कहते हैं माहेश्वरीयों की उत्पत्ति भगवान महेश (शिवजी) और माता पार्वती के आशीर्वाद से हुई है। कुछ लोग तो माहेश्वरी यों को भगवान शिवजी के वंशज भी कहते हैं। यह सुनते ही शरीर, आत्मा में एक सकारात्मक शक्ति का जैसे संचार हो जाता है। मेरा तो मानना यह है कि ऐसा हो भी सकता है क्योंकि बहुत सारे बल्कि सबसे ज्यादा अच्छे गुणों की झलक हमें माहेश्वरी यों (मारवाड़ी यों) में दिखाई देती हैं।
हिंदू संस्कृति में अनेको तीज-त्योहार, परंपराएं है जो हमें प्रकृति से एवं निसर्ग से जोड़े रखती हैं। पशु-पक्षी, पेड़-पौधे इन को भगवान का दर्जा दिया गया है। जैसे नागपंचमी (सांप की पूजा), पोळा (बैलों की पूजा), वसुबारस या बछ बारस (गाय- बछड़े की पूजा), तीज गुड़ी पाड़वा (नीम और आम के पत्तों का महत्व),
दशहरा (शमी वृक्ष के पत्ते), वटपौर्णिमा (वड या बरगद के पेड़ की पूजा)। हर सुहागन महिला अपने पति के दीर्घायु के लिए वट सावित्री का व्रत करती है।
आषाढी एकादशी (देव शयनी एकादशी) के दिन महाराष्ट्र के चंद्रभागा नदी के तट पर बसे हुए पंढरपुर में यह महायात्रा होती है। इस यात्रा में महाराष्ट्र के कोने-कोने से और बाहर से भी लोग आते हैं। किसी भी जाति या धर्म का कोई बंधन नहीं, जिसके मन में भक्ति भाव हो वह हर इंसान इस यात्रा का हिस्सा बन सकता है।पंढरपुर के भगवान विट्ठलनाथ से मिलने के लिए लोग अपने घर से पैदल यात्रा करने के लिए निकलते हैं उसे 'वारी' कहते हैं और उन लोगों को 'वारकरी'।
गुढी पाडवा, चैत्र शुद्ध प्रतिपदा इस तिथि को मनाया जाने वाला त्योहार है इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर अभ्यंग स्नान किया जाता है। फिर घर की सफाई करके रंगोली बनाई जाती है। सामने दरवाजे पर फूल और आम के पत्ते का तोरण और विजय पताका बांधी जाती हैं। ऊंचे बांबू को पानी से साफ करके उसकी पूजा करके गुढी तैयार की जाती है। गुढी में ऊपर रेशमी कपड़ा या साड़ी पहनाई जाती है। कडूनीम की डाली, आम के पत्ते, फूलों का हार और शक्कर की गाठी की माला उसमें लगाई जाती है। उसके ऊपर तांबे का कलश स्वस्तिक बनाकर उल्टा रखा जाता है।
हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि होती है, किंतु यह माना जाता है कि फाल्गुन के कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि सबसे बड़ी होती है।इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। हिंदू पुराणों के अनुसार इस तिथि को भगवान शिव के मूलभौतिक स्वरूप याने शिवलिंग का प्राकट्य हुआ था। इस कारण से महाशिवरात्रि को शिवलिंग की विशेष रूप से पूजा- अभिषेक इत्यादि की जाती है।
भारतीय संस्कृति एक पौराणिक संस्कृति है। बड़े लंबे समय से चली आ रही इस संस्कृति में अनेकानेक सशक्त महिलाओं के बारे में हमने कथाओं में सुना है। वह सिर्फ पाककला में ही नहीं बल्कि विद्याध्ययन एवं युद्ध कौशल में भी पारंगत थी। उदाहरण के तौर पर द्रोपदी, रुक्मिणी केकैयी और भी बहुत ...
हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी देवताओं का वर्णन है। परंतु 33 कोटी का अर्थ 33 करोड़ नहीं बल्कि 33 उच्च कोटि (प्रकार) के देवी देवता। देव अर्थात दिव्य गुणों से युक्त, जिनमें 12 आदित्य, 11 रूद्र, 8 वसु और 2 अश्विनी कुमार है।
12 आदित्य - 12 आदित्य हमें हमारे सामाजिक जीवन के 12 भागों एवं वर्ष के 12 माह के विषय में दर्शाते हैं।
हिंदू संस्कृति में मनुष्य की आयु, आरोग्य, सुख और समृद्धि बढ़ाने के लिए वेदों में 16 संस्कार बताए गए हैं। शरीर, मन और मस्तिष्क को पवित्र करने के लिए यह संस्कार किए जाते हैं। क्रमशः सोलह संस्कार संक्षिप्त में नीचे दिए गए हैं।
१) गर्भाधान संस्कार - उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए, होने वाले माता-पिता को गर्भाधान से पूर्व अपने तन और मन की पवित्रता के लिए यह संस्कार करते हैं।
'दिवाली' का पर्व हर्षोल्लास का पर्व है। हर कोई इसका बडे़ ही बेसब्री से इंतज़ार करता है। चाहे नए कपड़े लेने हो या कोई जेवर, घर मे कोई चीज लानी हो या करना हो रीनोवेशन, एक ही जवाब मिलता है, दिवाली मे करेंगे। 'दीपावली' उत्साह और ऊर्जा से भरा, असंख्य दियो का खुशियों भरा त्योहार है।
आज है हिंदी भाषा दिवस, हिंदी भाषा - राष्ट्र भाषा
नाज़ है हमें अपनी भाषा, अपनी संस्कृति और राष्ट्र पे
हिंदी हैं हमारी शान, हिंदी से हैं हिंदुस्तान,
हिंदी से ही तो हैं, हमारी भावनाओं में जान।
विश्व में अनेको देशों में अलग अलग दिन यह दिवस मनाया जाता है । परंतु भारत में यहाँ के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पाँच सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है
महाराष्ट्रियन महिलाओं के लिए गणपति के दिनो में आनेवाला एक और महाउत्सव है वो है ‘महालक्ष्मी’! कहते है महालक्ष्मी ने महिलाओं के सुहाग की रक्षा करने के लिए असुरों का नाश किया था। इसीलिए उनको ‘सुहागिन के सौभाग्य’ (सावशन्यांच्या सौभाग्याची) की गौरी भी कहा जाता हैं। दो बहने ‘जेष्ठा और कनिष्ठा’ बच्चों के साथ अपने मायके में आती है यह इसके पीछे की संकल्पना हैं।
राखी (२ भाइयो के प्यार का प्रतिक)
जिंदगी का फलसफा
राम मंदिर निर्माण
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