
हिंदू धर्म में पूर्णमासी का अपना विशेष महत्व होता है। प्रत्येक महा पूर्णमासी आती है और धर्मपरायणया लोग पूर्णमासी के दिन सत्यनारायण भगवान का व्रत कथा पूजन करते हैं प्रत्येक पूर्णिमा का अपना महत्व तो है ही लेकिन शरद पूर्णमासी का अपना एक विशेष महत्व हमारे हिंदू धर्म एवं संस्कृति में हैं, यह पूर्णिमा शारदीय नवरात्रि के बाद अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि शरद पूर्णमासी आती है। यह हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के 4 महीने के शयन काल का अंतिम चरण होता है और यही कारण है कि शरद पूर्णमासी को मां लक्ष्मी का पूजन भी विशेष विधि विधान से किया जाता है। शरद पूर्णमासी को कई नामों से पुकारा जाता है "कोजागिरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा एवं कौमुदी व्रत" भी कहते हैं।
शरद पूर्णमासी का महत्व -
1) शरद पूर्णमासी के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है
2) शरद पूर्णमासी से ही शरद ऋतु का प्रारंभ होता है
3) पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है
4) शरद पूर्णमासी के दिन चंद्रमा विशेष तेज बान तथा ओज वान होता है साथ ही विशेष अमृत मय गुणों से परिपूर्ण होता है
5) शरद पूर्णमासी की रात्रि स्वास्थ्य एवं सकारात्मकता देने वाली होती है
6) देवी देवताओं को विशेष प्रिय पुष्प ब्रह्म कमल इसी रात को खिलता है
7) मां लक्ष्मी का जन्म भी इसी दिन हुआ था
पूजन विधि -
प्रातः काल उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहने तथा शरद पूर्णमासी का व्रत करने का संकल्प मन में करें, पूर्णमासी के दिन चंद्रमा सांयकाल में जल्दी निकलता है हमारे पौराणिक कथाओं के अनुसार कुछ स्थानों पर छोटी-छोटी लड़कियां भी शरद पूर्णमासी का व्रत करती हैं जिनकी उम्र 7 या 8 साल की होती है जिनके भाई होता है अपने भाई की सुख समृद्धि और उसकी जीवन रक्षा के लिए वह छोटी कन्या भी व्रत करती है। छोटी कन्याओं के प्रेम से वशीभूत होकर चंदा मामा जल्दी निकल आते हैं ताकि छोटी बच्चियों को बहुत देर तक भूखा न रहना पड़े क्योंकि इस व्रत में चंद्रमा का अर्घ्य देने के बाद ही भोजन किया जाता है।
शिव पार्वती कार्तिकेय की पूजा भी की जाती है साथ ही में मां लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है कार्तिक स्नान के साथ ही राधा दामोदर पूजा व्रत संकल्प धारण करने का यही दिन है। सांय कल जब चंद्रमा निकल आए तब चंद्रमा की पूजा की जाती है चंद्रमा देवता को रोली अक्षत दूब चढ़ाई जाती हैं साथ ही में चंद्रमा को दही और मीठी पूरी का प्रसाद लगाया जाता है पूजा करने के उपरांत चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। अरख देने के लिए हाथ में सुपारी, कुमकुम, सिक्का, दूब, फूल तथा आटे के बने आस लिए जाते हैं हाथों पर जल डालकर अर्घ्य देते हैं तथा अर्घ्य देते समय निम्नलिखित पंक्तियां कही जाती है -
"पूनो पूनो पुन्य बन्ती अरग देव कुलवंती जाई माई बाप के; अरगदेयकांन्तके"
अर्घ देने के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है यह व्रत बहनें अपने भाई की मंगल कामना के लिए भी करती हैं।
मां लक्ष्मी का विशेष पूजन -
आज के ही दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था इसलिए मां लक्ष्मी की विशेष पूजा एवं अर्चना की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा धन धानी से परिवार को पर पूर्ण करती हैं मां लक्ष्मी धन की देवी है साथ ही में दांपत्य जीवन में प्रेम स्नेह विश्वास बढ़ाती हैं। स्नान कर कर एवं पूजा के स्थान को पूरी तरह से स्वच्छ कर एक चौकी बिछाई चौकी पर लाल वस्त्र बिछाए तथा लक्ष्मी पूजन के लिए जो चित्र रखें उस चित्र में महालक्ष्मी गुलाबी कमल के ऊपर बैठी हुई धन से भरा हुआ कलश बिखरती हुई होना चाहिए पूजन के समय गुलाबी या सफेद वस्त्रों को धारण करके पूजन करना चाहिए आज के दिन मां लक्ष्मी के सामने जो अखंड दीपक जलाता है उसकी सारी समस्याओं का अंत हो जाता है इस बात का विशेष ध्यान रखें जिस फोटो या मूर्ति का हम पूजन कर रहे हैं वह खंडित ना हो दीया पुराना ना हो पहले से जला हुआ ना हो और नट खंडित इन बातों का विचार करके अखंड दीपक जलाना चाहिए।
