भारतीय परम्परा

मेरे राम की जय जयकार

Jai Siya Ram
मेरे राम की जय जयकार

🙏😘 रामायण के इस सबसे बड़े पात्र की मृत्यु पर भाई राम की तृप्ति के विचार..
रामायण जी का एपिसोड देखकर अधिकांश लोगों के मन मे यही विचार आ रहा होगा कि यदि विभीषण ने भेद नही बताया होता,तो रावण का अंत नही हो पाता..
1.रावण कौन👉 (काम,क्रोध,लोभ,मोह,इर्ष्या, छल,कपट,अनीति,चोरी और झूठ)।
2.विभीषण कौन👉धर्मात्मा भाव।
3.राम कौन👉अपने अंतरमन में बैठा सत्य,मासूम,विनम्र भाव

अब समझिए रावण के दस सिर उसके दुर्गुणों का प्रतीक था..उसने तपस्या करके इन्हें पाया..इसी तरह हम भी मानव जीवन तपस्या करके पाते हैं,ईश्वर को आभार देते हैं मानव जीवन के लिए,जब हम माता के गर्भ में प्रतिकूल परिस्थिति में(गंदगी)पड़े रहते हैं।लेकिन जैसे ही संसार में आये हममें भी वो दस या कुछ अवगुण उम्र के साथ आ जाते हैं जो रावण के प्रतीक हैं।हमारे अंदर का विभीषण यानि धर्मात्मा स्वभाव जो सबके में निश्चित तौर पर रहता ही है हमें आगाह करता है,रोकता है।लेकिन हम अपने अहम में स्वार्थवश ये स्वीकार नहीं कर पाते और रावण की तरह अपने विभीषण को लात मारकर नकार देते हैं।

यदि हम विभीषण की बात मानकर अपने नाभि पर निशाना साधें तो निश्चित ही अपने दुर्गुणों पर विजय प्राप्त कर लेंगे। नाभि बोल रही हूँ Qki नाभि से ऊपर का शरीर हमारा शुद्ध माना जाता है और नाभि से नीचे का शरीर अशुद्ध। Qki नाभि के नीचे से हमारे शरीर के अशुद्ध अंग होते हैं जो हमे केवल भोगविलास में ढकेलते हैं..😇





मैंने भागवत जी मे सुना है कि खाना,पीना,सोना,जागना,प्रणयआलिंगन में रत रहना ( मैथुन करना),संतान पैदा करना तो जानवर को भी आता है लेकिन ईश्वर ने अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति मानव को ये सौभाग्य प्रदान किया कि वो अपनी सद्बुध्दि से इन सब कर्मो को सयंमित रूप से पालन करते हुए ईश्वर को भजे,उनके गुण गाये,सबको सुनाए..🤗हम हर साल दुर्गुण के प्रतीक रावण का दहन तो करते हैं,पर क्या अपने अंदर के दुर्गुणों को मार पाते हैं।

मैं अपने बुद्धि के अनुसार जो ईश्वरीय ज्ञान को जानती हूँ..उसका यशगान करती हूं.. धन्यवाद आप सभी का,इतना बड़ा चेप्टर पढ़ने के लिए..🙏👏

एक बात और..
#विभीषण जी को या किसी व्यक्ति को घर का भेदी कहने से पहले विचार करियेगा.. 😇कि #लंका(अधर्म स्थान) थी तो विभीषण( #धर्मात्मा)थे..तो हमें अपने घर को,शहर को,देश को #लंका नही बनने देना है नही तो निश्चित ही #विभीषण भी होगा ही..गौर करियेगा.





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