Bhartiya Parmapara

बलराम जयंती, हल षष्ठी और चंद्र छठ का महत्व

बलराम जन्म दिवस की हार्दिक बधाई

द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इन्हें शेषनाग का अवतार माना जाता है। बलराम जी का शस्त्र हल और मूसल है, इसलिए इन्हें "हलधर" कहा जाता है। इनके अन्य नाम भी प्रसिद्ध हैं जैसे – संकर्षण, हलायुध, रोहिणीनन्दन, काम और नीलाम्बर।

भारत एक कृषि प्रधान देश है और हल को कृषि का आधार व प्राणतत्व माना गया है। इसी कारण बलराम जन्मोत्सव पर हल की पूजा करने की परंपरा है। बलराम जन्म दिवस को देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है – हल षष्ठी, चन्दन षष्ठी और चंद्र छठ

बलराम जी को शक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। वे धर्म की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। उनका जीवन हमें कृषि, परिश्रम और धर्मपालन का संदेश देता है।

उपछठ का व्रत

बलराम जन्म दिवस से जुड़ा हुआ एक विशेष व्रत है – उपछठ का व्रत। यह भादवा माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। इस व्रत का नियम यह है कि इसे खड़े रहकर पूरा किया जाता है।

सायंकाल स्नान करने के बाद व्रती तैयार होकर खड़े रहते हैं और जब तक चन्द्रमा को अर्घ्य न अर्पित किया जाए, तब तक भोजन ग्रहण नहीं करते। इस दौरान मंदिरों में दर्शन करने की परंपरा भी है। चाँद को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है और भोजन किया जाता है।
 

उपछठ की कथा - https://www.youtube.com/watch?v=rVnDLQZzf3s

 

                                    

                                      

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