एक साहूकार की दो बेटियां थी, एक का नाम कुकड़ था और दूसरी का नाम माकड | दोनों हर पूर्णिमा को व्रत किया करती थीं। इन दोनों बेटियों में बड़ी बेटी पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि-विधान से पूरा व्रत करती थी। वहीं छोटी बेटी व्रत तो करती थी लेकिन नियमों को आडंबर मानकर उनकी अनदेखा करती थी। विवाह योग्य होने पर साहूकार ने अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर दिया। छोटी बेटी के घर जो भी संतान होती वह पैदा होते ही मर जाती और बड़ी बेटी के घर संतान होती वह जीवित रहती |
कहते है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के बेहद पास होता है। जिसकी वजह से चंद्रमा से जो रासायनिक तत्व धरती पर गिरते हैं वह काफी सकारात्मक ऊर्जा वाले होते हैं और जो भी इसे ग्रहण करता है उसके अंदर सकारात्मकता बढ़ जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा को बंगाल में "कोजागरा" भी कहा जाता है जिसका अर्थ है कौन जाग रहा है। शरद पूर्णिमा को "कोजोगार पूर्णिमा", "रास पूर्णिमा" और "कामुदी महोत्सव" के नाम से भी जाना जाता है।
पंचाग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयदशमी, दशहरे अथवा आयुध पूजा के रुप में देशभर में मनाया जाता है। दशहरा हिंदूओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इसी दिन पुरूषोत्तम भगवान राम ने रावण का वध किया था। यह त्यौहार विजयादशमी के रूप में जाना जाता है। मां दुर्गा ने नौ रात्रि और दस दिन के युद्ध के बाद राक्षस महिषासुर का वध किया था। इसके अलावा कुछ लोग इस त्योहार को आयुध पूजा(शस्त्र पूजा) के रूप में मनाते हैं। इस दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं (जैसे अक्षर लेखन का आरम्भ, नया उद्योग आरम्भ, बीज बोना आदि)।
"ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नः॥"
अपने इस स्वरूप में माता सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं। माता की चार भुजाएं हैं, जिसमे मां ने अपने एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा, एक हाथ में कमल का फूल और एक हाथ में शंख धारण किया हुआ है | सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, उन्हीं की भांति श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं। मां सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत सौम्य और मोहक है, मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
"ॐ महा गौरी देव्यै नम:"
माँ दुर्गा का आठवां स्वरूप है महागौरी का, देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं। महागौरी के सभी आभूषण और वस्त्र सफेद रंग के हैं इसलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहते है| इनकी चार भुजाएं हैं। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है।
"ॐ देवी कालरात्र्यै नमः"
माँ की पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है, इस कारण से माँ कालरात्रि को शुभंकरी के नाम से भी पुकारा जाता है। माँ कालरात्रि की पूजा करने से आकस्मिक संकटों से रक्षा होती है और काल का नाश होता है। माँ के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है और माँ की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है, उसे अग्नि, जल, शत्रु आदि किसी का भी भय नहीं होता।
“ॐ कात्यायिनी देव्ये नमः"
देवी पार्वती ने यह रूप महिषासुर का वध करने के लिए धारण किया था। माँ कात्यायनी की उपासना से जीवन के चारों पुरुषार्थों अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की आसानी से प्राप्त हो जाती है। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए यमुना नदी के तट पर माँ कात्यायनी की ही पूजा की थी |
“ ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः "
स्कंदमाता शेर की सवारी करती हैं जो क्रोध का प्रतीक है और उनकी गोद में पुत्र रूप में भगवान कार्तिकेय हैं, पुत्र मोह का प्रतीक है। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। वे अपने दो हाथों में कमल पुष्प धारण करती हैं। वे अपने एक दाएं हाथ से सनतकुमार को पकड़ी हैं और दूसरे दाएं हाथ को अभय मुद्रा में रखती हैं। देवी स्कंदमाता कमल पर विराजमान होती हैं, इसलिए उनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है।
“ ॐ कूष्माँडा देवेय नमः॥ "
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था तब देवी कूष्माँडा ने अपने ईश्वरीय हास्य से ब्रह्माँड की रचना की थी। यही वजह है कि देवी को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है। इसी के चलते इन्हें ‘आदिस्वरूपा’ या ‘आदिशक्ति’ भी कहा जाता है।
"ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥"
माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप का विशेष महत्व है, यहाँ पर माँ के स्वरुप की मुद्रा युद्ध मुद्रा है। माता चंद्रघंटा अपने मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा धारण किये हुवे हैं। इस वजह से उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा है। माँ चंद्रघंटा की 10 भुजाएं हैं, जो कमल, कमंडल, तलवार, त्रिशूल, गदा, धनुष और विभिन्न अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित हैं।