मां लक्ष्मी जी के सामने जो अखंड दीपक जलाया जाता है वह गाय के दूध से बने घी से जलाया जाता है, घी का जो अखंड दीपक माता लक्ष्मी के चित्र या मूर्ति के दाहिने हाथ की ओर रखा जाता है साथ में एक और दीपक जलाया जाता है वह बाएं तरफ रखा जाता है जिसे तेल से जलाते हैं जिसमे दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर उड़ती है तो यह बहुत उत्तम है।
दीपक में रूई से बाती ना बनाए लाल धागा मिलता है उससे बनाएं महालक्ष्मी को लाल रंग बहुत पसंद है उनकी पूजा रात 9:00 से 12:00 के बीच में करें शरद पूर्णमासी के चंद्रमा को लगातार 15 मिनट तक अवश्य देखें शरद पूर्णमासी का यह अखंड दीपक दीपावली की रात से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है घर में धन धान्नय लक्ष्मी की वर्षा हो इसलिए एक छोटा सा नारियल ले नारियल पर स्वास्तिक बनाएं मां लक्ष्मी के सामने रखें बाद में उसे लाल कपड़े में बांधकर जहां आप अपने जेवर या रुपया पैसा रखते हैं वहां रखे।
मां लक्ष्मी के पूजन में मां लक्ष्मी को केसर का तिलक लगाएं तथा जब उनके चरणों पर केसर लगाएं तभी अपने माथे पर भी केसर का तिलक लगाएं यह आवश्यक है।
शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व -
शरद पूर्णमासी के दिन गाय के दूध से बनी खीर का विशेष महत्व होता है, जो रात्रि में चंद्रमा की चांदनी में रखी जाती है। कहा जाता है कि खीर में अमृत वर्षा होती है और यह खीर हमारी इंद्रियों को ताकत तथा उस देने वाली होती है यह विज्ञान ने भी सिद्ध किया है यह खीर अमृत मयी गुणों से भरपूर होती है। गाय के दूध में छुहारे तथा सूखी मेवा डालें साथ में शक्कर का उपयोग ना करें शहद या मिश्री का उपयोग कर सकती हैं थोड़ी सी उसमें केसर डालें। यदि खीर में मिश्री डाल दी है तो शहद का भोग अलग से लगाएं। चावल की खीर ना बनाएं। खीर को ठंडा करके रात में खुली चांदनी में रखें। ब्राह्मणों को खीर खिलाएं दक्षिणा दें तथा इस बात का ध्यान रखें जो भी दक्षिणा दें या दान दें वह तांबे के बर्तन में दें प्लास्टिक या स्टील के बर्तन में नहीं।
आज के दिन ही शंख का भी प्रदुर्भाव हुआ था इसलिए शंख की पूजा भी की जाती है।
रात्रि में अमृत मई चंद्रमा को लगातार 15 मिनट तक देखें तथा सुई में धागा पिरोए, कहा जाता है इससे नेत्र ज्योति बढती है।
Login to Leave Comment
LoginNo Comments Found
संबंधित आलेख
तिल चौथ | वक्रतुण्डी चतुर्थी | तिलकुटा चौथ व्रत विधि
तेजादशमी पर्व
जगन्नाथ रथयात्रा | उत्कल प्रदेश के श्री जगन्नाथ भगवान | ओडिशा
रामदेव जयंती | लोकदेवता रामदेव जी पीर
रक्षाबंधन | राखी त्योहार के पीछे क्या तर्क है?
नवरात्रि का महत्व | साल में कितनी बार नवरात्रि आती है ?
शरद पूर्णिमा | शरद पूर्णिमा का महत्व
साजिबू नोंग्मा पैनाबा
ऋषि पंचमी का त्योहार | माहेश्वरी रक्षाबंधन
श्राद्धपक्ष के दौरान न करें ये काम | पितृपक्ष
क्या है पितृपक्ष की पौराणिक कथा ?
ओणम पर्व इतिहास और महत्व
मकर संक्रांति पर्व
नवरात्रि के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माँडा की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के सातवे दिन माँ कालरात्रि की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
लाभ पंचमी का महत्व, व्यापारियों के लिए खास है ये दिन, लाभ पंचमी | सौभाग्य पंचमी
कार्तिक माह स्नान का महत्व | जाने कार्तिक माह में किये जाने वाले व्रत के प्रकार | Importance of Kartik Maah
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
करवा चौथ व्रत | छलनी में क्यों देखा जाता है चाँद और पति का चेहरा?
शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना कैसे करे ? | कलश स्थापना
पर्युषण पर्व | जैन समाज का पर्युषण पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता हैं ?
