Bhartiya Parmapara

नववर्ष संकल्प से सिद्धि | सकारात्मक सोच, अनुशासन और लक्ष्य प्राप्ति

नववर्ष के स्वागत की पूर्व तैयारी.. संकल्प से सिद्धि की ओर ..!!

नववर्ष की स्वर्णिम आभा के आगमन के पूर्व ही मन में अनेक अभिलाषाएं प्रदीप्त होती है, अधूरे ख्वाब फिर गर्मजोशी में पूरे होने के लिए लालायित रहते है। ख्वाबों पर हकीकत की चादर कैसे बिछाएं इसी ऊहापोह में दिसंबर माह बीत जाता है, लक्ष्य की सुंदर कशीदाकारी में कितने ही ताने बाने बुने जाते हैं। कल्पनाओं की उड़ान बहुत ऊंची होती है और यह चंचल मन उस उड़ान तक पहुंचने से पूर्व न जाने कितनी बार फिसल जाता है और हमारा लक्ष्य अधिकतर अधूरा रह जाता है। प्रगति के मार्ग में सबसे बड़ा बाधक हमारा मन है। हमारे लिए कौनसी राह उचित है और कौनसी अनुचित यह मन भली प्रकार से जानता है फिर भी विरुद्ध दिशा में दौड़ते जाता है और हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। अनुशासन में रहकर अपने लक्ष्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए दृढ़ प्रयास हमें करने ही होंगे।

रिश्तों को संवारे 

कार्य की सफलता में हमारी मानसिक स्थिति का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। स्वस्थ तन के साथ ही मन का स्वस्थ होना भी उतना ही जरूरी है अन्यथा हम अपने कार्य को एकाग्रता से पूर्ण करने में सक्षम नहीं होंगे। सामाजिक, पारिवारिक रिश्ते जितने मधुर और प्रगाढ़ होंगे हमें भीतर से संबल मिलेगा, संतुष्टि प्राप्त होगी जो हमारी सेहत के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं होगी। अनावश्यक विवादों से बचे रहे और अपनी मानसिक शांति का जतन करें। स्वयं को हमेशा सही साबित करने में वक्त जाया न करें, सच्चाई को सामने आने में समय लग सकता है पर वह छूप नहीं सकती।

अनुशासन में रहना सीखे

 मानव की असफलता का प्रमुख कारण ही उसकी आदतें हैं। चंचल मन को विपरीत दिशा में दौड़ना हमेशा ही अच्छा लगता है क्योंकि वह क्षणिक आनंद उसे आकर्षित करता है। उदाहरण हम मोबाइल का ही ले, थोड़ी थोड़ी देर में हमें मोबाइल के नोटिफिकेशन विचलित करते हैं, एक बार मोबाइल हाथ में आते ही हमें समय सीमा का भान ही नहीं रहता और कितना ही समय निरर्थक व्यय हो जाता है। सोने से पूर्व अपने दिन भर की कार्यप्रणाली का आत्मावलोकन जरूर कर ले जिससे हमें अंदाजा हो जाएगा हमने कितना समय नष्ट किया है। दूसरे दिन इससे बचने का पूरजोर प्रयास करें धीरे-धीरे इस लत से हम निजात पा लेंगे, समय का सदुपयोग लक्ष्य प्राप्ति का सर्वोत्तम मार्ग हैं।

मन की दृढ़ता

अपनी इच्छा शक्ति पर अपने आलस्य को हावी न होने दे इसके लिए आवश्यक है मन की दृढ़ता। हमें मन ही मन में अपने लक्ष्य को बार बार दोहराना होगा जिससे एक दबाव बना रहेगा और हम अनावश्यक क्रियाकलापों से अपने आप ही दूर होते जाएंगे। मन को संयमित रखना थोड़ा कठिन है पर असंभव नहीं एक बार यह सही दिशा से चलना सीख जाएं तो भटकने की गुंजाइश ही नहीं रहती। विपरीत स्थिति में भी वह सही राह निकालने में कामयाब रहता है। अपनी सोच को सकारात्मक रखे, लक्ष्य की तरफ स्वयं का ध्यान केंद्रित रखे।

लक्ष्य की तरफ बढ़ते कदम

 मन की दृढ़ता, अनुशासन, स्वस्थ तन और मन हमें धीरे धीरे लक्ष्य की तरफ ले जाते है, जैसे -जैसे हम लक्ष्य के करीब जाते है हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि होते जाती है, जिसका सकारात्मक प्रभाव हमारे कार्यशैली पर पड़ता है और उत्साह दोगुना हो जाता है। फिर हर कठिनाई पर मात देते हुए सफलता का परचम लहराने में हम कामयाब हो जाते है। जीवन में सफल व्यक्तित्व के पास खुशियों की पुरवाई बहते हुए आती है। अन्यथा अनेक त्रासदियों का शिकार होना पड़ता है। तो‌ क्यों न आने वाले नववर्ष के स्वागत में हम अपने संकल्पों को सिद्धि की तरफ ले जाने का दृढ़ मानस बना लें।

संघर्ष से हारे नहीं, लक्ष्य पर रहे ध्यान।  
मन संयमित जो रखे, मिले उसे ही ज्ञान।।

                                    

                                      

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