भारतीय परम्परा

शुभ जीवन... कैसे होगा शुभ?????

शुभ जीवन... कैसे होगा शुभ?????
शुभ जीवन... कैसे होगा शुभ?????

श्री से होगा सब शुभ ....
हाँ जी, श्री से ही होगा... "श्री( लक्ष्मी(स्त्री) + नारायण(पुरुष))"
ऐसे तो वेदों में, ग्रंथों में "श्री" पर बहुत पढ़ने सुनने को मिलेगा... पर हम संसारियों के लिए जितना जरूरी है वो ये है कि #श्री मतलब #शुभ
जब हमारे खुद के लिए और दूसरों के लिए सोच, बोल(लिखने + बोलने), कर्म, व्यवहार में घर मे शुद्धता होगी, शुभ भाव होंगे तो निश्चित वहाँ #श्री यानि लक्ष्मी यानि #रुपया बस नही शुभता,शुद्धता भी होगी...जहाँ मन,वचन और कर्म में ये होगा वहाँ ही #लक्ष्मी जी का वास होगा..वहाँ ही साथ मे #श्रीगणेश और #सरस्वतीजी का वास होगा..और जहाँ सरस्वती जी और गणेशजी भी होंगे साथ वहाँ दुर्गुणों का नही वास
सुश्री, श्री, श्रीमान, श्रीमती ये लगता है हमारे नाम के पहले... है ना ...इस #श्री का मान बनाए रखिए... तो ये आपका मान बढ़ाएगा...
देखिए ना श्रीराम, श्रीकृष्ण, श्रीराधे बोला जाता है ... रावण, कंस, दुर्योधन, सूपनखा के नाम के साथ #श्री नही लगता
तो कोशिश करिए हमारे बोल,कर्म से सबके लिए शुभभावना लिए हों ... अपने इस मिले मानव जीवन को सार्थक बनाए, बजाए स्वार्थी जीवन के परमार्थी जीवन जिएं. देखिए ना इस कोरोना काल मे आदमी को आदमी से खतरा है क्यूँ... क्यूंकि लोगों ने एक दूसरे के लिए शुभ करना तो छोड़िए, शुभ सोचना भी जरूरी नहीं समझा केवल #स्व जीवन......और यही काम Online दुनिया में करते हैं लोग
सबका मंगल हो...जय श्रीराम





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