
माटी के दीयों को बड़ी तन्मयता से पूर्णिमा सजा रही थी। इन्हीं दीयों की बदौलत उसके घर में दीपावली मनती है। अब की बार उसने अपने पति दामू से कहा कि दीयों के साथ हम रंगोली के रंग भी बेचेंगे, दामू ने मौन स्वीकृति दे दी। पूर्णिमा का चेहरा पूनम के चांद सा खिल उठा। रंगोली के रंगों की भांति इन्द्रधनुषी छटा सा उसका मुखमंडल चमक उठा।
पिछले दो वर्षों से दीपावली पर बच्चों को कुछ मिठाई नहीं खिला पाई जिसका गम उसके मातृत्व को पीड़ा दे रहा था। "पिछले बरस बारिश के चलते बिक्री नहीं हुई और एक बार तो बाजार में अतिक्रमण में आए ट्रक सारे दीपक ले चलते बने, वह डबडबाई आँखों से बस देखती रह गई। उस दिन तो घर में चूल्हा भी न जला।“
आज बाजार में काफी रौनक देख वह मन ही मन खुश हो रही थी वैसे भी अब की पूरी उम्मीद थी कोरोना के बाद देशवासियों में देश के प्रति प्रेम जागृत हुआ, इस बार चाइना के लाइट, दीपक इनकी बिक्री नहीं होगी और मेहनत से सजे इस बाजार से रोजी रोटी तो पा ही लेंगे यह सोचते हुए बड़ी तन्मयता के साथ वह ग्राहकों की राह तकती रही तभी दो सहेलियों का ध्यान उसके हाथों से बने सुंदर दीपों ने आकर्षित किया उनकी चमचमाती कार उनके धनाढ्य होने की गवाही दे रही थी। दीयों और रंगोली खरीदने में भी वह आपस में कीमत तय कर मोल भाव कर रही थी।
अब की पूर्णिमा को बिक्री ज्यादा होगी पूरी उम्मीद थी, इसीलिए दीये भी काफी संख्या में बनाए। हर कोई आता और मोल भाव कर बड़ा ही कस लगाते हुए दीये और रंगोली के रंग खरीद रहे थे। धीरे धीरे पूर्णिमा के चेहरे का चांद, जैसे अपनी चमक खो रहा था। ढलता सूरज उसके सपनों पर अंधियारा बिखेर रहा था, तभी हड़बड़ी में एक शिक्षित नौजवान अपनी मां के साथ आया। मां तत्परता से मोल भाव करने लगी तभी उसने अपनी मां को समझाते हुए कहा "मां, दीवाली बाद जो पापा का ऑपरेशन है उसमें कुल सात लाख का खर्चा होना है, मैं दीये नहीं दुआएं बटोरने का प्रयास कर रहा हूँ ताकि पापा जल्द ही स्वस्थ हो जाएं।"
बेटे की बातों ने मां को मौन कर दिया। उस बेटे ने सारे दीये खरीद लिए और साथ ही करीब की दुकान से मिठाई लाकर पूर्णिमा के बच्चों को दे दी।
दीपक की रोशनी कितनी जगमगाएगी पता नहीं पर पूर्णिमा के आंखों की रोशनी से तृप्ति के भाव प्रस्फुटित हो रहे थे। बच्चों को मिठाई खाते देख पूर्णिमा की दीवाली मन गई आज उसकी खुशी आसमान छू रही थी और साथ में उस नौजवान के पापा के सफल ऑपरेशन की दुआएं भी मांग रही थी।
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