Bhartiya Parmapara

होली पर लघुकथा – रंगों से भरी दिल छू लेने वाली कहानी

हैलो हैलो! क्या बात है ठेकेदार आधी रात में फोन करने का कारण...? सर मैंने आपसे पहले ही कहा था इतनी रेत मिलाना सही नहीं है, पर आपने उस समय हँसकर बात टाल दी आपने ही कहा था रास्ते टूटेंगे, खराब होंगे तभी तो हमें और तुम्हें बार बार काम मिलेंगे। "अरे भई हुआ क्या कुछ तो बोलोगे।" सर उसी रास्ते में पुल के टूटने से एक दुर्घटना हो गई तीन लोगों की जगह पर ही मौत हो गई।

ओह! यह तो बहुत बुरा हुआ, घबराओ मत ले देकर बात दबा देंगे। अच्छा हुआ तुमने मुझे खबर कर दी, आगे क्या करना है मैं देखता हूँ। फोन पर हो रही बातचीत से अनु की नींद खुल गई और वह पूछने लगी क्या हुआ आनंद क्या बात है। कुछ नहीं अनू मुझे सुबह ही टूर पर निकलना होगा आने में कितने दिन लगेंगे कुछ कहा नहीं जा सकता।

सुबह सूर्योदय से पूर्व ही आनंद घर से निकल गया। उसकी पहचान काफी बड़े बड़े नेताओं से और उच्च कर्मचारियों से थी तो रिश्वत के बलबूते और कुछ भागदौड़ करने के पश्चात आठ दस दिन में यह बात दब गई वह अपने इस केस के सिलसिले में ही घर से निकला था। सुबह ही अनू का फोन आया आनंद आप जल्दी से घर आ जाओ अंकुर को अस्पताल में दाखिल किया उसकी हालत बहुत गंभीर है।

क्या हुआ अंकुर को? खेलते खेलते बालकनी से कैसे गिर गया पता ही नहीं चला अनू ने जवाब दिया। अनू तुम कितनी लापरवाह कैसे हो सकती हो... उसका ध्यान रखो मैं बस निकल ही रहा हूँ कहते हुए आनंद ने फोन रखा। कड़ाके की ठंड में भी वह पसीने से तरबतर हो गया। कार रफ्तार से चलाते हुए निकला तो रास्ते में भारी जाम... आगे कोई दुर्घटना हुई ऐसा पता चला दो घंटे वह बीच रास्ते में फंसा रहा पल पल मुश्किल में बीत रहा था।

आज होली का त्योहार था उसके आगे बार बार मासूम अंकुर का चेहरा घूम रहा था। अनु को फोन किया तो वह भी उठा नहीं रही थी हजारों आशंकाओं ने उसे घेर लिया जैसे तैसे रास्ता साफ हुआ दो घंटे में वह घर पहुंचा। अस्पताल में अंकुर के पास उसकी नानी को रख अनु रुपए लेने घर आयी ही थी आनंद को देख अनु का अश्रु बांध फूट पड़ा वह बिलख बिलख कर रोने लगी डॉक्टर ने चौबीस घंटे का समय दिया था हालत गंभीर थी कुछ कहा नहीं जा सकता आंनद। दोनों फौरन अस्पताल के लिए निकले। रास्ते में होली दहन हो रहा था आनंद ने कार रोकी तो अनु को आश्चर्य हुआ क्योंकि वह पूजा पाठ आदि में कम ही विश्वास रखता।

होली के समक्ष जाकर हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए आज वह इस पवित्र अग्नि में अपने भीतर छुपे सारे विकारों की आहुति डाल आया और आज से ईमानदारी और सत्य की राह पर चलने का संकल्प लिया वैसे ही उसके मन में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर गई।

अस्पताल पहुंचते ही बेटे की अवस्था देख मन द्रवित हो गया तभी डॉक्टर ने कहा अब अंकुर खतरे से बाहर है ठीक होने में समय लगेगा। आनंद को अपने किए पर घोर पश्चाताप हो रहा था और वह समझ गया ईश्वर के दरबार में हर गुनहगार को उसके गलती की सजा प्रकृति किसी न किसी रूप में देती ही है।

                             

                               

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