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आदि पेरुक्कु का त्योहार | तमिलनाडु का मानसून त्योहार

भारत देश हमेशा से त्योहारों का प्रतिक रहा है, यहाँ पर देवी देवताओ की पूजा-अर्चना सर्वोपरि रहती है साथ ही नदियों को भी माँ का स्वरूप माना जाता है जो हिन्दू सभ्यता में पूजनीय है। आदि पेरुक्कु दक्षिण भारत के मुख्य त्योहारों में से एक त्योहार है जो कावेरी नदी, वरुण देव और माँ पार्वती के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है।

आदि पेरुक्कु पर्व समृद्धि और उर्वरता का प्रतिक है जिसे तमिलनाडु में मानसून त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व तमिल महीने के 18 वें दिन मनाया जाता है| महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाले इस पर्व के दिन जल-अनुष्ठान के रूप में, प्रकृति का सम्मान किया जाता है। इस दिन उफनती नदियों से पानी लेकर माँ पार्वती की पूजा करते है और चावल के अलग अलग व्यंजन जैसे- नारियल चावल, मीठा पोंगल, दही चावल, बहला चावल, नींबू चावल और इमली चावल  इत्यादि बनाकर भोग लगाया जाता है।

इस त्योहार के दिन सुबह सवेरे महिलाएं पीला धागा, चावल, गुड़, नारियल, केले, दीपक, हल्दी, कुंकुम और फूल आदि पूजा सामग्री लेकर तालाब, नदी या जलाशय आदि के किनारे पर जाती हैं। पूजा शुरु करने से पहले वे पानी में डुबकी लगाती हैं। इसके बाद 'अभिषेकम' करते है जिसमे वे धरती माता के स्वरूप के रुप में मिट्टी की ढेरियां बनाती हैं। इसके साथ साथ केले के पत्तो पर चावल के आटे को पानी में गुड़ मिला कर छोटे गड्डे नुमा आकार का निर्माण किया जाता है। इसमें घी डाल कर दीप प्रज्जवलित करती है। दीये के साथ फूल, हल्दी और पीला धागा केले के पत्ते में रख कर नदी में अर्पित किया जाता है। आदि पेरुक्कु उत्सव तिरुचरापल्ली के अलावा कावेरी नदी के किनारे बसे इरोड, तंजावुर और सलेम में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। 

यह पर्व समृद्धि और खुशी के साथ साथ माँ प्रकृति के आशीर्वाद का उदाहरण है। आदि पेरक्कू त्योहार विशेषकर उन किसानों और अन्य लोगों द्वारा मनाया जाता है जो अपने व्यावसाय या जीवन यापन के लिए नदियों और मानसून की बरसात पर निर्भर रहते हैं। ये लोग इस त्योहार पर मंदिरों और धार्मिक स्थानों पर वर्षा के देव वरुण और कावेरी देवी की पूजा करते है, ताकि अच्छी फसल पा सके और अनिश्चितकालीन बरसात से बचाव हो सके।


 

आदि पेरुक्कु पूजा
आदि पेरुक्कु का महत्व -

आदि पेरुक्कू को "पैर पडिनेटम पेरुक्कू" भी कहा जाता है। इस पर्व का पहला दिन "आदि पंड़िगै या आदि पिराप्पू" के रूप में मनाया जाता है यह दिन नवीन कार्यों के लिए उत्तम माना गया है| इस दिन सभी महिलाएं अपने घर के दरवाजो को आम के पत्तों से सजाती है| नारियल के दूध और वडाई से तैयार 'पायसम' नामक व्यंजन बनाया जाता है और इसी के साथ भगवान की पूजा की जाती है। पेरक्कु एक महीना होता है जिसमे समृद्धि और खुशहाली के लिए जल-बल और प्राकृतिक शक्तियों की प्रार्थना होती है। ऐसा कहते है कि आदि पेरुक्कु पर्व के महीने में चावल और गुड़ से बनी मिठाई का प्रसाद चढाने से कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है, इस दिन चावल के द्वारा एक विशेष व्यंजन 'कलंधा सद्दाम' बनाया जाता है। पूजा पूरी करने के बाद, भक्त अपने परिवार के साथ नदी के किनारे भोजन करते हैं और पूरा दिन नदी के किनारे बिताते हैं। 

 

   

 

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