हर दिन महिला दिन

भारतीय संस्कृति एक पौराणिक संस्कृति है। बड़े लंबे समय से चली आ रही इस संस्कृति में अनेकानेक सशक्त महिलाओं के बारे में हमने कथाओं में सुना है। वह सिर्फ पाककला में ही नहीं बल्कि विद्याध्ययन एवं युद्ध कौशल में भी पारंगत थी। उदाहरण के तौर पर द्रोपदी, रुक्मिणी केकैयी और भी बहुत .....
भारतीय इतिहास में ऐसी अनेक महिलाएं हैं जिन्होंने समाज में अपना लोहा मनवा लिया। उनमें दुर्गाबाई देशमुख, सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, भीखाजी कामा, रानी कित्तूर चेन्नम्मा, सावित्रीबाई फुले, महारानी तपस्विनी, रानी अहिल्याबाई होलकर,....यह सूची तो खत्म ही नहीं होने वाली है !
कहते हैं ना, हर सफल आदमी के पीछे औरत का हाथ होता है। वैसे ही हर सफल नारी को पुरुष का साथ होता है। इनमें से कई महिलाएं हैं जिनको उनके पिता, पति, पुत्र यहां तक कि अपने ससुर जी का भी साथ, प्रेरणा और प्रोत्साहन मिला है। और जिनके साथ कोई नहीं, उन्हें अपने आपके साथ खड़ा होना होगा। आज के समय में उसका उत्कृष्ट उदाहरण है - सिंधुताई सपकाल और उनके जैसी अनेक महिलाएं, जिन्होंने अपने जिंदगी के कठिन परिस्थितियों को माय कर के आगे बढ़ना स्वीकार किया।
अब समय आ गया है, अपने आप को सशक्त बनाने का! सशक्त - पैसे या प्रेम से नहीं बल्कि अपने शरीर और सोच से। महिला तो जीवन की सृजन करता होती हैं। तो उसकी एक अच्छी मजबूत सोच क्या कमाल कर दिखाएंगी , है ना!!
' जहां चाह वहां राह ' हमें अपने सपनों को खोना नहीं है, उसे पूरी शिद्दत से पूर्णता की तरफ ले जाने का प्रयास करना है। इंसान दे ना दे पर यह सृष्टि हर अच्छे काम को साथ देती हैं। अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है। यह तो हम सभी ने बहुत बार सुना है। कोशिश करने में हर्ज ही क्या है?
तो चलिए, आज यह ठान लेते हैं और जिम्मेदारी के साथ साथ अपने सपनों को भी पूरा करने की कोशिश करते हैं। हर कठिनाई से लड़ते हुए अपने आप को समर्थ बनाते हैं और हर दिन महिला दिन की तरह मनाते हैं।