
"14 मार्च विश्व निंद्रा दिवस-विशेष लेख"
पर्याप्त,अच्छी नींद के लिए अपनाया जा रहा है', "स्लीप डिसऑर्डर" और "सप्लीमेंट्री"
नींद का मनुष्य के जीवन में एक महत्वपूर्ण पक्ष है। मनुष्य अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोते हुए गुजार देता है। नींद में परिवर्तन होने से मनुष्य की, कार्य क्षमता पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है। आखिर नींद के लिए लोग इतना परेशान क्यों होते हैं -- क्योंकि "नींद एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा शरीर आराम पाता है।" गहरी नींद से व्यक्ति तनाव रहित हो जाता है। हमें तब तक नींद नहीं आती है, जब तक की दिमाग का दुनिया से सीधा नाता जुड़ा होता है, और दिमाग एवं देह दोनों ही हरकत में चलते रहते हैं। स्पष्ट है__" कि जब तक तनाव रहता है, तब तक नींद नहीं आती और जहां विचार बिल्कुल खत्म हो जाते हैं, तब नींद अचानक आ जाती है। इसलिए यह जरूरी है, कि सोने के समय अपने चिंतन को बिल्कुल बंद कर देना चाहिये।
भागदौड़ की जिंदगी और काम का दबाव के कारण हर कोई व्यक्ति सही मात्रा में नींद नहीं ले पा रहा है। छुट्टी के दिन 1 घंटे या उससे अधिक नींद लेने से हृदय रोग की संभावना बहुत कम हो जाती है। वही दुनिया भर में "हृदय रोग" से होने वाली मोतो में पिछले 30 सालों में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सन1990 में हृदय रोग 1.21 करोड़ था, वहीं अब 2021 में दो करोड़ लोगों की मौत का मुंह देखना पड़ा रहा है। दूसरी ओर अमेरिका से लेकर भारत तक में बेहतर नींद के लिए "सप्लीमेंट" लेने वालों की संख्या बढ़ रही है। अमेरिका में रोग नियंत्रण केंद्र के अनुसार 18 प्रतिशत लोग बेहतरीन नींद लिए "स्लिप सप्लीमेंट्री“ लेते हैं, वहीं भारत में यह संख्या करीब 12 प्रतिशत है। जीवन शैली के बदलाव में सामान्य दवाओ, प्राकृतिक उपचार, थेरेपी की तकनीकों के साथ लेने को स्लिप सप्लीमेंट कहते हैं। रात की बेहतरीन ही शरीर को दिन भर काम करने की ऊर्जा प्रदान करती है। यह ”इम्यूनट सिस्टम" को बेहतर बनाती है। तनाव घटाती है, मस्तिष्क के रूप में कार्य करने की क्षमता को बेहतर बनाती है। देखा गया भारतीय दुनिया भर में कम नींद लेने के मामले में दूसरे नंबर पर है। भारतीय ओसतन 7.1 घंटे की नींद लेते हैं जो की अच्छी सेहत के लिए निर्धारित 7 से 9 घंटे की नींद पर्याप्त होनी चाहिए। कम नींद के कारण की समस्या बनकर उभरती है।
एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में “स्लिप डिसऑर्डर” का चलन तेजी से बढ़ रहा है। हालत यह है,कि अच्छी नींद और निरोगी काया के लिए 78 प्रतिशत भारतीय जोड़े अलग-अलग नींद का आनंद लेते हैं, सोने का विकल्प चुनते हैं। भारत के बाद चीन 67 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया 65 प्रतिशत नंबर पर है। नींद की कमी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम से जुड़ी है। इसमें मानसिक तनाव, खतरनाक ड्राइविंग प्रमुख है, नींद में बाधा डालने वाले कारणों में साथी का खर्राटे लेना, तेज सांस लेना, बेचैनी असामान्य नींद का समय और बिस्तर पर लेकर स्क्रीन का उपयोग किया जाना। वे लोग जो अलग-अलग सोने का विकल्प चुनते हैं। बेहतर नींद की गुणवत्ता और स्थिर या बेहतर रिश्तों की बात कहते हैं। वैसे एक्सपर्ट का कहना है कि साथ सोने के भी फायदे हैं। यह ऑक्सीटोसिन (लव हारमोंस) को बढ़ाता है, जिससे तनाव के स्तर में कमी आती है।
