देश की परिस्थितियों पर ज्ञान बाँटने वालों, ज़रा अपने आस-पास भी नज़र डालो! “कोरोना तो है ही नहीं, अरे इतना भी क्या डरते हो, कोरोना क्या केवल रात को आता है या केवल शनि-रवि को आता है, यह वैक्सीन तो पैसा कमाने का ज़रिया है, सब षडयन्त्र है, जीमणे ज़रूरी हैं, त्योहार ज़रूरी हैं, ब्याह-शादियों में नाच ज़रूरी है, मास्क नाक से नीचे लगाएँगे, सरकारी नियमों की धज्जियाँ उड़ाएँगे, जो व्यवस्थाओं का पालन करे उसे डरपोक कहेंगे या मज़ाक़ बनाएँगे और जब मौत सर पर नाचेगी तो सरकारों के माथे पड़ जाएँगे, आख़िर सरकारें होती किसलिए है!”
"बाँध के पग केसरिया रण में,
लड़े सिंह बलिदानी,
साका-जौहर के तप प्रताप में,
जागृत रूद्र-भवानी,
गर्व हमें इस तपोभूमी पे,
हम हैं राजस्थानी।।"
शताब्दियों पूर्व आज ही के दिन 26 सितम्बर (वर्तमान में प्रचलित आँग्ल कैलेंडर के अनुसार) वीर भूमि चित्तौड़गढ़ में विश्व इतिहास का प्रथम जौहर हुआ। माता पद्मिनी के नेतृत्व में 16000 से अधिक तपस्विनी मातृशक्तियों नें स्वयं को अग्निकुण्ड में समर्पित कर स्वाभिमान
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