भारतीय परम्परा

भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहते थे

भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहते थे

मैं भारत हूं जिसकी गोद में नदियां खेलती हैं जिसके पर्वत आसमान के शिखरों पर शोभायमान हैं, मैं ज्ञान हूं, विज्ञान हूं, अनुशासन हूं, नीति हूं, राजनीति हूं, शिक्षा हूं, संयम हूं, धीरता हूं, गंभीरता हूं, मैं ही इस प्रकृति में भूत भविष्य वर्तमान को समाहित किए हुए हूँ मैं भारत हूं। मैंने दुनिया को जीवन दर्शन दिए जो आज भी दुनिया मे अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है।

बचपन

बच्चों को लौटा दो बचपन

अधिकांश अभिभावकों ने आज बच्चों का बचपन अपनी अभिलाषाओं के तहत रौंद दिया है साथ ही इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का भी इसमें पूरा योगदान है। परिवर्तन संसार का नियम है किंतु परिवर्तन हमें किस दिशा की और ले जा रहा है प्रगति की जगह कहीं पतन तो नहीं हो रहा। इतना समझना तो जरूरी है।

सत्संग बड़ा है या तप

सत्संग बड़ा है या तप

हमें अपनी दिनचर्या में से कुछ समय सत्संग के लिये निकालना ही चाहिये यानि हमें नियमित रूप से सत्संग में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी ही है। कभी भी या जब भी, आस-पास कहीं सत्संग हो वहाँ आपको बुलाया नहीं भी हो तो भी शामिल होने में संकोच नहीं करना चाहिये । इसके अलावा सत्संग केवल सुनना ही नहीं है बल्कि उस पर अमल करने का प्रयास अवश्य करना चाहिये। ऐसा वो क्यों समझाते थे इसके लिये एक रोचक ऐतिहासिक वाकया है जो इस प्रकार है - एक बार विश्वामित्र जी और वशिष्ठ जी में इस बात पर बहस हो गई, कि सत्संग बड़ा है या तप ???





 माटी की महक

माटी की महक

माटी और माँ सम्भवतः दो शब्द एक दूसरे के पूरक ही तो हैं जहां एक माँ अपने आँचल में अपने नोनिहालों का भरपूर पालन पोषण करती हैं वहीं ज़मीन की माटी सम्पूर्ण धरा को संजोने, सवारने, जीवन को आगे ले जाने की सतत प्रयासों में लीन जो रहती है।

महेश नवमी

माहेश्वरी उत्पत्ति दिवस | महेश नवमी | माहेश्वरी

माहेश्वरी समाज का उत्पत्ति दिवस जिसे महेश नवमी के रूप में जेष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है | इसकी शुरुआत ज्येष्ठ शुक्ल 9 युधिष्ठर सवंत 5159 से हुई थी और अभी तक माहेश्वरी समाज के लोग यह महेशोत्सव मनाते आ रहे है | इस दिन भगवान शिव की आराधना करते है, शोभा यात्रा निकाली जाती है और भी कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है जहां समाज के लोगो को सम्मानित भी किया जाता है | भारत के राजस्थान राज्य में आने वाले मारवाड़ क्षेत्र से सम्बद्ध होने के कारण इन्हें मारवाड़ी भी कहा जाता हैं |





yoga ke prakar

योग का वर्गीकरण

योग रोगमुक्त जीवन जीने की एक कला है| योग का मुख्य उद्देश्य मन की परम शांति प्राप्त करना है, जिसके लिए आत्मा, शरीर और मन को एकजुट करना होता है। योग करने से तन, मन और आत्मा की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है| योग शास्त्र में योग को चार वर्गों में बाँटा गया है -
1. भक्ति योग
2. कर्म योग
3. ज्ञान योग
4. हठ योग

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस

वो जीवन देने के चार दिन...
लाल रंग शक्ति का परिचायक है, आज मैं इस लाल रंग की ही बात कर रही हूँ नारी का दूसरा रूप शक्ति और यही शक्ति अपने में सृजन को संचित करती है | असहनीय पीड़ा को झेलती है | बचपन की चहलकुद खत्म होते ही एक धर्म शुरु हो जाता है, जो विज्ञान की नजर में नारी को पूर्ण करता है, और उस माहवारी के साथ ढेर सारे नियंम कायदे | कही फुसफुसाहट तो कही चुप्पी और शर्म सी ।





Importance of Ganga River

व्यापार और वाणिज्य में गंगा का महत्व

गंगा नदी में औषधीय गुण भी है जिसके कारण इसे "ब्रहम द्रव्य" कहा जाता है | गंगा मात्र एक नदी नहीं है, वह तो हमारी माता है, हमारे देश की जीवनधारा है, वह करोड़ो लोगो की आजीविका का सहारा है | गंगा किनारे के निवासी चाहे किसी भी धर्म को मानने वाले हो गंगा को नदी नहीं बल्कि माँ के रूप में पूजते है और माँ गंगा हमेशा अपने बच्चो की आर्थिक रूप से सुदृढ़ करती है, उसके व्यापार को फलने - फूलने में मदद करती ही है |

इंसान का इंसान से हो भाईचारा

इंसान का इंसान से हो भाईचारा

ईश्वर ने हमे बहुत सुंदर धरती दी थी रहने को, उसको कुरूप हमने किया है.. ईश्वर ने हमें बहुत सुंदर जीवन दिया मासूमियत और ईमानदारी से भरे बचपन के रूप में... उसे कुरूप हमने किया अपने स्वार्थबस निंदा, झूठ, ठगी, लालच, लूटमार, बलात्कार, बेईमानी, छल-कपट, धर्म के नाम पर झगड़े, सत्ता के नाम पर झगड़े से.. उसकी सजा हमें समय समय पर अनेक बीमारियों के रूप मे ं,प्रलय के रूप में मिलती रही है पर हम शांत नहीं हुए, हमने चांद पर कब्जा..





Prakratik Aapda

🙏मेरा चिंतन इस आपदा पर🙏

🌸 अहो भाग्यमानुष तन पाया, भजन करूँगा कहकर। आया झूठे जग की झूठी माया, मूरख इसमें क्यूँ भरमाया 🌸

यानि कि जब हम माँ के गर्भ में छोटी सी अंधेरी जगह में रहते हैं, अंधेरे से डरते हैं तब ईश्वर ही हमारे साथ वहाँ रहते हैं .. ईश्वर को धन्यवाद करते हैं कि हे प्रभु .. मैं बहुत भाग्यशाली हूँ जो आपने मुझे मनुष्य तन दिया आपका भजन, सुमिरन करूँगा, आपके बताए रास्ते में चलूंगा लेकिन जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं हम इस झूठे संसार के झूठे रिश्तों में उलझ कर रह जाते हैं... ईश्वर भजन के लिए समय नही रहता, निकाल नही पाते ..

Diwali Festival

दिवाली - रामा सामा

'दिवाली' का पर्व हर्षोल्लास का पर्व है। हर कोई इसका बडे़ ही बेसब्री से इंतज़ार करता है। चाहे नए कपड़े लेने हो या कोई जेवर, घर मे कोई चीज लानी हो या करना हो रीनोवेशन, एक ही जवाब मिलता है, दिवाली मे करेंगे। 'दीपावली' उत्साह और ऊर्जा से भरा, असंख्य दियो का खुशियों भरा त्योहार है।





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