होली की परम्पराये | होली मनाने का तरीका
हरतालिका व्रत का महत्व | हरतालिका व्रत क्यों करते है ?
क्यों मनाई जाती है आषाढ़ की पूनम को गुरु पूर्णिमा | गुरु पूर्णिमा
गुप्त नवरात्रि क्यों मनाते है ? | गुप्त नवरात्रि का महत्व
गोवर्धन पूजा क्यो करते हैं ? | अन्नकूट का त्योहार
गणपति बप्पा मोरया | जाने गणेश जी को "गणपति बप्पा मोरया" क्यों कहते है ?
गणगौर का व्रत एवं पूजा | गणगौर व्रत
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन | गणपति विसर्जन
गणेश उत्सव क्यों मनाते है - Why Celebrate Ganesh Utsav ?
दशहरा, विजयादशमी और आयुध-पूजा क्यों मनाते है ?
दीपावली पर किये जाने वाले उपाय | दीवाली पूजा | लक्ष्मी पूजन
दीपावली क्यों मनाते हैं? - जानें इसका महत्व और इतिहास
परिवर्तिनी एकादशी | परिवर्तिनी एकादशी: महत्व, पूजा विधि और लाभ
दीपावली पूजन विधि और पूजा सामग्री | लक्ष्मी पूजन की विधि
जानें क्यों मनाया जाता है धनतेरस का त्योहार ? | धनतेरस
होली - रंग अनेक, तरीके अनेक
जानिए क्यों मनाई जाती है देव दिवाली | देव दिवाली | कैसे शुरू हुई देव दिवाली मनाने की परंपरा
दही हांडी | दही हांडी पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता है ?
नरक चतुर्दशी, काली चौदस, रूप चौदस, छोटी दीवाली या नरक निवारण चतुर्दशी का महत्व
जानें क्यों मनाया जाता है छठ पूजा का त्योहार, किसने शुरू की परंपरा?
चेटीचंड का त्योहार क्यों मनाते है ? | झूलेलाल जयंती
भाई दूज | जानें, कैसे शुरू हुई भाई दूज मनाने की परंपरा, कथा और महत्व
ब्यावर का ऐतिहासिक बादशाह मेला | Beawar City
आदि पेरुक्कु का त्योहार | तमिलनाडु का मानसून त्योहार
नीम की डाली / टहनी से बड़ी (सातुड़ी) तीज की पूजा क्यों की जाती है ? | सातुड़ी तीज
बसंत पंचमी क्यों मनाते है ? | बसंत पंचमी का महत्व
अनंत चतुर्दशी का महत्व | विष्णु जी की पूजा
अक्षय तृतीया | क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया? | अक्षय तृतीया का महत्व क्या है ?
होली क्यों मनाते है? | होली का महत्व
अधिक मास में दान का महत्व | पुरुषोत्तम मास की तिथिनुसार दान सामग्री
अहोई अष्टमी का महत्व, अहोई अष्टमी की पूजा विधि और अहोई अष्टमी की कथा | Ahoi Ashtami Vrat
उगादी या युगादी का त्योहार क्यों मनाते है ?
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं | हनुमान जयंती
वट सावित्री व्रत | वट सावित्री व्रत का महत्व
पंढरपुर की वारी | भगवान विट्ठल
गुड़ी पाड़वा
महाशिवरात्रि
दिवाली - रामा सामा
महाराष्ट्र की महालक्ष्मी
राम की शक्ति पूजा और नवरात्रि का आरंभ | रामनवमी
निर्जला एकादशी | निर्जला एकादशी की कथा
गुप्त नवरात्रि की उपादेयता
हरियाली अमावस्या | शिव भक्ति | सावन का मौसम
देव शयनी एकादशी | देवउठनी एकादशी | हरि प्रबोधिनी एकादशी
श्री गोवर्धन पूजा एवं प्राकट्य
श्री गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट
जया एकादशी का महत्व | जया एकादशी व्रत
मोक्षदा एकादशी | गीता जयंती | मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी
पौष पुत्रदा एकादशी | पुत्रदा एकादशी | पुत्रदा एकादशी का व्रत
षटतिला एकादशी | षटतिला का अर्थ | षटतिला एकादशी व्रत
महाशिवरात्रि का महत्व | महा शिवरात्रि का व्रत | भगवान शिव
म्हारी गणगौर | गणगौर पूजा | गणगौर का त्योहार
होली के रंग जीवन के संग
माहेश्वरी उत्पत्ति दिवस | महेश नवमी | माहेश्वरी
शीतला सप्तमी/बासोड़ा पूजा | Sheetla Saptami Puja
कजली तीज
मकर संक्रांति का त्यौहार
महा शिवरात्रि | शिव की पूजा कैसे करें | बारह ज्योतिर्लिंग
सौभाग्य को बनाये रखने हेतु मनाया जाता है गणगौर पर्व
अक्षय फलदायक पर्व है अक्षय तृतीया
श्री राम सीता का विवाह | विवाह पंचमी
पोंगल का त्योहार | कैसे मनाया जाता है पोंगल ?
