Bhartiya Parmapara

भारतीय संस्कृति की पहचान

भारतीय संस्कृति: मूल्यों और सद्गुणों की जीवंत विरासत

संस्कृति" शब्द का मुख्य रूप संस्कार से बना हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है "सुधारने अथवा शुद्धि करने वाली या परिष्कार करने वाली“। जीवन को सम्पन्न करने के लिए मूल्यों एवं मान्यताओं का समूह ही "संस्कृति" कहलाता है ।

सीधे शब्दों में कहें तो "संस्कृति" का सीधा संबंध मनुष्य के जीवन के मूल्यों से होता है। "भारतीय संस्कृति" की निरंतरता ही इसकी प्रमुख विशेषता है, विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति होने के बावजूद आज भी यह अपने मूल रूप में जीवित है।

वहीं आधुनिकता के इस युग में आज भी कईं धार्मिक परम्पराएं, रीति रिवाज, धार्मिक अनुष्ठान और पहनावे कईं हज़ार सालों के बाद भी वैसे ही चले आ रहे हैं।  
"भारतीय संस्कृति" का मूल आधार आध्यात्मिकता है, जो कि मूल रूप से धर्म, कर्म और ईश्वरीय विश्वास से जुड़ा हुआ है।

"भारतीय संस्कृति" में रह रहे अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को अपने परमेश्वर पर अटूट आस्था और विश्वास है।

"भारतीय संस्कृति" में कर्म करने पर बल दिया गया है, यहां कर्म को ही पूजा माना गया है। कर्म करने वाला व्यक्ति ही अपने लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर पाता है और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता पाता है।

"भारतीय संस्कृति" में प्राचीन समय से ही गुरु का दर्जा भगवान से भी बढ़कर माना गया है। क्योंकि, गुरु ही मनुष्य को सही कर्तव्यपथ पर चलने योग्य बनाते हैं और उसे समस्त संसार का बोध करवाते हैं ।

"भारतीय संस्कृति" में माता-पिता और परिवार का बहुत महत्व है, बचपन से ही बड़ों का आदर-सम्मान करना सिखाया जाता है ।  
हम अपने देश को भी "भारत-माता" कहते हैं और तिरंगे के सम्मान में हर भारतीय नतमस्तक है, यही हमारी पहचान है ।

"भारतीय संस्कृति" में बड़ों के पांव छूना, अच्छे संस्कार में शामिल है, जिससे हम उदारता के साथ अपना जीवन जीना सीखते है। माथे पर बिंदी, हाथों में चूड़ियां, पेरों में पायल और साड़ी "भारतीय संस्कृति" की पहचान है, जो हमें सबसे अलग दिखाती है। सादा और सात्विक आहार "भारतीय संस्कृति" का दर्शन है, जो कि "सादा भोजन- उच्च विचार" कथन को सार्थक करता है ।

"भारतीय संस्कृति" में जीवन के मूल्यों पर विशेष ध्यान दिया जाता है कि हम अपना दिल हमेशा बड़ा रखें और किसी के हित में कोई काम कर सकें, इससे बेहतर और क्या हो सकता है??

किसी से भी बैर और घृणा का भाव हम न रखें और प्रेम से अपना जीवन जीएं व औरों को भी जीने दें।  इन सभी मूल्यों को जीवन में अपनाकर ही एक इन्सान सच्चे रुप में महान बन सकता है।

पुरानी पीढ़ी अपनी संस्कृति और मान्यताएं नई पीढ़ी को सौंपती चली आ रही है और इसी कारण आज भी हमारी सभ्यता और संस्कृति जीवित है।

हे भगवन!!

"भारतीय संस्कृति" इसके नैतिक मूल्यों, आदर्शों और अपनी तमाम विशेषताओं की वज़ह से पूरी दुनिया में विख़्यात है और दुनिया की सबसे समृद्ध संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां सभी लोग एक परिवार की तरह रहते हैं ।

हमें गर्व है कि हमने भारत देश में जन्म लिया और हम भारतीय हैं।

भारत-माता की जय..

सभी स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें और अपने जीवन को सार्थक करें, यही ईश्वर से प्रार्थना है ।

                                     

                                       

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