अमेरिकी डॉक्टर शिपर्स ने कहा "निद्रा का सबसे प्रमुख शत्रु है चिंता" अतः हमें चिंता रहित होकर सोना चाहिए। बिस्तर पर लेटने के पश्चात ना तो आने वाले कल के बारे में और नहीं दिनभर की कार्यकलापों के बारे में विचार करना चाहिए। लेटते ही बिजली के स्विच की भांति विचारों के स्विच को भी बंद कर देना चाहिए। नींद के लिए गोलियों का सेवन भी किया जाता है जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदेह होता है। लोगों में अच्छी नींद के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिवर्ष विश्व निद्रा दिवस मनाया जाता है। विश्व निंद्रा या नींद दिवस वर्ष 2008 से प्रत्येक वर्ष मार्च माह के तीसरे शुक्रवार को मनाया जाता है जो कि इस वर्ष 14 मार्च को मनाया जाएगा। नींद सैकड़ों मर्ज की एक दवा, लेकिन आज तनाव और चिंता के दौर में नींद कहीं काफूर हो गई है और सुबह बड़ी बोझिल लगती है।
इसलिए आज हमें यह देखना है कि गहरी नींद में शरीर के अंग प्रत्यंग को आराम मिलता है ,खर्च हुई शक्ति पुनः प्राप्त होती है। गहरी नींद में श्वास गति धीमी होकर नाड़ी धीरे धीरे चलती है। मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम होकर स्पर्श और श्रवण शक्ति का लोप हो जाता है। नींद खुलने पर पहले श्रवण तत्पश्चात स्पर्श शक्ति लौटती है। नेपोलियन बोनापार्ट कम समय सोता था, लेकिन गहरी नींद लेता था, बिस्तर पर जाते ही क्षण भर में वह निंद्रा रानी की बाहों में समा जाता था, और वह जीवन भर निरोग रहा। इसलिए गहरी नींद का आना बहुत आवश्यक है। विश्व में सबसे अधिक साधन संपन्न धनी राष्ट्र अमेरिका में लाखों लोगों को नींद नहीं आती है, यह लोग रोजाना नींद की दवाइयां खाकर बिस्तर पर जाते हैं। अन्य देशों के लोगों की भी लगभग ऐसी ही स्थिति है।
दिन भर मेहनत मजदूरी करने वाला मजदूर जब घर लोटता है और रूखी सूखी खाकर सख्त जमीन पर पढ़ते ही उसे नींद आ जाती है, जबकि उसको मेहनत अनुसार पौष्टिक भोजन भी नहीं मिलता और नहीं ऐशोआराम के साधन। दूसरी तरफ साधनसंपन्न व्यक्तियों को नींद नहीं आने के अनेक कारण होते हैं जैसे लोभ, ईष्र्या, भय,अतिचिंता, यह सब जीवन में बौखलाहट पैदा कर देते हैं। इसके कारण भी नींद की प्रतीक्षा में इन्हें देर रात तक करवटें बदलनी पड़ती है। स्पष्ट है कि यदि कोई व्यक्ति प्रयत्न के बावजूद रात को जो कि नींद का सर्वोत्तम समय है उसमें भी सो ना सके और नींद ना आने के कारण चिंतित रहे तो समझना चाहिए कि वह व्यक्ति अनिद्रा की बीमारी से पीड़ित है।
नींद उम्र की अलग-अलग पड़ावो में कम ज्यादा होती रहती है, नवजात शिशु 24 घंटे में से 20 घंटे तक सोता है फिर क्रमशः नींद की आवश्यकता घटती जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि एक स्वस्थ मनुष्य के लिए औसतन 7-8 घंटे की नींद पर्याप्त होती है।
