
🌱 सर्वोत्तम है शाकाहार, त्याज्य सर्वथा मांसाहार
शाकाहार एक जीवन-प्रणाली है, जिसका भारतीय संस्कृति और विज्ञान से गहरा संबंध है। यह निर्विवाद है कि आध्यात्मिक, नैतिक, आर्थिक, अहिंसा, प्रकृति, योग, पाचन-क्रिया एवं पर्यावरण की दृष्टि से शाकाहार उत्तम आहार है।
मनुष्य मूलतः शाकाहारी प्राणी है — उसकी आँत से लेकर दाँत एवं शरीर की संरचना इसी तथ्य को इंगित करती है। मांसाहारी जीवों की शारीरिक संरचना उनके प्रकृतिप्रदत्त मौलिक स्वभाव को निर्धारित करती है, जैसे उनके लंबे नाखून और नुकीले दाँत होते हैं। उनकी आँतों में विशेष प्रकार के जैव-रसायनों का स्राव होता है, जो मांस को गलाकर पचाने में समर्थ होते हैं, जबकि मनुष्य में ये क्षमताएँ नहीं पाई जातीं।
🍃 शाकाहार में मांसाहार की तुलना में अधिक पौष्टिक तत्व
कई बार कुछ मांसाहारी, विशेषकर विद्यार्थी-वर्ग और डॉक्टर-वर्ग, बीमार व्यक्ति को अधिक प्रोटीन उपलब्ध कराने की दृष्टि से अंडा या मांस खाने की सलाह देते हैं। कुछ लोगों को यह भ्रम है कि मांसाहार, शाकाहार से अधिक पौष्टिक होता है, परंतु सत्यता जानने के बाद यह भ्रम मिट जाता है।
निम्न तालिका से यह प्रमाणित होता है कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी की दृष्टि से शाकाहार स्वास्थ्य की सुरक्षा में मांसाहार से अधिक उपयोगी है —
नाम पदार्थ | प्रोटीन | कार्बोहाइड्रेट | कैलोरी |
---|---|---|---|
शाकाहार | |||
मूँग | 24 | 56.6 | 334 |
सोयाबीन | 43.2 | 20.9 | 432 |
मूँगफली | 31.5 | 19.3 | 549 |
स्प्रेटा दूध पाउडर | 38.3 | 51 | 357 |
मांसाहार | |||
अंडा | 13.3 | 0 | 173 |
मछली | 22.6 | 0 | 91 |
बकरे का मांस | 18.5 | 0 | 194 |
उक्त तालिका से स्पष्ट है कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी की दृष्टि से शाकाहार, मांसाहार से श्रेष्ठ आहार है।
आहार में कार्बोहाइड्रेट, जो ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, मांसाहार में लगभग शून्य है।
कार्बोहाइड्रेट के लिए शाकाहार में अनेक विकल्प हैं — जैसे आम, केला, अंगूर, सेब आदि फल। इसी प्रकार विभिन्न दालों, गेहूँ, चावल, आलू आदि में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं। फलों, सब्जियों और खाद्यान्नों में विटामिन और खनिज पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं।
🔺 मांसाहारियों की बढ़ती संख्या — एक चिंताजनक प्रवृत्ति
हमारे देश में शाकाहार को आदर्श माना जाता है, परंतु राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आँकड़े बताते हैं कि देश में लोग मांसाहार की ओर बढ़ रहे हैं। राजस्थान और पंजाब को छोड़कर अनेक राज्यों में मांसाहारियों की संख्या में वृद्धि हुई है।
वर्ष 2015–16 के सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले दशक में शाकाहारियों की संख्या में अत्यधिक गिरावट आई है। दिल्ली में सबसे अधिक वृद्धि-दर देखी गई है, वहीं हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी यह प्रवृत्ति बढ़ी है। दक्षिण भारत में मछली, मांस और अंडों की खपत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
अंडा, मांस और मछली की कीमतों में तेजी से वृद्धि होने के बावजूद इनके उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ी है। इसका कारण बढ़ती आमदनी और पारंपरिक खान-पान से हटकर नए स्वादों को आज़माने की प्रवृत्ति है।
🌾 शाकाहारियों की प्रमुख श्रेणियाँ
1. लैक्टो वेजिटेरियन —
ये वे शाकाहारी हैं जो सब्जियाँ, फल, अनाज आदि खाते हैं, परंतु अंडा नहीं। ये दूध और दुग्ध-उत्पाद ग्रहण करते हैं।
2. ओवो वेजिटेरियन —
ये व्यक्ति मांस या मछली नहीं खाते, परंतु अंडे को आहार में शामिल करते हैं। इन्हें “एगीटेरियन” भी कहा जाता है।
3. ओवो-लैक्टो वेजिटेरियन —