हनुमान जयंती | हनुमान जयंती कैसे मनाते है ?
गुरु पूर्णिमा | गुरु पूर्णिमा का अर्थ | गुरु पूर्णिमा का महत्व
देवी राधा का जन्मदिन | राधाष्टमी की पूजा विधि
पोला-पिठोरा (पोळा) - किसानों का प्रमुख त्योहार
मारबत - नागपुर का मारबत पर्व
श्री लक्षेश्वर - महाशिवरात्रि पर्व
चैत्र नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि के नवमें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा, व्रत कथा, मंत्र, आरती, भोग और प्रसाद
वट सावित्री व्रत
शरद पूर्णिमा व्रत कथा | शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
श्राद्ध क्या होते है? | पितरों को श्राद्ध की प्राप्ति कैसे होती है ?
क्यों होता है अधिकमास | अधिकमास का पौराणिक आधार
डोर विश्वास की : रक्षाबंधन
हरतालिका तीज
दुर्गा पूजा: अच्छाई की विजय और सांस्कृतिक धरोहर का पर्व
हमारे लोक पर्व - सांझी माता या चंदा तरैया
सिंदूर खेला
करवा चौथ में चाँद को छलनी से क्यों देखते हैं?
दीपावली का प्रारंभ दिवस - धनतेरस
दीपावली पर बच्चों को देश की संस्कृति एवं परंपरा से जोड़ें
नाग पंचमी | Naag Panchami
कृष्ण जन्माष्टमी – महत्व, कथा और उत्सव
ऋषि पंचमी – परंपरा और प्रेम का पवित्र सूत्र | Rishi Panchami
महालया से छठ पूजा तक – भारतीय पर्वों की आध्यात्मिक यात्रा
अक्षय नवमी: प्रकृति पूजन और आंवला वृक्ष की पूजा का पर्व | Akshaya Navami
देवोत्थान एकादशी – एक शुभ आरंभ का दिन
सफला एकादशी व्रत: शुभता और सिद्धि का पर्व | Saphala Ekadashi
संकट चौथ व्रत – महत्व, कथा और पूजन विधि
रंगारंग होली के गीत – रसिया और परंपरागत धुनों का उत्सव
अक्षय तृतीया: महत्व, पूजा विधि, कथा और शुभ संयोग | Akshaya Tritiya
भक्ति से विज्ञान तक: हरितालिका तीज का बहुआयामी महत्व
रेशम की डोर | रक्षाबंधन: प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का पावन पर्व
बलराम जयंती, हल षष्ठी और चंद्र छठ का महत्व
पितृ पक्ष: श्राद्ध की परंपरा और महत्व
शरद पूर्णिमा पूजा
दीपोत्सव: संस्कार, सामाजिकता और विज्ञान का संगम
भाई दूज (यम द्वितीया): भाई-बहन के प्रेम, परंपरा और पूजा विधि का पर्व
Bhai Dooj (Yama Dwitiya): Festival of Sibling Love, Tradition, and Rituals
लेखक के अन्य आलेख
Bhai Dooj (Yama Dwitiya): Festival of Sibling Love, Tradition, and Rituals
भाई दूज (यम द्वितीया): भाई-बहन के प्रेम, परंपरा और पूजा विधि का पर्व
शरद पूर्णिमा पूजा
विवाह संस्कार – भारतीय संस्कृति में विवाह का महत्व, परंपराएँ और नियम
वैदिक काल में स्त्रियों का स्थान – समान अधिकार और आध्यात्मिक ज्ञान
अक्षय तृतीया: महत्व, पूजा विधि, कथा और शुभ संयोग | Akshaya Tritiya
रंगारंग होली के गीत – रसिया और परंपरागत धुनों का उत्सव
वैदिक काल की विदुषी : गार्गी और मैत्रेयी
संकट चौथ व्रत – महत्व, कथा और पूजन विधि
सफला एकादशी व्रत: शुभता और सिद्धि का पर्व | Saphala Ekadashi
देवोत्थान एकादशी – एक शुभ आरंभ का दिन
दीपावली का प्रारंभ दिवस - धनतेरस
हमारे लोक पर्व - सांझी माता या चंदा तरैया
हरतालिका तीज
वट सावित्री व्रत
सनातन संस्कृति में व्रत और त्योहारों के तथ्य
विवाह संस्कार की उत्पत्ति प्रकार नियम एवं रिवाजें
स्वास्तिक | स्वास्तिक का उपयोग
कजली तीज