महालक्ष्मी पूजन में कुमकुम, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, गूगल धुप , दीपक, रुई, कलावा (मौलि), नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूँ, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, घृत, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, पुष्प, पताशे, गंगाजल, यज्ञोपवीत, श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, हल्दी का गाठिया, पिली 7 कोडिया, मिष्ठान्न, 11 दीपक इत्यादि वस्तुओं को पूजन के समय रखना चाहिए।
लक्ष्मी पूजन की विधि -
भारत में दीपावली का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। दीपावली के दिन विधि पूर्वक धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा होती है। इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु, गणेश जी, यमराज, चित्रगुप्त, कुबेर, भैरव, हनुमानजी, कुल देवता व पितरों का भी श्रद्धा पूर्वक पूजना चाहिए।
- सबसे पहले चौकी पर लाल कपड़ा बिछाये, चौकी के बीच में माँ लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी की प्रतिमा को विराजमान करें। लक्ष्मी जी के दाहिने तरफ गणेश जी की मूर्ति रखे | मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम की तरफ होना चाहिए।
- अब दोनों मूर्तियों के आगे थोड़े रुपए इच्छा अनुसार सोने चांदी के आभूषण और चांदी के 5 सिक्के भी रख दे, यह चांदी के सिक्के ही कुबेर जी का रूप होता है |
- लक्ष्मी जी की मूर्ति के दाहिनी ओर चावल से अष्टदल बनाएं यानी कि आठ दिशाएं उंगली से बनाए बीच से बाहर की ओर फिर जल से भरे कलश को उस पर रख दे, यह सागर देव का प्रतिक होता है |
- कलश के अंदर थोड़ा चंदन दुर्व पंचरत्न सुपारी आम के या केले के पत्ते डालकर मौली से बंधा हुआ नारियल उसमें रखें, कलश पर मौली बांधे, तिलक लगाए और थोड़ा सा गंगाजल उसमें मिलाएं |
- इसके बाद चौकी के सामने बाकी पूजा सामग्री कि थालीया रखे, दो बडे दिये मे देसी घी और ग्यारह छोटे दिये मे सरसो का तेल भर तैयार करके रखे |
- अब हाथ में थोड़ा गंगाजल लेकर प्रतिमा को पवित्र करने के लिए इस मंत्र का जाप करते हुए छिड़कें -
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।
- अब जल अपने आसन पर और अपने आप पर भी छिड़कें। इसके बाद पृथ्वी माता को प्रणाम करें और आसन पर बैठकर संकल्प लें।
- संकल्प के लिये हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लें साथ में कुछ द्रव्य यानि पैसे भी लें अब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र का जाप करते हुए संकल्प किजिये कि मैं अमुक व्यक्ति, अमुक स्थान एवं समय एवं अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे पूजा का फल प्राप्त हो। इस प्रक्रिया में निम्न मंत्र का उच्चारण करें-
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः
- अब नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। फिर लक्ष्मी जी की अराधना करें। इसके बाद कलश की पूजा करे, इसी के साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर की भी विधि विधान पूजा करें। फिर नवग्रहों की पूजा करें | इसके लिये हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर नवग्रह स्तोत्र बोलें। उसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन करें। माताओं की पूजा के बाद रक्षाबंधन किया जाता है । रक्षाबंधन के लिये लच्छे / मौली लेकर गणेश जी पर चढाइये फिर अपने हाथ में बंधवा लीजिये और तिलक लगा लें।
- इसके बाद महालक्ष्मी की पूजा करें। माँ लक्ष्मी जी की पूजा के लिए वेदों में कई महत्वपूर्ण मन्त्र दिये गये हैं। ऋग्वेद में माँ लक्ष्मी जी के इस मंत्र का उल्लेख किया गया है-
धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः। धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमस्तु ते।।
अश्वदायै गोदायै धनदायै महाधने। धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे।।
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि। पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।
- पूजा करते समय 11 या 21 छोटे सरसों या तिल के तेल के दीपक और एक बड़ा दीपक घी से प्रज्वलित करना चाहिए। एक दीपक चौकी के दाईं ओर एक बाईं ओर रखना चाहिए। जलाए गए 11 या 21 दीपकों को घर के सभी दरवाजों के कोनों में रख दें। इस दिन पूजा घर में पूरी रात एक घी का दीपक भी जलाया जाता है।
- भगवान के बाईं तरफ घी का दीपक जलाएं और उन्हें फूल, अक्षत, जल और मिठाई अर्पित करें।
- दीपक पूजन के बाद घर की महिलायें अपने हाथ से सोने-चांदी के आभूषण और सुहाग का सामान माँ लक्ष्मी को अर्पित करे। अगले दिन स्नान और पूजा के बाद आभूषण एवं सुहाग की अन्य सामग्री जो अर्पित की थी उसे मां लक्ष्मी का प्रसाद समझकर स्वयं प्रयोग करें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।
- अब श्रीसूक्त और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
- अब भोग लगाकर बाकि सारी पूजा सामग्री चौकी पर अर्पण करें |
- भगवान को प्रणाम करे और पूजा के दौरान हुई किसी ज्ञात-अज्ञात भूल के लिए क्षमा-प्रार्थना करें।
- अंत में गणेश जी और माता लक्ष्मी की आरती उतारकर पूजा संपन्न करें।
गणेश जी की आरती -
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
लक्ष्मी माता की आरती -
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता
आप सभी की भारतीय परंपरा टीम की तरफ से दीपावली के ढेरो बधाईया | आपकी दीपावली मंगलमय हो, दीपावली पर्व को धूमधाम से मनाये साथ में कोरोना महामारी, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और फटाखों से जलने से स्वयं बचे और दुसरो की भी रक्षा करे |
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