भारतीय परम्परा

Poems

Rakhi Festival
रक्षा बंधन
*रक्षा बंधन*

आज मैंने अपने दोनो बेटों से, एक दूसरे को राखी बँधवाई हैं,
एकदूजे के रक्षा एवं सुरक्षा की क़सम भी दिलवाई हैं।
समझाना चाहती हूँ उनको बस इतना,
जितना भी हम छोड़ जाएँगे, उतना मिल-जुल के संजोना हैं,
सभी रिश्तों के साथ साथ, अपना रिश्ता भी बख़ूबी निभाना हैं।
चाहे रहे वो दूर दूर, सुख दुःख में पास ही रहना हैं,
अपनी पूरी निष्ठा से, एक दूजे का साथ निभाना हैं।
आज मैंने अपने दोनो बेटों से, एक दूसरे को राखी बँधवाई हैं।





Life
ज़िंदगी का फलसफ़ा
*ज़िंदगी का फलसफ़ा*

काले घनघोर बादलों के, बीच से खिलखिलाता सूरज
हरी भरी पेड़ की शाखाओं के, बीच से झांकता हुआ सूरज
कड़ाके की ठंड में उष्णता की, उब देता हुआ सूरज
बड़ा ही सुहाना लगता है ।।
जीवन चक्र भी कुछ, ऐसे ही चलता है ।
दुख और तकलीफों के, बीच आशा की एक किरन
मेहनत की गर्मी में तप के, सुखों की फुहार,
बड़ी आनंदमयी लगती है ।।
ज़िंदगी जीने का, यहीं तो फलसफ़ा है
मुसाफ़िर बनके क़दम बढ़ाना है
बस आगे ही आगे चलते जाना है।।





Ram Mandir
राम मंदिर
*राम मंदिर *

सालों लग गए , हज़ारों सालों का इतिहास
ये बन जाएगा, अयोध्या में आज हमारा, राम मंदिर बन जाएगा ।।
पूरी दुनिया में, सम्मान बढ़ाएगा,
भारत वर्ष को हिन्दू वर्ष, बननेकि निव ये रख पाएगा।।
विरोध करने वालों करते रहो,
राजनीति भी आख़िर एक पेशा हैं,
पर ईमानदारी से, अपने मन में ही सही,
भक्ति का एक दीप, ज़रूर जगाइएगा ।।
अयोध्या में जो आज हमारा, राम मंदिर बन जाएगा ।।





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