Bhartiya Parmapara

आभूषण | माँ-बेटी के रिश्ते और जीवन के सुंदर संदेश की कहानी | Adornment

दुल्हन का लिबास पहने जैसे ही दर्पण में आभा अपना प्रतिबिंब निहार रही थी तभी माँ ने कमरे में प्रवेश किया। आभा तुनक कर माँ से कहने लगी "घाघरे का यह रंग तो मुझे पसंद ही नहीं आया माँ, देखो न‌ यह मुझपर जरा भी नहीं फब रहा और यह ज्वेलरी भी"...  
ओह! कितना पुराना फैशन। आजकल शादी का जोड़ा सब लड़कियां अपनी पसंद से ही लेती है। पता नहीं राहुल के घरवाले किस जमाने में जी रहे हैं।

माँ ने आभा को प्यार से गले लगाया और समझाने लगी बेटी हर घर का अलग अलग रिवाज होता है, और खूबसूरती पहनावे से या दिखने भर से नहीं आती, वह आती है हमारे आचरण और व्यवहार से। बेटी विवाह उपरांत तुम्हें अपने भीतर बहुत से बदलाव लाने होंगे।

अपनी वाणी को संयमित रखकर चलना होगा, शब्दों के तीर गहरी वेदना देते है और जब दर्द भरी आहें निकलती है तो उसका नकारात्मक प्रभाव कब किस रूप में हमें घेर लेता है हम समझ नहीं पाते। हर परिस्थिति का सामना हँसते हुए करना मुस्कान से बढ़कर कोई आभूषण नहीं है। यह आभूषण हमारी खूबसूरती में चार चाँद लगा देता है बेटी। 

मीठी वाणी से हम सभी के दिलो पर राज करने में कामयाब हो सकते हैं। अब किस राह चलना सही रहेगा सफर तुम्हारा है तय तुम्हे करना है। आभा खिलखिलाते हुए माँ से लिपट गई और शरारती अंदाज में कहने लगी, मॉं आप ही तो मेरा गुगल मैप हो जो रास्ता आप बताओगी मुझे तो उसी पर चलना होगा। तभी ढोल की आवाज कानों में पड़ी माँ ने डबडबाई आँखों से बेटी को आशीर्वाद दिया लिबास तो वहीं था पर आभा को अब दर्पण में अपना प्रतिबिंब खूबसूरत नजर आ रहा था। 
 

                       

                         

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