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मेघना जी शुक्ला

Meghna Shukla
मेघना जी शुक्ला

मैं इंदौर से मेघना शुक्ला हूं। मैं 13 साल के अनुभव के साथ एक प्रमाणित ज्योतिषी हूं। मेरा अभ्यास मुख्य रूप से वैदिक ज्योतिष और वास्तु शशत्र में केंद्रित है। मेरी शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो मैंने DAVV, इंदौर से B.Com में ग्रेजुएशन किया है। मेरे पूर्वज ज्योतिष के क्षेत्र में प्रैक्टिशनर रहे हैं और उसी वजह से मुझे मनोगत विज्ञान में गहरी दिलचस्पी है और बचपन के दिनों से ही ज्योतिष का प्रारंभिक शिक्षण प्राप्त किया। हालांकि, ज्योतिष के क्षेत्र में पेशेवर रूप से अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए, मैंने ज्योतिष में 5 साल का कोर्स किया है। मैं कल्पना वैदिक शिक्षण संस्थान, इंदौर में ज्योतिष भी पढ़ा रहा हूं।
धन्यवाद।

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Benefits of tree and plants in our life

वृक्षो एवं पौधों का हमारे जीवन में महत्व

मनुष्य, प्रकृति, वृक्षों और पौधों का अटूट रिश्ता है। वास्तु शास्त्र के अंतर्गत वृक्षों और पौधों को उनकी संबंधित दिशा में लगाकर शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं। पेड़, पौधों का वास्तु सुधार में सदैव से ही बड़ा योगदान रहा है । सर्व रोग निवारण तुलसी घर की चारदीवारी में ईशान कोण में लगाना इसका सबसे उत्तम प्रभाव है।





Benefits of Panchvati Vatika

पंचवटी वाटिका

भगवान श्री राम अपनी पत्नी सीता मैया और भ्राता लक्ष्मण के साथ जंगल में पंचवटी बना कर रहे थे । पंचवटी बनाकर उसमें रहने से चमत्कारी लाभ प्राप्त होते हैं ।

Vastu for Temple

वास्तुशास्त्र में पूजा कक्ष का महत्व

सभी स्थलों के वास्तु का उद्देश्य अलग-अलग होता हैं, लेकिन सभी जगह पूजा कक्ष का वास्तु बहुत महत्वपूर्ण होता है, इस कक्ष का उद्देश्य सभी जगह एक ही होता है, भगवान का आर्शीवाद प्राप्त करना। कभी कभी पूजा पाठ के बावजूद भी जीवन में दिक्कतें कम नहीं होती हैं, हम बहुत पूजा पाठ करते हैं, दान धर्म करते हैं, लेकिन अगर हमको परेशानी आती है तो इसका कारण अज्ञानवश पूजा स्थान का चयन गलत दिशा में होना या वहां वास्तु दोष होना होता है ।





Vastu Shastra

वास्तुशास्त्र का उदगम

वास्तुशास्त्र का उदगम वेदों से हुआ है। प्राचीन काल में इसे स्थापत्य वेद के नाम से जाना जाता था। स्थापत्य वेद या वास्तुशास्त्र ,अथर्ववेद का एक उपवेद है। अनेक पुराणों जैसे मत्स्यपुराण, अग्निपुराण इत्यादि में वास्तु के उल्लेख मिलते हैं। विश्वकर्मा और मय के साथ साथ अठ्ठारह अन्य ऋषि जैसे प्रभु बृहस्पति, नारद,अत्री इत्यादि वास्तु के मुख्य प्रवर्तक माने गए हैं। वास्तु विषय शास्त्रीय ग्रंथों जैसे मानसार, मयमतम्, समरांगण सूत्रधार में वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है

Shani Dev in Jyotish Shastra

ज्योतिष शास्त्र | शनि न्याय प्रिय ग्रह क्यों है ?

सूर्य देव की 9 संतानों में से शनिदेव एक है इनका जन्म सूर्य की द्वितीय पत्नी छाया से हुआ था।शिव की आज्ञानुसार शनि आज भी जहां धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों के लिए रक्षक हैं वहीं अधार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को कठोर दंड देते हैं ज्योतिषशास्त्र में गुरु को ज्ञान अध्यात्म, भक्ति का मुख्य कारक,केतु को मोक्ष का कारक,सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है किंतु ईश्वर की ओर से प्रेरित करने में शनि की महत्वपूर्ण भूमिका है ।





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