ये मांस या मछली नहीं खाते, परंतु दूध और अंडे का सेवन करते हैं। पश्चिमी देशों में ये वर्ग प्रचलित है।
4. वीगन —
ये किसी भी प्रकार के पशु-आधारित उत्पादों से पूर्णतः परहेज करते हैं — न मांस, न अंडा, न दुग्ध-उत्पाद। यहाँ तक कि ये शहद, रेशम, चमड़ा और ऊन का भी उपयोग नहीं करते।
5. फ्लेक्सिटेरियन —
ये मुख्यतः शाकाहारी होते हैं, परंतु कभी-कभी मांस या पशु-उत्पाद ग्रहण कर लेते हैं। तकनीकी रूप से ये पूर्ण शाकाहारी नहीं होते, पर उनका झुकाव उसी दिशा में रहता है।
🥚 अंडा स्वास्थ्यवर्द्धक नहीं
अक्सर यह कहा जाता है कि बच्चों को अंडे से अधिक स्वास्थ्य मिलता है, जबकि यह भ्रांति है।
अमेरिकी डॉक्टर डॉ. माइकल एस. ब्राउन और डॉ. जोसेफ एल. गोल्डस्टीन ने सिद्ध किया कि अंडे के सेवन से हृदय रोग बढ़ते हैं, क्योंकि 100 ग्राम अंडे में लगभग 500 मि.ग्रा. कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है — जो फलों और वनस्पतियों में नगण्य होता है।
अंडे के छिलके पर लगभग 15,000 सूक्ष्म छिद्र होते हैं, जिनसे जीवाणु अंदर प्रवेश कर उसे खराब करते हैं। हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार अब अमेरिका के दो-तिहाई घरों में शाकाहार लोकप्रिय होता जा रहा है।
❄ जहाँ फल-सब्जी और अन्न नहीं, वहाँ मांसाहार विवशता
ध्रुवीय क्षेत्रों, समुद्री तटों और दुर्गम स्थलों पर, जहाँ वनस्पति का अभाव है, वहाँ मांसाहार को विवशता माना जा सकता है।
परंतु जहाँ अन्न, फल और सब्जियाँ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, वहाँ स्वाद के लिए मांसाहार अपनाना स्वास्थ्य और करुणा — दोनों के विरुद्ध है।
🐘 मनुष्य के लिए मांसाहार आदर्श नहीं
मानव के लिए मांसाहार किसी भी रूप में आदर्श भोजन नहीं। विश्व के सबसे शक्तिशाली प्राणी — हाथी, गैंडा, बैल, घोड़ा, जिराफ — सभी शाकाहारी हैं।
आजकल पशुओं में संक्रमण अधिक होने से उनका मांस स्वास्थ्य के लिए प्राणघातक सिद्ध हो सकता है। इनके तेज विकास के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन भी हानिकारक हैं। मांसाहार तन और मन दोनों पर तामसिक प्रभाव डालता है, जिससे अपराध-प्रवृत्तियाँ बढ़ सकती हैं।
🌍 मांसाहार और पर्यावरणीय संकट
मांसाहार जीव-हिंसा से जुड़ा है। स्वाद-लिप्सा की पूर्ति के लिए जीवों की हत्या पापजन्य कर्म है।
वैज्ञानिक अनुसंधानों से सिद्ध हुआ है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, भूमि व जल प्रदूषण, तथा जैव-विविधता ह्रास में मांसाहार का योगदान अत्यधिक है।
एक किलो मांस तैयार करने में लगभग 5,000 से 20,000 लीटर जल लगता है, जबकि एक किलो सब्जी के लिए मात्र 322 लीटर जल की आवश्यकता होती है।
🩺 रोगों की रोकथाम में शाकाहार
विश्व स्वास्थ्य संघ के अनुसार, अनेक असाध्य बीमारियाँ — जैसे मिरगी, हृदय रोग, रक्तचाप, गुर्दे और मधुमेह — मांसाहार से संबंधित हैं।
शाकाहारी व्यक्तियों में अवसाद और अन्य रोगों की दर अपेक्षाकृत कम पाई गई है।
अतः स्वास्थ्य-प्रेमियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अंडा और मांस जैसी अभक्ष्य वस्तुओं से परहेज करें।
यदि मांसाहार किसी रूप में जीवनशैली का भाग रहा हो, तो समय रहते उसका त्याग करना ही बुद्धिमानी है।
🌼 निष्कर्ष
शाकाहार एक स्वस्थ, नीरोग और सुखी जीवन का आधार है। इसे स्वयं अपनाएँ और परिवार व समाज में इसके प्रचलन को बढ़ाएँ।
महान वैज्ञानिक आइंस्टीन कहा करते थे —
“शाकाहार का हमारी संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि विश्व शाकाहार अपना ले, तो मानव का भाग्य बदल सकता है।”
लियोनार्दो दा विंची जैसे महान व्यक्ति तो पिंजरों में कैद पक्षियों को खरीदकर मुक्त कर देते थे।
आज अनेक वैज्ञानिक अनुसंधान सिद्ध करते हैं कि शाकाहार सर्वोत्तम आहार है, जिससे शरीर, मन और पर्यावरण — तीनों का संतुलन संभव है।
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