Bhartiya Parmapara

बच्चों के मन में अंकुरित विश्वास की सुंदर कहानी

घर-आंगन में रेहान ने नयी विज्ञान की रंग-बिरंगी पुस्तक अपने जन्मोत्सव पर अपनी नानी अम्मा से पाकर काफी खुश था। वह उस पुस्तक को पढ़कर और देखकर अपने कमरे में साज सज्जा करते हुए आशियाने को बनाते रहता था। उसे अपने इस काम में बहुत मज़ा आता था। अपने कमरे में रखें हुए खिलौने और पुस्तकों को वह किसी को छूने नहीं देता था। इस पर वह अपनी अम्मा सुमित्रा की भी बात नहीं मानता था। चूंकि घर में अकेला और एकलौता बेटा था, लाड़ प्यार में वह काफी जिद्दी स्वभाव का हो गया था। रेहान की इस हरकत से उसकी अम्मा सुमित्रा काफ़ी परेशान और दुखी रहतीं थीं। इतना होने पर भी सुमित्रा अपने बेटे को नाराज व दुखी नहीं होने देना चाहती थी। उसकी हरकतों को नजरअंदाज करते रहतीं थीं।

                               

                                 


वह कोई ऐसा काम नहीं करना चाहतीं थीं जिससे रेहान के मन में अपनी अम्मा के विरुद्ध कोई ग़लत भावना पैदा हो सकें। फिर एक दिन सुमित्रा को रेहान को टाइफाइड का इंजेक्शन दिलाने डॉक्टर शैवाल के यहाँ जाना था। निर्धारित तिथि और समय पर नहीं जाने पर लम्बी कतार में फंसना था। सुमित्रा चाहतीं थीं कि जल्दी जाकर आ जाएं। फिर स्कूल के समय रेहान को तैयार कर स्कूल भेजने की भी जिम्मेदारी उसी पर थी। वह अपने खिलौने और पुस्तकों से बनाएं हुए घर को सुरक्षित देखना चाहता था। उसे डर लगता था कि अम्मा के डर से काम वाली महरी मालती उसके कमरे को साफ-सुथरा करने के बहाने मेरे द्वारा बनाए गए खिलौने के घर को नहीं तोड़ दें। इसलिए वह इंजेक्शन लगाने के लिए नहीं जाना चाहता था। परन्तु माँ की ममता तो सब जानते हैं कि किसी भी तरह येन केन प्रकारेण वह बच्चे को इंजेक्शन दिला दें ताकि भविष्य में वह सुरक्षित रह सके।


सुमित्रा इस कारण अपने बेटे के मन में अंकुरित विश्वास को जीवित रखना चाहतीं थीं। उसने चुपके से रेहान के कमरे में उसके द्वारा बनाए गए खिलौने के घर की मोबाइल पर तस्वीर खींच कर महरी मालती के एंड्रॉयड फोन पर भेज दी। फिर उसे किचन में बुलाकर सारी बातें समझा दी।

सुमित्रा तैयार हो रेहान को इंजेक्शन दिलाने लें गयी। रेहान को अपनी अम्मा और बाबूजी पर पूरा विश्वास था कि अब मेरे द्वारा बनाए गए खिलौने के घर बिल्कुल सुरक्षित रहेगी। सही समय पर सुमित्रा के पहुँचने पर इंजेक्शन दिलाने में कोई तकलीफ़ नहीं हुई। उसके बाद सुमित्रा ने अपने लाडले को आइसक्रीम खिलाते हुए घर लें आई। इस बीच महरी मालती ने अपने मोबाइल पर आयी तस्वीर को देखकर रेहान के कमरे की साफ-सफाई की और मोबाइल पर भेजी गई तस्वीर के अनुरूप उसके कमरे को सजा दी। इंजेक्शन लगाने के बाद ख़ुशी-ख़ुशी वह अपने कमरे में घुस कर अपने खिलौना घर को देखा कि वह सुरक्षित है अथवा नहीं। उसे डर था कि महरी मालती सब कुछ गड़बड़ कर सकती हैं।

सुमित्रा ने रेहान को इस कदर ख़ुश बहुत कम ही अवसरों पर देखा थीं। उसे आज अपने बेटे के ऊपर काफी फक्र हो रहा थी कि उसके मन में अपनी अम्मा के प्रति कितना विश्वास और भरोसा है। वह इस अंकुरित विश्वास को जीवित रखना चाहतीं थीं। आज सुमित्रा ने अपने चातुर्य से यह खेल विजेता बन कर पूरी कर चुकीं थीं। बच्चों के कोमल हृदय में अंकुरित विश्वास को सदैव बनाकर रखना जरूरी है। सुमित्रा आज इस बात को समझ कर काफी खुश नजर आ रही थी।


लेखक - डॉ. अशोक शर्मा जी, पटना (बिहार)

                               

                                 

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