भारतीय परम्परा

डॉ आदित्य शुक्ल

डॉ आदित्य शुक्ल
डॉ आदित्य शुक्ल

श्रीमती उषा देवी तथा डॉ रामस्वरूप शुक्ल के पुत्र आदित्य जी छत्तीसगढ़ प्रान्त के एक छोटे से गाँव टेमरी - चिचोली में जन्में एवं पले - बढ़े।

रसायन शास्त्र में पी एच डी, ऑपरेशन मैनेजमेंट में एम.बी.ए, तथा हिंदी साहित्य में एम.ए. की शिक्षा प्राप्त कर बैंगलोर स्थित एक प्रतिष्ठित कंपनी में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं। इनके व्यक्तित्व में साहित्य, शास्त्र एवं विज्ञान का त्रिवेणी संगम है। साहित्यि, समाज एवं विज्ञान के क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाली संस्था पुरुषार्थ फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं। साथ ही कई प्रतिष्ठित संस्थाओं से सक्रिय रुप से जुड़े हैं।
पारिवारिक, सामाजिक एवं शास्त्रीय मान्यताओं एवं प्रसंगों का वर्तमान संदर्भ में वैज्ञानिक विश्लेषण करने की अदभुत क्षमता है। वे मानवीय सबंधों के मनोविज्ञान को समझने एवं उसे अपने गीत, कविता तथा व्याख्यान के रुप में सटीक प्रस्तुत करने की विशेष योग्यता रखते हैं।
बच्चों के लिये संस्कार शाला, युवाओं के लिये व्यक्तित्व निर्माण एवं विकास, दम्पतियों के लिये पारिवारिक समरसता एवं समाज के लिये श्रीराम एवं हनुमानजी जैसे पौराणिक पात्रों की महत्ता जैसे विषयों पर कार्यशाला आयोजित करते हैं। अपने द्वारा कहे गए बातों एवं विचारों को स्वयं अनुकरण कर अपने आचरण व जीवनशैली से समाज में पथ प्रदर्शन करते हैं।

Teacher Day

*कृपा करहु गुरुदेव की नाईं*

भारतीय संस्कृति में गुरु का महत्वपूर्ण स्थान है। मनुष्य का गुरु से सबंध को सांसरिक सबंध से भी बढ़कर बताया गया है। कबीर दास ने तो यहां तक माना है कि गुरु मिला तो सब मिला, नहीं तो मिला न कोय।
मात पिता सुत बान्धवा ये तो घर घर होय।।





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