसी को क्रमवार प्रस्तुत कर रहा हूँ-
1] कोरोना काल वाले समय से आज तक हमने अपने सीमित संसाधनों में भी कैसे जी सकते हैं, सिखा।
2] कोरोना काल वाले समय में हमने घर की चारदीवारी में रहने के लिए आवश्यक संयम का महत्व सीखा जिसका लाभ अनेक लोग अब उठा रहे हैं अर्थात खासकर वे, जिनके बच्चे उनसे दूर रहते हैं।
3] बीते सालों में हमने हर तरह की समस्या से संघर्ष करना भी सीखा है।
4] इसी तरह इन सालों में हमने स्वयं का काम स्वयं करना चाहिये, के महत्व को समझा।
5] सच में देखा जाए तो देश में हमारे आस-पास स्वच्छता-सफाई, जिसका सरकार पीछे कई वर्षों से अभियान चलाए हुए थी उसका सही अर्थों में महत्व इन बीते सालों में हमें बखूबी समझ में आ गया।
6] आजकल समय बैंक का चलन है। उसकी उपयोगिता समझ, उसमें अनेक लोगों ने इन दिनों में अपनी अपनी सहभागिता सुनिश्चित की है।
7] हालाँकि एक दूसरे की मदद करना हमें बचपन से सिखाया जाता रहा है, लेकिन इसका महत्व भी बहुत ही बढ़िया ढ़ंग से हमें इन बीते सालों में सीखने को मिला है।
8] मानसिक संतुलन की आवश्यकता क्यों और इसे कैसे बनाये रखना है इसको भी हमने अच्छी तरह से सीखा है।
9] अन्न की कीमत क्या होती है इसका अनुभव भी हर स्तर के लोग इन बीते सालों में न केवल देखा बल्कि समझा भी है।
10] वैसे तो हम सभी जानते ही हैं कि सावधानी रखना कितनी जरूरी है लेकिन "सावधानी हटी और दुर्घटना घटी" का महत्व इन बीते सालों में बखूबी मालूम पड़ा है।
11] इन्हीं सालों में हमने यह भी सीखा है कि घर के काम में सभी हाथ बंटाते हैं तो कितनी आसानी से सारे गृहकार्य निपट जाते हैं यानि बीते तीन साल घर के काम में हाथ बंटाना भी सीखा गये।
12] प्रकृति को सहेजना चाहिये, यह तो सभी जानते हैं लेकिन उसके प्रभाव का प्रत्यक्ष अनुभव भी इन्हीं बीते सालों में हुआ है।
13] बीते सालों में अमीरी-गरीबी का भेद जिस तरह से मिटा है यानी प्रकृति ने किसी से भेदभाव नहीं किया, वह भी एक अलग तरह का अनुभव हुआ है।
14] बीते सालों में हमने यह भी अनुभव किया कि सीमित लोगों के साथ कम खर्च में शादी सम्पन्न की जा सकती है अर्थात मितव्ययिता का महत्व भी समझने में आया।
15] इसी तरह बीते सालों में हमने यह जान लिया कि कम लोगों की उपस्थिति में भी अंतिम संस्कार करना उचित रहता है। वही जीवन का सही मूल्य समझा कर विदा हुए हैं।
16] किसी भी बीमारी से पार पाने में मानसिकता का अलग महत्व है। यही बात यानि आने वाली किसी भी तरह की विपदा को मजबूती से निपटने की मानसिक तैयारी कैसी हो यह हमें बीते सालों में सीखने मिला है।
17] हम सभी प्रायः नित्य ही अपने अपने पूजा स्थल जाते ही रहे हैं। लेकिन किसी कारणवश नहीं जा पाने पर जो मन में ग्लानि वाला भाव हो जाता उस पर, सर्वशक्तिमान प्रभु ने, पार पाना सीखा दिया अर्थात उस परिस्थिति में घर पर ही दर्शन, अर्चना वाला महत्व कम नहीं है, समझा दिया।
18] जो लोग समय अभाव के कारण हो या अन्य कारणवश पूजा अर्चना को महत्व नहीं देते थे, उन्हें आध्यात्मिक चिंतन महत्वपूर्ण क्यों, इन्हीं बीते सालों में देखने मिला।
19] इन्हीं बीते सालों में हमको ऑनलाइन पढ़ाई का महत्व अच्छी तरह समझ में आ गया अर्थात समय, मेहनत व पैसा सभी में किफायत जानने मिली।
20] हम डिजिटल युग में रह रहे हैं लेकिन उसका सदुपयोग कर हम क्या क्या लाभ उठा सकते हैं, इस विषय को कोरोना काल वाले समय से अभी तक निरन्तर विस्तार से समझाया जा रहा है। यही कारण है कि लोगों का रुझान डिजिटल सदुपयोग की तरफ बढ़ता ही जा रहा है।
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