Bhartiya Parmapara

राम – सत्य और धर्म का सार

(i) राम श्वांस है आश है

राम श्वांस है आश है, राम सत्य का मर्म ।  
धुरी राम के  नाम की, टिका हुआ है धर्म ।।

समाया राम  नाम में , मर्यादा का रूप ।  
संस्कृति संवाहक सदा, अद्भुत और अनूप ।।

रामचरित संसार में, जीवन का आधार ।  
लोक और परलोक से, करता बेड़ा पार ।।

रावण झूठा दर्प है, रावण छल बल क्रोध।  
जीवन की सच राह का, रावण है अवरोध ।।

असुर करे प्रयास सभी, झूठ कपट के संग ।  
अंत जीत सच की रहे, भरे खुशी के रंग ।।

धर्म मर्म सत्कर्म का, है अद्भुत आगार ।  
तुलसी बाबा ने दिया, रामचरित  संसार ।।

- व्यग्र पाण्डे जी, गंगापुर सिटी, (राज.)

                                     

                                       

(ii) राम-राम 

नाम राम का ले लिया, जिसने सुबह-शाम ।  
घर बैठे उसके हुए, समझों चारों धाम ॥  
प्रातःकाल निवृत हो, जल से कर अभिषेक।  
रोग-शोक मिट जाएंगे, शिव रखेंगे टेक ॥

निर्बल मन शंका जिसे, बात-बात भय खाय।  
चालिसा का पाठ कर, हनुमत शीश नवाय ॥

कन्या के संबंध में, जिसके अडचन आय ।  
श्रीफल लेकर हाथ में, दुर्गा के दर जाय ।।

निर्धनता के श्राप का, सुन ले एक उपाय ।  
दुर्वा फूल गुलाब का, गणपति पांव चढ़ाय ॥

मंदबुद्धि संतान को दिन-दिन आय ज्ञान |  
सरस्वती को ढोक दे, श्वेत वस्त्र का दान ॥

आदर चाहों उम्र भर, हरों पराई पीर ।  
प्रेमपूर्ण व्यवहार हो, नमन करो रघुबीर ॥

सच का पल्ला छोड़कर, बोलेगें यदि झूठ ।  
हरा वृक्ष भी सूखकर हो जायेगा ठूंठ ॥

- रामस्वरूप मूंदड़ा जी, बूँदी (राज.)

 

                                     

                                       

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