"गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आना", हिंदू पंचांग के अनुसार 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव पर घरों और पंडालों में स्थापित विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन अंनत चतुर्दशी पर किया जाता है। भक्त अपने-अपने हिसाब से 1.5, 3, 5, 7 और 10 दिनों में भी गणेश विसर्जन करते हैं।
अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी| इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे
हिन्दू पंचांग में भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं| ऐसा माना जाता है कि इसी तिथि को भगवान विष्णु शयन अवस्था में अपना करवट बदलते हैं| भगवान विष्णु के एकादशी तिथि में अपना करवट बदलने या परिवर्तित करने के कारण ही इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है|
आज भी तेजादशमी पर्व मनाने की परंपरा जारी है। बाबा की सवारी (वारा) जिसे आती है, उसके द्वारा रोगी, दुःखी, पीड़ितों का धागा खोला जाता है एवं महिलाओं की गोद भरी जाती है। ऐसे सत्यवादी और शूरवीर तेजाजी महाराज के पर्व पर उनके स्थानों पर लोग मन्नत पूरी होने पर पवित्र निशान चढ़ाते हैं तथा इस दौरान शोभायात्रा के रूप में तेजाजी की सवारी निकलेगी और सायंकाल बाबा की प्रसादी (चूरमा) एवं विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है।
राधाष्टमी यानी देवी राधा का जन्मदिन यह हर साल भाद्र शुक्ल अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवी राधा के जन्मस्थल बरसाना सहित पूरे ब्रजभूमि में उत्सव मनाया जाता है।
गणपति के दिनों में हर तरफ एक ही धुन सुनाई देती है... गणपति बप्पा मोरया, मोरया रे मोरया....
बप्पा का अर्थ है पिता, इसमें सवाल यह है कि यह मोरया क्या है?
मोर (एक पक्षी जो हमारा नेशनल बर्ड भी है ) या मौर्य (कोई उपनाम) ?
ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि गणेश चतुर्थी उत्सव महाराष्ट्र में महान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा संस्कृति और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था।
हरतालिका व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन आता है। इस दिन सुहागने और कुंवारी लड़किया गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
मारबत याने बहोत बड़ा देविका रूप। यह त्योहार बुरी ताकतों और बीमारियों को दूर रखने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि शहर पर आनेवाला संकट, बीमारियाँ, बुरी ताकदो, शत्रुता सब को मारबत अपने साथ ले जाती है और शहर को सुख-समृद्धि देकर विसर्जित होती है।
भारत जैसे कृषिप्रधान देश में बैलो को देवता समान माना गया है। इसलिए बैलो का सम्मान करने के लिए पोला यह त्यौहार मनाया जाता है। जो हमारी मदत करते है उनके प्रति आभार प्रकट करना हमारी संस्कृति सिखाती है। महाराष्ट्रमे पोला या बैलपोला श्रावण अमावस्या को मनाया जाने वाला बैलो का त्यौहार है।कई जगह पर यह त्यौहार दो दिन मनाते है। पहले दिन को 'बड़ा पोला' और दूसरे दिन को 'तान्हा पोला' याने बच्चोका पोला कहते है।