गहरी नींद से संपूर्ण शरीर को विश्रांति एवं उचित पोषण मिलता है। अत्याधिक शारीरिक एवं मानसिक श्रम के पश्चात खोई हुई शक्ति पाने के लिए गहरी नींद का झोंका भी कम महत्वपूर्ण नहीं है इससे भी मस्तिष्क को पूरा पूरा आराम मिल जाता है और मन स्फूर्तिमय हो जाता है इसलिए सफर के दौरान ड्राइवर को पर्याप्त नींद लेना चाहिए अन्यथा हल्की झपकी आने से बहुत बड़ी दुर्घटना हो सकती है। देश में सड़क दुर्घटनाओं में ड्राइवर गाड़ी चलाने लिए जाने वाली नींद की झपकी बहुत घातक सिद्ध हुई। नींद लाने की कुछ उपाय के पहले देखा जाए तो एक रात का जागरण घातक तो नहीं होता, परंतु अगला दिन चिड़चिड़ाहट और थकान भरा होता है। लगातार दो-तीन दिनों तक जागते रहने से विचार करने की क्षमता भी समाप्त हो जाती है। यदि किसी भी व्यक्ति को जबरन अधिक दिनों तक जगाए रखा जाए, तो उसकी मृत्यु तक हो सकती है इसलिए रेलवे ने ड्राइवरों व गार्ड के लिए देश के अनेकों स्टेशन पर विश्राम गृह बनाए हैं।
अच्छी नींद लाने के उपाय:-
# पूर्व दिशा में सिर रखकर सोने से शांतिपूर्ण एवं सुखमय नींद आती है।
# दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोने से धन एवं आयुष्य में वृद्धि होती है।
# रोजाना रात में जल्दी सोना एवं सुबह जल्दी उठना चाहिए।
# सोने के पूर्व किसी भी प्रकार के फालतू विचार नहीं करना चाहिए।
# सुबह एवं शाम दोनों समय भोजन करने का समय निश्चित होना चाहिए।
# शाम को सूर्यास्त के पूर्व भोजन करना अति उत्तम है एवं सोने से पूर्व दूध लेना अच्छी नींद के लिए आवश्यक है।
# सोने का कमरा स्वच्छ एवं हवादार होना चाहिए।
# रात को शरीर पर हल्के कपड़े पहनना चाहिये।
# नींद लेने के समय का निर्णय स्वयं करें अन्यथा कुंभकरण की नींद भी होती है।
# सोने से पहले शरीर की प्राकृतिक आवश्यकताओ जैसे शोच, मूत्र आदि से निपट लेना चाहिए अन्यथा बीच में उठने से नींद में व्यवधान उत्पन्न होता है।
# रात्रि में सोने से पूर्व ब्रश करना चाहिए एवं हाथ, पैर व मुंह धोकर सोना चाहिए।
# सोते समय हल्की आवाज में संगीत सुनने, हल्की-फुल्की कहानियां एवं कविता या पत्र-पत्रिका पढ़ने से भी नींद शीघ्र आती है।
# गहरी नींद के दुश्मन जेसे क्रोध, घ्रणा, चिंता, रोग, भय, अति प्रेम,अधिक भोजन, चाय-कॉफी, तंबाकू, सिगरेट, मसालेदार भोजन, अधिक प्रकाश आदि से बचना चाहिए।
# नियमित व्यायाम भी नींद लाने में सहायक होता है, प्रतिदिन नियमित व्यायाम के साथ सायं काल तीन-चार किलोमीटर टहलना चाहिए।
# पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से चिंता आती है एवं उत्तर की तरफ सिर करके सोने से आयु का नाश होता है।
# बाई करवट लेकर सरल रेखा में लेटना सर्वोत्तम है इसमें श्वास नली सीधी रहती है एवं साथ ही ऑक्सीजन का संचार अच्छा होता है।
# सोने से पहले डिनर 3 घंटे पूर्व लेना चाहिए ,अच्छी नींद के लिए आवश्यक है।
# सोने से पहले पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि नींद नहीं टूटे।
# सन 2018 के एक अध्ययन में देखा गया जो लोग सोने से पहले गर्म पानी से पैर धोते हैं, उन्हें 7 मिनट पहले नींद आ जाती है, वह लगभग 32 मिनट ज्यादा सोते हैं।
लेखक - डॉ. बी.आर. नलवाया जी, पूर्व–विभागाध्यक्ष एवं शोध निर्देशक- वाणिज्य शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मंदसौर (म.प्र.)
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